प्रादेशिक
बिजली नहीं रहने पर बहू का ससुराल में रहने से इंकार
पटना| एक ओर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जहां राज्य में बिजली की स्थिति नहीं सुधरने पर अगले विधानसभा चुनाव में वोट नहीं मांगने की बात करते रहे हैं, वहीं एक विवाहिता ने ससुराल के गांव में बिजली नहीं रहने के कारण वहां रहने से ही इंकार कर दिया। यह मामला पटना जिले के धनरूआ थाना क्षेत्र का है।
पुलिस के अनुसार, धनरूआ थाना क्षेत्र के बरनी गांव निवासी रामाशीष पासवान के बेटे शशिभूषण का विवाह तीन वर्ष पूर्व पटना के मीठापुर निवासी प्रेमनाथ पासवान की बेटी रेणु कुमारी से हुआ था। लेकिन रेणु ससुराल में बिजली नहीं रहने तथा गंदगी के कारण ससुराल में नहीं रहना चाहती थी।
परिजनों के मुताबिक, रेणु अब तक ससुराल में बमुश्किल तीन महीने ही रही है। इस जनवरी में रेणु ने एक बच्चे को जन्म दिया। अपने बच्चे के सतइसा में एक अप्रैल को वह अपनी ससुराल बरनी गांव आई थी। रेणु के साथ उसकी मां, बहन और जीजा भी थे।
सतइसा (एक प्रकार की पूजा-पाठ) कार्यक्रम संपन्न होने के अगले दिन गुरुवार को रेणु के ससुराल पक्ष का एक रिश्तेदार बच्चे को लेकर गांव में घुमा रहा था, तभी रेणु की मां और बहन ने बच्चे को उसकी गोद से छीनते हुए कहा कि घर के पास पॉल्ट्री फार्म है, इससे बच्चे को बीमारी हो सकती है।
इसी बात पर दोनों पक्षों में विवाद हो गया। रेणु का कहना है कि गांव में बिजली नहीं है और चारों तरफ गंदगी है, ऐसे में वह ससुराल में नहीं रह सकती। रेणु अपने मायके जाना चाह रही थी और उसका पति उसे अपने घर रखना चाहता था। मामला थाने तक पहुंच गया।
धनरूआ के थाना प्रभारी अजीत कुमार ने शुक्रवार को बताया कि दोनों पक्षों ने शिकायत दर्ज करा न्याय की गुहार लगाई है। उन्होंने बताया कि दोनों पक्षों को समझाने का प्रयास किया गया, लेकिन रेणु के मायकेवालों और रेणु के सामने शशिभूषण की एक न चली और रेणु अपनी मां के साथ अपने मायके चली गई।
बहरहाल, यह मामला क्षेत्र में चर्चा का विषय में बना हुआ है।
प्रादेशिक
गोयल इंस्टीट्यूट के छात्रों ने स्ट्रिंग पोर्ट्रेट थ्रेड आर्ट कला विधि से बनाया पीएम मोदी का पोर्ट्रेट
लखनऊ। गोयल इंस्टीट्यूट ऑफ़ हाईयर स्टडीज महाविद्यालय लखनऊ के ललित कला विभाग के छात्रों ने 30 फीट के आकार में स्ट्रिंग पोर्ट्रेट थ्रेड आर्ट की कला से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का पोर्ट्रेट बनाया।
यह दृश्य कला की नई विधा में धागे से बना पोर्ट्रेट अपने आप में खास है। इसे बनाने में कुल 30 घंटे का समय लगा। जिसमें धागे का वजन लगभग 15 किलो तथा उस धागे की कुल लंबाई लगभग 45 किलोमीटर है। छात्रों ने बताया कि चित्र के आकार में इस प्रकार की कला में यह अब तक का सबसे बड़ा आर्टवर्क है जो इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड, लिम्का बुक ऑफ द रिकॉर्ड, इंटरनेशनल बुक ऑफ द रिकॉर्ड तथा गिनीज़ बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड के लिए प्रस्तावित है।
आठ छात्रों की टीम (ब्रेकअप टीम) का नेतृत्व बाराबंकी स्थित अमोली कला, रामनगर निवासी देवाशीष मिश्रा द्वारा किया गया। टीम के अन्य महत्वपूर्ण सदस्यों में अभिषेक महाराणा, आदर्श शांडिल्य, लारैब कमाल खान, अभय यादव, सानिध्य गुप्ता, आरुषि अग्रवाल व कृतिका जैन का नाम शामिल है। इसका संचालन डॉक्टर संतोष पांडेय, प्राचार्य गोयल इंस्टीट्यूट आफ हायर स्टडीज महाविद्यालय ने किया। निरीक्षण श्रीमती शिखा पांडेय वह राकेश प्रभाकर द्वारा किया गया। इसमें ललित कला विभाग के प्राध्यापकों व समस्त छात्रों के सहयोग रहा।
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