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भूमि अधिग्रहण बिल पर मोदी सरकार के खिलाफ अन्ना की ‘हुंकार’

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नई दिल्ली। भूमि अधिग्रहण बिल केंद्र सरकार के लिए मुसीबत बन सकता है। समाजसेवी अन्ना हजारे सोमवार से राष्ट्रीय राजधानी के जंतर-मंतर पर दो दिन के लिए धरने पर बैठ गए हैं। इस धरने में हिस्सा लेने के लिए हजारों किसानों के दिल्ली पहुंचने की संभावना है।

अधिग्रहण कानून में किए जा रहे संशोधन के खिलाफ अन्ना हजारे ने तल्ख तेवर दिखाते हुए कहा है कि आने वाले 3-4 महीनों में किसान बड़ा आंदोलन करेंगे। इस धरने में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और कांग्रेस नेता राहुल गांधी भी शामिल हो सकते हैं। हालांकि अन्ना ने साफ कहा है कि धरने में केजरीवाल व राहुल हिस्सा ले सकते हैं, लेकिन अन्ना उनके साथ मंच साझा नहीं करेंगे। उन्हें आम कार्यकर्ताओं के बीच ही बैठना होगा।

उल्लेखनीय है कि यूपीए सरकार के दौरान भी अन्ना लोकपाल बिल लागू कराने को लेकर अन्ना 2011 में जबरदस्त आंदोलन कर चुके हैं। इस दौरान उनके साथ अरविंद केजरीवाल और किरण बेदी जैसे अहम सहयोगी थे। लेकिन अब दोनों राजनीति में प्रवेश कर चुके हैं। इस बार अन्ना के साथ नई टीम होगी।

अन्ना ने कहा है कि 2013 में तत्कालीन यूपीए सरकार ने संसद ने भूमि अधिग्रहण बिल पास किया था। बिल में प्रावधान था कि गांव की जमीन अधिग्रहित करनी है तो गांव के 70 प्रतिशत किसानों की सहमति जरूरी है। सिंचाई हेतु उपयोग होने वाली भूमि अधिग्रहित नही करने की व्यवस्था की गई थी। अधिग्रहित भूमि पर अगर पांच साल में विकास नहीं हुआ तो वही भूमि फिर से किसानों को वापस मिलने की भी व्यवस्था भी की गई थी। साथ ही अधिग्रहित भूमि के बदले में किसानों के पुनर्व्यवस्था का भी उचित प्रबंध किया गया था। लेकिन अब देश की सत्ता में आई मोदी सरकार ने अध्यादेश जारी कर किसान विरोधी निर्णय लिए हैं। इसमें 70 प्रतिशत किसानों की सहमति वाले प्रावधान को बाहर निकाल दिया है। यह सबसे बडा धोखा है।

अन्ना के साथ मेधा पाटकर, गोविंदाचार्य, डॉ. सुब्बा राव, राजेंद्रसिंग, अमरनाथ भाई, अखिल गोगई, डॉ. सुनिलम्, राकेश रफिक, सुफी गिलानी, विश्वंभर चौधरी, विनायक पाटील, अक्षयकुमार, भूतपूर्व कर्नल नैन, भूतपूर्व कमांडर यशवंत प्रकाश शर्मा सहित देश से 70 से 80 अलग अलग संघटन के लोग जंतरमंतर पर धरने पर बैठेंगे।

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कोर्ट ने बृजभूषण से पूछा- आप गलती मानते हैं, बोले- सवाल ही उठता, मेरे पास बेगुनाही के सारे सबूत

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नई दिल्ली। महिला पहलवानों से यौन शोषण मामले में भाजपा सांसद बृजभूषण शरण सिंह मंगलवार को दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट में पेश हुए। कोर्ट ने उन्हें उनके खिलाफ तय किए आरोप पढ़कर सुनाए। इसके बाद कोर्ट ने बृजभूषण से पूछा कि आप अपने ऊपर लगाए गए आरोप स्वीकार करते हैं? इस पर बृजभूषण ने कहा कि गलती की ही नहीं मानने का सवाल ही नहीं उठता। इस दौरान कुश्ती संघ के पूर्व सहायक सचिव विनोद तोमर ने भी स्वयं को बेकसूर बताया। तोमर ने कहा कि हमनें कभी भी किसी पहलवान को घर पर बुलाकर न तो डांटा है और न ही धमकाया है। सभी आरोप झूठे हैं।

मीडिया द्वारा यह पूछे जाने पर कि क्या आरोपों के कारण उन्हें चुनावी टिकट की कीमत चुकानी पड़ी, इस पर बृजभूषण सिंह ने मुस्कुराते हुए जवाब दिया, “मेरे बेटे को टिकट मिला है।” बता दें कि उत्तर प्रदेश से छह बार सांसद रहे बृजभूषण शरण सिंह को इस बार भाजपा ने टिकट नहीं दिया है। पार्टी उनकी बजाय, उनके बेटे करण भूषण सिंह को कैसरगंज सीट से टिकट दिया है, जिसका बृजभूषण तीन बार प्रतिनिधित्व कर चुके हैं।

बृजभूषण सिंह ने सीसीटीवी रिकाॅर्ड और दस्तावेजों से जुड़े अन्य विवरण मांगने के लिए बृजभूषण सिंह ने आवेदन दायर किया है। उनके वकील ने कहा कि उनके दौरे आधिकारिक थे। मैं विदेश में उसी होटल में कभी नहीं ठहरा जहां खिलाड़ी स्टे करते थे। वहीं दिल्ली कार्यालय की घटनाओं के दौरान भी मैं दिल्ली में नहीं था। बता दें कि कोर्ट इस मामले में जल्द ही अपना फैसला सुना सकता है। कोर्ट ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का आदेश है कि एमपी-एमएलए मामलों में लंबी तारीखें नहीं दी जाएं। हम 10 दिन से अधिक की तारीख नहीं दे सकते।

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