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प्रादेशिक

महोबा : कालिंजर, गोवर्धन मेले पर नोटबंदी के काले बादल

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महोबा : कालिंजर, गोवर्धन मेले पर नोटबंदी के काले बादल

महोबा । प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा आठ नवंबर को घोषित नोटबंदी का असर यहां चल रहे गोवर्धन मेला और कालिंजर मेले पर साफ नजर आ रहा है। दुकानदार से लेकर ग्राहक तक सभी परेशान हैं। राम सारीफ (55) महोबा के गोवर्धन मेले में प्लास्टिक के सामान की दुकान लगाए हुए हैं। पिछले 12 साल से इस मेले से लाखों रुपये कमाने वाले सारीफ नोटबंदी के कारण इस बार हजारों भी नहीं कमा पा रहे हैं। वह कहते हैं, “हर ग्राहक हजार और पांच सौ रुपये का नोट दे रहा है, जिसके कारण न चाहते हुए भी ग्राहकों को खाली हाथ भेजना पड़ रहा है।” उनके व्यापार को इस नोटबंदी के कारण 50 फीसदी तक नुकसान हुआ है।

महोबा के कालिंजर मेले में भी व्यापारी ग्राहकों की जेब से पैसा नहीं निकलने के कारण दुखी हैं। कालिंजर मेले में आए सुल्तान अली (58) कहते हैं कि नोटबंदी के कारण मेले में लोगों की भीड़ कम है। वह कहते हैं, “यहां दो तरह की बातें हो रही हैं। एक तो लोगों के पास नकदी नहीं है, दूसरे जिनके पास है, तो सिर्फ पांच सौ और हजार रुपये के नोट हैं। इन नोटों को कोई दुकानदार नहीं लेना चाह रहा है।”

महोबा के कालिंजर किले में लगने वाले इस मेले में आम तौर पर चार लाख पर्यटक आते हैं, पर इस बार पर्यटकों की संख्या कम है, जो आए हैं, वे भी जेब से नकदी खर्च करने से डर रहे हैं।

जिया लाल (54) इस मेले में अपनी गायक मंडली के साथ आए हुए हैं। वह हर साल यहां आकर अच्छी कमाई करके जाते थे, पर इस बार उनके गानों को सुनने वाले भी खुश होकर पैसे न्यौछावर करने से डर रहे हैं। यही दर्द अरविन्द कुमार का भी है। उनके सामान नहीं बिक रहे हैं। यहां आए सभी व्यापारी बिना पैसे कमाए खाली हाथ लौटने से दुखी हैं।

चंदेल शासकों के कालिंजर किले में लगने वाले इस मेले को कार्तिक मेला भी कहते हैं।

महोबा के गोवर्धन मेले में भी व्यापारी हताश होकर इस मेले के आने-जाने में लगने वाले भाड़े के पैसे ही निकल जाने की आशा कर रहे हैं।

मेले में बर्तनों की दुकान लगाए पुनीत झा (48) यहां 13 हजार रुपये खर्च करके आए हुए हैं। लेकिन कमाई न होने से उन्हें यहां एक महीने तक रहना मुश्किल हो गया है।

 

एक महीने तक चलने वाले गोवर्धन मेले में खेल-खिलौने से लेकर जरूरत के हर सामान जैसे कपड़े, घर और पूजा के सामान आदि मिलते हैं। इस मेले का महोबा के आस-पास रहने वाले सालभर इंतजार करते रहते हैं।

 

इस मेले की शुरुआत महाराजा मलखान सिंह जयदेव ने 1883 में की थी। लेकिन आठ नवम्बर के प्रधानमंत्री के नोटबंदी के फैसले ने इन दोनों मेलों की रौनक फीकी कर दी है।

उत्तर प्रदेश

मोहिनी दुबे हत्याकांड: IAS के ड्राइवर ने भाई और साथी के साथ मिलकर दिया था वारदात को अंजाम, मुठभेड़ के बाद गिरफ्तार

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लखनऊ। उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के इंदिरा नगर इलाके में रिटायर्ड आईएएस देवेंद्र नाथ दुबे की पत्नी की हत्या के आरोपी तीनों बदमाशों को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। इसी के साथ पुलिस ने उनके पास से लूटा गया जेवर और नगदी भी बरामद कर ली है। इस पूरी वारदात को देवेंद्र नाथ के ड्राइवर अखिलेश, उसके भाई रवि और एक साथी रंजीत ने अंजाम दिया था।

मंगलवार को पुलिस मोहिनी दुबे हत्याकांड के आरोपियों को पकड़ने गई थी। तभी आरोपियों ने पुलिस के ऊपर फायरिंग कर दी।
जवाबी फायरिंग में एक बदमाश के पैर में गोली लगी है। लखनऊ की इंदिरा नगर क्राइम ब्रांच और पुलिस टीम मुठभेड़ में शामिल हुई थी। तीनों आरोपियों को मुठभेड़ के बाद गिरफ्तार कर लिया गया। मुठभेड़ के दौरान बड़ी संख्या में पुलिसबल और सादी वर्दी में पुलिस अधिकारी घटनास्थल पर मौजूद रहे। वारदात को रवि व रंजीत ने अंजाम दिया था जबकि अखिलेश देवेंद्रनाथ दुबे को लेकर वापस लौटा था। पुलिस टीम अब से कुछ ही देर में प्रेस कांफ्रेंस कर मामले का खुलासा करेगी। हत्यारे वारदात के बाद दोनों नीले रंग की स्कूटी से भागते हुए सीसीटीवी कैमरे में कैद हो गए थे।

बता दें कि इंदिरानगर सेक्टर 20 में शनिवार सुबह सेवानिवृत आईएएस देवेंद्र दुबे के घर में घुसकर बदमाशों ने उनकी पत्नी मोहिनी की हत्या कर दी थी। इसके बाद अलमारी में रखे जेवरात और नकदी लूट ले गए थे। मामले में पुलिस को पहले भी ड्राइवरों पर ही शक था। कई पुख्ता सुबूत इस ओर इशारा कर रहे थे। दोनों चालकों रवि और अखिलेश से सोमवार को पुलिस ने लंबी पूछताछ की थी। दोनों के अलावा और भी कई लोगों से पुलिस ने पूछताछ की थी। सीसीटीवी फुटेज से पता चला था कि बदमाश नीले रंग की स्कूटी से आए थे और उसी से भागे थे। हत्यारों ने अपने परिचित की स्कूटी का इस्तेमाल किया। नंबर प्लेट निकाल दी थी। स्कूटी पुलिस ने बरामद कर ली थी। वहीं, सीसीटीवी से हत्यारों की पहचान भी हो गई थी।

 

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