अन्तर्राष्ट्रीय
बान की मून ने जलवायु परिवर्तन पर चीन की निर्णायक भूमिका सराही
संयुक्त राष्ट्र। संयुक्त राष्ट्र महासचिव बान की मून ने जलवायु परिवर्तन से निपटने में चीन की निर्णायक एवं सक्रिय भूमिका की सराहना की।
बान की मून ने चीन द्वारा दक्षिण-दक्षिण सहयोग को बढ़ावा देने और शेष विश्व के साथ मिलकर स्थाई भविष्य का निर्माण करने की दिशा में सहयोग बढ़ाने की उसकी प्रतिबद्धता की प्रशंसा की। संयुक्त राष्ट्र महासचिव ने सार्वभौमिक समझौते का उल्लेख करते हुए कहा, “चीन ने पेरिस समझौते पर चर्चा में एक निर्णायक एवं सक्रिया भूमिका निभाई है। इस समझौते को जलवायु परिवर्तन पर पेरिस सम्मेलन में पेश किए जाने की उम्मीद है। यह सम्मेलन 30 नवंबर से 11 दिसंबर तक होगा।
बान की मून ने कहा, “मुझे पूरा यकीन है कि चीन भेदभाव और जलवायु वित्त के मुद्दे पर पेरिस में इस तरह की सराहनीय भूमिका निभाना जारी रखेगा।” चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग की अमेरिका यात्रा के दौरान शी और बराक ओबामा के बीच जलवायु परिवर्तन पर चीन-अमेरिका ने एक संयुक्त बयान जारी किया गया था, जिसमें दोनों देशों द्वारा पेरिस में होने वाले जलवायु सम्मेलन में मिलकर काम करने की प्रतिबद्धता जताई गई थी।
बान की मून ने कहा, “जलवायु परिवर्तन पर चीन-फ्रांस के संयुक्त बयान में भी कई समस्याओं का उल्लेख किया गया, जिससे पेरिस में एक सफल समझौते के लिए सही मार्ग खोजने की दिशा में लाभ मिला है।”
अन्तर्राष्ट्रीय
कुवैत में संसद भंग, सभी कानून और संविधान के कुछ अनुच्छेद निलंबित
नई दिल्ली। कुवैत के अमीर शेख मिशाल ने संसद को भंग कर दिया है। अमीर ने शुक्रवार को सरकारी टीवी पर एक संबोधन में इसकी घोषणा की। इसके अलावा अमीर ने देश के सभी कानूनों के साथ संविधान के कुछ अनुच्छेदों को चार साल तक के लिए निलंबित कर दिया है। इस दौरान देश में लोकतांत्रिक प्रक्रिया के सभी पहलुओं का अध्ययन किया जाएगा। सरकारी टीवी के मुताबिक, इस दौरान नेशनल असेंबली की सभी शक्तियां अमीर और देश की कैबिनेट के पास होंगी।
एमीर ने सरकारी टीवी पर दिए अपने संबोधन में संसद भंग करने की घोषणा करते हुए कहा, “कुवैत हाल ही में बुरे वक्त से गुजर रहा है, जिसकी वजह से किंगडम को बचाने और देश के हितों को सुरक्षित करने के लिए कड़े फैसले लेने में झिझक या देरी करने के लिए कोई गुंजाइश नहीं है। उन्होंने आगे कहा कि पिछले कुछ सालों में देश के कई डिपार्टमेंट्स में भ्रष्टाचार बढ़ गया है। भ्रष्टाचार की वजह से देश का महौल खराब हो रहा है। अफसोस की बात ये है कि भ्रष्टाचार सुरक्षा और आर्थिक संस्थानों तक फैल गया है। साथ ही अमीर ने न्याय प्रणाली में भ्रष्टाचार होने की बात कही है।
कुवैत पिछले कुछ सालों से घरेलू राजनीतिक विवादों से घिरा रहा है। देश का वेल्फेयर सिस्टम इस संकट का एक प्रमुख मुद्दा रहा है और इसने सरकार को कर्ज लेने से रोका है। इसकी वजह से अपने तेल भंडार से भारी मुनाफे के बावजूद सरकारी खजाने में पब्लिक सेक्टर के कर्मचारियों को वेतन देने के लिए बहुत कम पैसे बचे हैं। कुवैत में भी दूसरे अरब देशों की तरह शेख वाली राजशाही सिस्टम है लेकिन यहां की विधायिका पड़ोसी देशों से ज्यादा पावरफुल मानी जाती है।
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