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राजनाथ ने भारत-बांग्लादेश सीमा को सुरक्षित करने की प्रतिबद्धता दोहराई

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केंद्रीय गृह मंत्री, राजनाथ सिंह, अंतर्राष्ट्रीय सीमा, भाजपा, भारतीय जनता पार्टी, असम में व्यवस्था

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केंद्रीय गृह मंत्री, राजनाथ सिंह, अंतर्राष्ट्रीय सीमा, भाजपा, भारतीय जनता पार्टी, असम में व्यवस्था

गुवाहाटी | केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने सोमवार को भारत-बांग्लादेश अंतर्राष्ट्रीय सीमा को सुरक्षित करने की प्रतिबद्धता दोहराते हुए इस बात पर जोर दिया कि सरकार असम के मूल निवासियों को संवैधानिक सुरक्षा प्रदान करने के लिए भी प्रतिबद्ध है। एक दिन के दौरे पर गुवाहाटी पहुंचे राजनाथ सिंह ने पार्टी के सैकड़ों कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए यह बात कही। गृह मंत्री एक प्रमुख मीडिया कंपनी द्वारा यहां आयोजित अचीवर्स अवॉर्ड 2016 में भी हिस्सा लेने आए हुए हैं।

राजनाथ ने कहा, “भारत-बांग्लादेश जमीन अदला-बदली समझौते के तहत भारत व बांग्लादेश के बीच जमीनों की अदला-बदली के मुद्दे पर असम में काफी प्रदर्शन हुए हैं। तब हमारी सरकार ने कड़े कदम उठाए, जिसका नतीजा अब सामने है। पड़ोसी देश लगभग सभी मुद्दों पर भारत के साथ खड़ा है। यहां तक कि आतंकवाद के मुद्दे पर भी बांग्लादेश अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर भारत का समर्थन कर रहा है।”

उन्होंने कहा, “हमारी सरकार 223.7 किलोमीटर लंबी भारत-बांग्लादेश सीमा की सुरक्षा करने के लिए प्रतिबद्ध है। अगले एक से डेढ़ साल के भीतर हम संपूर्ण सुरक्षा कार्य पूरा करना चाहते हैं। जहां बाड़ लगाने की जरूरत है, वहां हम इसे लगाने जा रहे हैं और जहां सेंसर जैसी प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल करने की जरूरत है, हम उसका इस्तेमाल करने जा रहे हैं, ताकि अंतर्राष्ट्रीय सीमा की पूरी तरह सुरक्षा हो।”

मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल तथा उनके मंत्रिमंडल की प्रशंसा करते हुए गृह मंत्री ने कहा कि राज्य सरकार ने असम में विदेशियों के लिए न्यायाधिकरण की संख्या 35 से 100 करने के लिए कदम उठाए हैं और नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजेंस को आधुनिक करने को प्राथमिकता दी है।

राजनाथ ने कहा कि इससे पहले भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) एक सांप्रदायिक पार्टी के रूप में जानी जाती थी, लेकिन वह छवि अब पूरी तरह धुल चुकी है। उन्होंने कहा, “अगर भाजपा एक सांप्रदायिक पार्टी होती, तो उसे लोकसभा में स्पष्ट जनादेश नहीं मिला होता।”उन्होंने कहा कि भाजपा असम में भी सत्ता में आने में सफल रही, लेकिन इस सरकार के समक्ष अभी कई चुनौतियां हैं।

गृहमंत्री ने कहा, “असम में व्यवस्था तथा प्रशासनिक प्रणाली में बदलाव की जरूरत है। सरकार की कार्यप्रणाली में भी रचनात्मक एवं प्रक्रियात्मक बदलाव की जरूरत है। भ्रष्टाचार को उखाड़ फेंकने के लिए मुख्यमंत्री ने कई कदम उठाए हैं और मुझे इस बात की खुशी है कि सरकार लोगों का दिल जीतने में सफल रही है।”

 

नेशनल

जानिए कौन हैं वो चार लोग, जिन्हें पीएम मोदी ने नामांकन के लिए अपना प्रस्तावक चुना

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वाराणसी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वाराणसी के काल भैरव मंदिर में दर्शन करने के बाद अपना नामांकन दाखिल कर दिया। पीएम मोदी ने वाराणसी से तीसरी बार अपना नामांकन दाखिल किया है। पीएम मोदी के नामांकन में गृह मंत्री अमित शाह और राजनाथ सिंह समेत 20 केंद्रीय मंत्री मौजूद रहे। इसके अलावा 12 राज्यों के सीएम भी शामिल हुए। पीएम मोदी के नामांकन के दौरान उनके साथ चार प्रस्तावक भी कलेक्ट्रेट में मौजूद रहे।

इनमें एक पुजारी, दो ओबीसी और एक दलित समुदाय के व्यक्ति का नाम है। दरअसल पीएम मोदी के नामांकन के दौरान चार प्रस्तावक मौजूद रहे। इनमें पहला नाम आचार्य गणेश्वर शास्त्री का है, जो कि पुजारी हैं। इसके बाद बैजनाथ पटेल पीएम मोदी के नामांकन के दौरान प्रस्तावक बने, जो ओबीसी समुदाय से आते हैं। वहीं लालचंद कुशवाहा भी पीएम के नामांकन में प्रस्तावक के तौर पर शामिल हुए। ये भी ओबीसी समाज से आते हैं। पीएम मोदी के प्रस्तावकों में आखिरी नाम संजय सोनकर का भी है, जो कि दलित समुदाय से हैं।

चुनाव में प्रस्तावक की भूमिका अहम होती है। ये ही वे लोग होते हैं, जो किसी उम्मीदवार के नाम का प्रस्ताव रखते हैं। निर्वाचन आयोग के मुताबिक, प्रस्तावक वे स्‍थानीय लोग होते हैं, जो किसी उम्मीदवार को चुनाव लड़ने के लिए अपनी ओर से प्रस्तावित करते हैं। आमतौर पर नामांकन के लिए किसी महत्वपूर्ण दल के वीआईपी कैंडिडेट के लिए पांच और आम उम्मीदवार के लिए दस प्रस्तावकों की जरूरत होती है।

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