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अन्तर्राष्ट्रीय

यमन हमले में आईएस की संलिप्तता के साक्ष्य नहीं : अमेरिका

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वाशिंगटन | यमन की राजधानी सना और सदा प्रांतों में शुक्रवार को जुमे की नमाज के दौरान हुए आत्मघाती हमलों की जिम्मेदारी आतंकवादी समूह इस्लामिक स्टेट (आईएस) ने ली है।

लेकिन व्हाइट हाउस की ओर से शुक्रवार को जारी बयान एक में कहा गया है कि अमेरिका इस बात की पुष्टि नहीं कर सकता कि यमन हमलों में आईएस का हाथ रहा है। गौरतलब है कि शुक्रवार को जुमे की नमाज के दौरान यमन की राजधानी सना और सदा प्रांत की मस्जिदों में हुए तीन बम विस्फोटों में कम से कम 137 लोग मारे गए और लगभग 350 लोग घायल हो गए। आईएस ने इस हमले की जिम्मेदारी ली है। व्हाइट हाउस के प्रवक्ता जोस अर्नेस्ट ने कहा, “इस स्तर पर यमन में इन चरमपंथियों और इराक व सीरिया में आईएसआईएल लड़ाकों के बीच संबंधों के कोई स्पष्ट साक्ष्य नहीं मिले हैं।”

समाचार एजेंसी सिन्हुआ के मुताबिक, अर्नेस्ट ने कहा कि अमेरिका इस मामले की जांच कर रहा है कि क्या इन हमलों के लिए आतंकवादियों को बाहर से निर्देशित और नियंत्रित किया जा रहा था। इससे आईएस के दावे की पुष्टि के लिए साक्ष्य मिल सकते हैं। अर्नेस्ट ने पिछले सप्ताह आईएस द्वारा ट्यूनीशिया में किए गए हमलों की जिम्मेदारी लेने के दावों पर भी सवाल उठाए। क्योंकि उनका मानना है कि आईएस आमतौर पर दुष्प्रचार के लिए इस तरह के दावे करता रहता है। अमेरिकी विदेश विभाग द्वारा शुक्रवार को जारी बयान के मुताबिक, अमेरिका ने यमन में इन आत्मघाती हमलों की भर्त्सना करते हुए हमलावरों की क्रूरता की निंदा की है।

अन्तर्राष्ट्रीय

पाकिस्तान के रक्षा मंत्री का बयान, ‘पाकिस्तान के इस सैन्य तानाशाह को कब्र से निकालकर फांसी पर लटकाना चाहिए’

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नई दिल्ली। पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने नेशनल असेंबली में एक बहस के दौरान कहा कि संविधान को निरस्त करने के लिए अयूब खान के शव को कब्र से निकालकर उसको फांसी पर लटका दिया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि अयूब खान ने संविधान को रद्द करने का जो काम किया था, उसके लिए उनको कभी माफ नहीं किया जा सकता है। आसिफ ने ये कमेंट असेंबली में विपक्ष के नेता और अयूब खान के पोते उमर अयूब खान से बहस के दौरान किया। उमर ने सेना की पिछले सप्ताह की प्रेस कॉन्फ्रेंस पर सवाल उठाते हुए फौज के राजनीति में हस्तक्षेप पर एतराज जताया था। इसके बाद जवाब में ख्वाजा ने कड़ी प्रतिक्रिया दी।

इससे पहले उमर अयूब खान ने कहा कि संविधान के अनुसार सुरक्षा एजेंसियां राजनीति में शामिल नहीं हो सकती हैं। उन्होंने संविधान के विभिन्न अनुच्छेदों का हवाला देते हुए कहा कि सैन्य अधिकारियों की शपथ उन्हें राजनीति में हस्तक्षेप करने की इजाजत नहीं देती। उन्होंने कहा ‘‘सुरक्षा संस्थानों को संविधान के अनुसार, राजनीति में शामिल नहीं होना चाहिए। यह संवाददाता सम्मेलन नहीं होना चाहिए था।’’ उन्होंने अनुच्छेद छह का हवाला देते हुआ कहा कि संविधान को निरस्त करना दंडनीय देशद्रोह है जिसके लिए मौत की सजा तय है। उन्होंने आग्रह किया कि सभी संस्थानों को संवैधानिक सीमाओं के भीतर रहना चाहिए।

रक्षा मंत्री आसिफ ने कहा कि अयूब खान संविधान का उल्लंघन करने वाले पहले व्यक्ति थे और उन्हें अनुच्छेद छह का सामना करने वाला भी पहला व्यक्ति होना चाहिए। रक्षा मंत्री आसिफ ने कहा, “देश में पहला मार्शल लॉ लागू करने वाले झूठे फील्ड मार्शल अयूब खान के शरीर को भी (अनुच्छेद 6 के अनुसार) खोदकर निकाला जाना चाहिए और फांसी दी जानी चाहिए।”

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