प्रादेशिक
भोपाल गैस त्रासदी : विधवाओं को अब मौत का इंतजार
भोपाल| मध्य प्रदेश की राजधानी में 30 वर्ष पहले यूनियन कार्बाइड संयंत्र से हुए गैस रिसाव ने हजारों सुहागिनों को विधवा बना दिया था। घटना के तीन दशक बाद भी इन विधवाओं की जिंदगी से अंधियारा नहीं मिट पाया है। उनमें से कई विधवाएं अब ईश्वर से अपने लिए मौत मांग रही हैं।
हादसे में अपने जीवनसाथी को गंवाने वाली महिलाओं को बसाने के लिए हाउसिंग बोर्ड द्वारा बनाई गई कालोनी की पहचान ही विधवा कालोनी की हो गई है। इस कालोनी में रहने वाली विधवाओं को वे सुविधाएं नसीब नहीं हो पाई हैं, जो आरामदायक जीवन के लिए जरूरी होती हैं।
मेवा बाई बताती हैं कि हादसे के वक्त वह छोला में रहती थीं। उनकी जिंदगी खुशहाल थी। पति किशन स्टेशन के करीब फर्नीचर की दुकान पर काम करते थे, मगर दो-तीन दिसंबर 1984 की दरम्यानी रात में उनकी जिंदगी को ग्रहण लग गया। गैस त्रासदी ने उनसे पति को छीन लिया और खुद उन्हें सांस फूलने की बीमारी दे दी। अब वह मर-मर कर जी रही हैं। चार कदम भी चल नहीं पातीं।
वह कहती हैं कि बीमारी ने उनका जीवन नरक बना दिया है, अस्पतालों से दवाएं नहीं मिलती। आर्थिक स्थिति ऐसी नहीं है कि दवा खरीद सकें।
इसी कालोनी की कुसुम बाई हादसे की चर्चा छिड़ते ही सहम जाती हैं। वह बताती हैं कि उनके पति जयराम को गैस ने निगल लिया। आज वह खुद बीमारियों से लड़ रही हैं। वह खाना नहीं खा पातीं और चलने में भी तकलीफ होती है। समस्याओं ने उनकी जिंदगी को पहाड़ बना दिया है। वह भगवान से कामना करती हैं कि इस जीवन से मुक्ति दिला दे।
विधवा कालोनी में रहने वाला हर परिवार समस्याओं और परेशानियों से दो-चार हो रहा है। यहां रहने वाली मुनीफा बी ने अपने पिता गुलाब खां को भोपाल गैस त्रासदी में खो दिया। वह कहती हैं कि सरकार ने तरह-तरह के वादे किए, लेकिन किया कुछ नहीं।
मुनीफा ने कहा कि पूरे देश में सफाई अभियान की बात चल रही है, लेकिन यहां विधवाओं की कालोनी में कोई सफाई करने आने के लिए तैयार नहीं है।
भोपाल गैस पीड़ित महिला उद्योग संगठन के संयोजक अब्दुल जब्बार कहते हैं कि जहरीली गैस से अपनों को गंवा चुकी विधवाओं का बुरा हाल है। इन महिलाओं को अब पेंशन पाने के लिए भटकना पड़ रहा है।
जब्बार के अनुसार, भोपाल गैस पीड़ितों के लिए गठित मंत्री समूह ने जून 2010 को विधवाओं को अगले पांच वर्ष तक एक हजार रुपये मासिक आजीविका पेंशन दिए जाने का निर्णय लिया था। यह पेंशन अप्रैल, 2014 से बंद कर दी गई।
हादसे में पति को गंवा चुकी अनेक महिलाएं ऐसी हैं, जिनके पास आय का कोई अन्य जरिया नहीं है। उनके लिए पेंशन ही एक मात्र सहारा थी। पेंशन अटक जाने से उनकी मुसीबतें और बढ़ गई हैं।
उत्तर प्रदेश
बिजनौर में छात्र ने महिला टीचर को मारी गोली, कंप्यूटर इंस्टीट्यूट में घुसकर वारदात को दिया अंजाम
बिजनौर। उत्तर प्रदेश के बिजनौर से एक सनसनीखेज मामला सामने आया है। यहां एक छात्र ने कंप्यूटर इंस्टीट्यूट में घुसकर महिला टीचर को गोली मार दी। गोली लगते ही महिला टीचर वहीं गिर पड़ी। उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया है जहां उनकी हालत गंभीर बनी हुई है। उधर वारदात को अंजाम देने के बाद आरोपी छात्र वहां से फरार हो गया।
घायल महिला टीचर की पहचान बिजनौर शहर के चौधरियान मोहल्ला निवासी कोमल देवल के रूप में हुई। पुलिस के मुताबिक, शुक्रवार सुबह करीब 10:35 बजे नूरपुर रोड स्थित आरसीटीआई कम्प्यूटर सेंटर में एक अध्यापिका को सेंटर में ही पढ़ने वाले छात्र ने गोली मार दी।
सूचना पर तत्काल पुलिस पहुंची और घायल अध्यापिका को जिला अस्पताल में भर्ती कराया। यहां से महिला को बेहतर इलाज के लिए मेरठ हायर सेंटर रेफर कर दिया गया। पुलिस ने बताया कि शुरुआती जांच में पता चला है कि घटना को प्रशांत नामक छात्र ने अंजाम दिया है। उसकी गिरफ्तारी के प्रयास किए जा रहे हैं।
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