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मिस्र के राष्ट्रपति ने प्रणब मुखर्जी से मुलाकात की
नई दिल्ली| मिस्र के राष्ट्रपति अब्देल फतह अल-सीसी ने गुरुवार को राष्ट्रपति भवन में राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी से मुलाकात की। अल-सीसी का स्वागत करते हुए मुखर्जी ने कहा, “तीसरे भारत-अफ्रीका शिखर सम्मेलन में मिस्र की भागीदारी से भारत के अफ्रीका के साथ संबंध और प्रगाढ़ होंगे।”
उन्होंने कहा, “मिस्र के साथ संबंधों को भारत बेहद महत्वपूर्ण मानता है। भारत क्षेत्र में मिस्र को एक बड़ी शक्ति और एशिया व अफ्रीका के बीच एक पुल मानता है।”
राष्ट्रपति भवन की ओर से जारी बयान में कहा गया है, “भारत और मिस्र ने हमेशा विश्व में शांति और विकास के लिए मिलकर काम किया है। भारत मिस्र का छठा सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है और मिस्र का तीसरा सबसे बड़ा निर्यात गंतव्य है।”
राष्ट्रपति ने कहा, “मिस्र में भारतीय निवेश तीन अरब अमेरिकी डॉलर तक पहुंच गया है, जिससे प्रौद्योगिकी का प्रवाह संभव हुआ है तथा लगभग 35,000 मिस्रवासियों को रोजगार प्राप्त हुआ है। इस व्यापारिक साझेदारी से निर्यात आय में बढ़ोतरी हुई है।”
राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने एक साल के अंदर नई स्वेज नहर पूरा कर लेने के लिए मिस्र की सरकार को बधाई दी। उन्होंने कहा कि नई स्वेज नहर के आसपास नए औद्योगिक क्षेत्रों के विकास से आर्थिक संबंध और मजबूत होंगे।
मुखर्जी ने कहा कि भारत मिस्र के साथ अपने संबंधों को प्रगाढ़ बनाने के लिए तीन बिंदुओं पर काम करने का इच्छुक है- नजदीकी राजनीतिक एवं सुरक्षा सहयोग, गहन आर्थिक आदान-प्रदान और वैज्ञानिक सहयोग। इसके अलावा भारत चाहता है कि दोनों देशों के बीच सांस्कृतिक संपर्क और दोनों देशों के नागरिकों के बीच आदान-प्रदान बढ़े।
उन्होंने कहा कि अब्देल फतह अल-सीसी का भारत आगमन भारत-मिस्र संबंधों को नई दिशा देगा और दोनों देशों के बीच संबंधों के एक नए युग की आधारशिला रखेगा।
वहीं, मिस्र के राष्ट्रपति ने कहा, “भारत और मिस्र के संबंध ऐतिहासिक हैं तथा उन्हें आगे बढ़ाने के लिए मिस्र प्रतिबद्ध है। मिस्र के राष्ट्रपति ने कहा कि उनका देश भारतीय निवेश का स्वागत करता है और मिस्र की आकांक्षा है कि वह भारत की विशेषज्ञता, प्रौद्योगिकी और अनुभव से लाभ उठाए।”
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जानिए कौन हैं वो चार लोग, जिन्हें पीएम मोदी ने नामांकन के लिए अपना प्रस्तावक चुना
वाराणसी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वाराणसी के काल भैरव मंदिर में दर्शन करने के बाद अपना नामांकन दाखिल कर दिया। पीएम मोदी ने वाराणसी से तीसरी बार अपना नामांकन दाखिल किया है। पीएम मोदी के नामांकन में गृह मंत्री अमित शाह और राजनाथ सिंह समेत 20 केंद्रीय मंत्री मौजूद रहे। इसके अलावा 12 राज्यों के सीएम भी शामिल हुए। पीएम मोदी के नामांकन के दौरान उनके साथ चार प्रस्तावक भी कलेक्ट्रेट में मौजूद रहे।
इनमें एक पुजारी, दो ओबीसी और एक दलित समुदाय के व्यक्ति का नाम है। दरअसल पीएम मोदी के नामांकन के दौरान चार प्रस्तावक मौजूद रहे। इनमें पहला नाम आचार्य गणेश्वर शास्त्री का है, जो कि पुजारी हैं। इसके बाद बैजनाथ पटेल पीएम मोदी के नामांकन के दौरान प्रस्तावक बने, जो ओबीसी समुदाय से आते हैं। वहीं लालचंद कुशवाहा भी पीएम के नामांकन में प्रस्तावक के तौर पर शामिल हुए। ये भी ओबीसी समाज से आते हैं। पीएम मोदी के प्रस्तावकों में आखिरी नाम संजय सोनकर का भी है, जो कि दलित समुदाय से हैं।
चुनाव में प्रस्तावक की भूमिका अहम होती है। ये ही वे लोग होते हैं, जो किसी उम्मीदवार के नाम का प्रस्ताव रखते हैं। निर्वाचन आयोग के मुताबिक, प्रस्तावक वे स्थानीय लोग होते हैं, जो किसी उम्मीदवार को चुनाव लड़ने के लिए अपनी ओर से प्रस्तावित करते हैं। आमतौर पर नामांकन के लिए किसी महत्वपूर्ण दल के वीआईपी कैंडिडेट के लिए पांच और आम उम्मीदवार के लिए दस प्रस्तावकों की जरूरत होती है।
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