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मुख्य समाचार

बच्चों की क्षमता व प्रतिभा को पहचानने की जरूरतः डा.दास

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तोड़-फोड़ के जोड़ विषय पर तृतीय कार्यशाला का शुभारंभ, आंचलिक विज्ञान नगरी लखनऊ, इन्नोवेशन सेन्टर, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद्, उ0प्र0, प्रमुख सचिव, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग, उ0प्र0 सरकार, डा0 हरशरन दास

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तोड़-फोड़ के जोड़  विषय पर तृतीय कार्यशाला का शुभारंभ
लखनऊ। आंचलिक विज्ञान नगरी लखनऊ एवं इन्नोवेशन सेन्टर, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद्, उ0प्र0 मिलकर तोड़-फोड़ के जोड़ विषय पर कार्यशालाओं का आयोजन कर रहा है। तृतीय कार्यशाला का शुभारम्भ आज 23 फरवरी को प्रमुख सचिव, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग, उ0प्र0 सरकार डा0 हरशरन दास  द्वारा किया गया। यह कार्यशाला आई.टी.आई. के विद्यार्थियों के लिए है जिसमें आई.टी.आई. अलीगंज के विभिन्न व्यवसायों के कुल 80 विद्यार्थी भाग ले रहे हैं।

अपने उद्घाटन सम्बोधन में डा0 दास ने कहा कि प्रत्येक बच्चे में कुछ नया सोचने या अभिनव करने की क्षमता होती है परन्तु इस प्रकार की कार्यशालाओं को आयोजित कर उनके द्वारा नवाचार करने की क्षमता को उजागर करने और उनके द्वारा किये गये नवीनता को पहचानने मात्र की आवश्यकता है। उन्होंने आई.टी.आई. के पुराने पाठ्यक्रम और उनकी कार्यशालाओं में मौजूद पुरानी मशीनों को ध्यान में रखते हुए ऐसी कार्यशालाओं के आयोजन पर ज़ोर दिया।

उन्होंने कोल्हू का उदाहरण देते हुए नवाचार का मतलब बड़े सरल शब्दों में बताया। उन्होंने समाज के लाभ हेतु योगदान करने के प्रति उत्सुक रहने के लिए छात्रों से अनुरोध किया और सरकार द्वारा चलाई जा रही विभिन्न योजनाओं का पूरा लाभ उठाने हेतु छात्रों को सजग रहने के लिए कहा। उन्होंने पेशेवर कालेजों और संस्थाओं से अपनी पुरानी और चलन से बाहर हो गई मशीनरी को तकनीकी विश्वविद्यालयों एवं आई.टी.आई. को दान करने के लिए अनुरोध किया जिससे कि वे पुर्नतकनीकी या तोड़-फोड़-जोड़ कर इन मशीनों की क्रियाविधि को समझ सके या उससे अच्छा संस्करण तैयार कर सकें। rsc3

इसके पहले परियोजना समायोजक, आंचलिक विज्ञान नगरी उमेश कुमार ने अतिथियों और प्रतिभागियों का स्वागत किया और कार्यक्रम में शामिल विभिन्न गतिविधियों की व्याख्या की। डा0 डी0के0 श्रीवास्तव, संयुक्त निदेशक, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद्, उ0प्र0 ने इन कार्यक्रमों के आयोजन का उद्देश्य और इनके फायदों तथा प्रतिभागी विद्यार्थियों से उम्मीद के बारे में विस्तृत चर्चा की। सौमेन घोष, क्यूरेटर, आंचलिक विज्ञान नगरी ने धन्यवाद ज्ञापन किया।

उद्घाटन के उपरान्त डा0 आर0डी0 गौड, वैज्ञानिक अधिकारी, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद्, उ0प्र0 द्वारा राज्य से संबिधित विभिन्न नवाचार/नवाचारकर्ताओं पर फिल्में दिखाई गईं तथा फिल्मों में दिखाये गये विभिन्न यंत्रों /उपकरणों की व्याख्या उनके द्वारा की गई।  दोपहर के बाद कार्यक्रम के द्वितीय सत्र में विभिन्न उपरकरणों, घरेलू उपकरणों, वैज्ञानिक खिलौनों, छोटे समूहों में यांत्रिकी उपकरणों में युवाओं द्वारा नवाचार करने के बारे में प्रतिभागियों को समझाया गया साथ ही प्रतिभागियों को नवाचार और आविष्कार में अंतर को भी उनके द्वारा समझाया गया।

नेशनल

केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया की मां का निधन, दिल्ली एम्स में ली अंतिम सांस

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नई दिल्ली। केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया की माता व ग्वालियर राज घराने की राजमाता माधवी राजे सिंधिया का निधन हो गया है। उनका इलाज पिछले दो महीनों से दिल्ली के एम्स में चल रहा था। आज सुबह 9.28 बजे उन्होंने दिल्ली के एम्स में आखिरी सांस ली।

हाल ही में ज्योतिरादित्य सिंधिया ने बताया था कि, राजमाता माधवी राजे को सांस लेने में तकलीफ होने पर उन्हें 15 फरवरी को दिल्ली एम्स में भर्ती कराया गया था। इसी साल 6 मार्च को भी उनकी तबीयत अचानक बिगड़ गई थी। उस समय भी उनकी हालत नाजुक थी और उनको लाइफ सपोर्टिंग सिस्टम पर रखा गया था।

पहली बार 15 फरवरी को माधवी राजे की तबीयत बिगड़ी थी, उन्हें सांस लेने में तकलीफ हो रही थी। उसके बाद से ही उनकी हालत नाजुक बनी हुई थे। वे लाइफ सपोर्ट सिस्टम पर थीं। ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कुछ समय पहले यह जानकारी शेयर की थी।

नेपाल राजघराने से माधवीराजे सिंधिया का संबंध है। उनके दादा शमशेर जंग बहादुर राणा नेपाल के प्रधानमंत्री थे। कांग्रेस के दिग्गज नेता माधवराव सिंधिया के साथ माधवी राजे के विवाह से पहले प्रिंसेस किरण राज्यलक्ष्मी देवी उनका नाम था। साल 1966 में माधवराव सिंधिया के साथ उनका विवाह हुआ था। मराठी परंपरा के मुताबिक शादी के बाद उनका नाम बदलकर माधवीराजे सिंधिया रखा गया था। पहले वे महारानी थीं, लेकिन 30 सितंबर 2001 को उनके पति और पूर्व केंद्रीय मंत्री माधवराव सिंधिया के निधन के बाद से उन्हें राजमाता के नाम से संबोधित किया जाने लगा।

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