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अन्तर्राष्ट्रीय

फेसबुक को प्रचार के लिए पारंपरिक मीडिया का सहारा

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न्यूयॉर्क | सोशल नेटवर्किंग साइट फेसबुक की पारंपरिक मीडिया के जरिए प्रचार करने में दिलचस्पी अभी कम नहीं हुई है। नीलसन के एक अध्ययन के मुताबिक, फेसबुक ब्रिटेन में इस साल अभी तक पारंपरिक मीडिया पर साठ लाख पाउंड से अधिक राशि खर्च कर चुका है। ब्रिटेन में फेसबुक के ‘द फ्रेन्ड्स’ अभियान में दोस्तों के एक दूसरे के साथ लुत्फ उठाने के दृश्य दिखाए जाते हैं।

‘फाइनेंसियल टाइम्स’ के मुताबिक, विज्ञापन में केवल फेसबुक का छोटा सा लोगो दिखता है। इसकी डिजाइनिंग कंपनी की अपनी रचनात्मक टीम ‘द फैक्टरी’ ने की है। नीलसन के आंकड़ों के मुताबिक, फरवरी में यह अभियान शुरू होने के बाद से फेसबुक टेलीविजन पर तीस लाख पाउंड से ज्यादा राशि खर्च कर चुका है। इस प्रचार के लिए यह आउटडोर मीडिया पर 15 लाख पाउंड, सिनेमा पर नौ लाख पाउंड और प्रेस पर छह लाख पाउंड खर्च कर चुका है।

फेसबुक पारंपरिक मीडिया की ओर रुख करने में गूगल तथा अन्य डिजिटल मीडिया कंपनियों का अनुकरण करते हुए ब्रांड निर्माण के लिए पुराने तरीके अपना रहा है। कंसल्टेंसी सेवा प्रदाता सिल्क मीडिया में परामर्शदाता नील स्पेंसर ने बताया, “यह व्यंग्यपूर्ण है कि वह फेसबुक जो लंबे समय से ब्रांडों को यह विश्वास दिला रहा है कि इसका मंच पारंपरिक मीडिया से अधिक प्रभावी है, अब खुद को बढ़ावा देने के लिए भारी व्यय करके जनमाध्यमों का प्रयोग कर रहा है।”

विशेषज्ञों के मुताबिक, फेसबुक के पारंपरिक मीडिया में निवेश करने कारण यह है कि जनमाध्यम ब्रांड निर्माण और उपभोक्ताओं के साथ विश्वास स्थापित करने के महत्वपूर्ण उपकरण हैं। इस साल कंपनी ने कनाडा और आस्ट्रेलिया में जन-माध्यमों में विज्ञापन खरीदना भी शुरू किया है।

अन्तर्राष्ट्रीय

भारत में अवसरों की भरमार, पीएम मोदी के नेतृत्व में 10 सालों में देश ने अच्छी प्रगति की : वॉरेन बफे

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नई दिल्ली। बर्कशायर हैथवे के चेयरमैन और सीईओ वॉरेन बफे भारत की निवेश की संभावनाओं को लेकर काफी उत्साहित हैं। उन्होंने रविवार को कंपनी की सालाना बैठक की अध्यक्षता करते हुए कहा कि भारत में अवसरों की भरमार हैं। उन्होंने कहा कि भारत अब 5 ट्रिलियन डॉलर की इकोनॉमी और दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की राह पर है। बीते दस सालों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व में देश ने सभी आर्थिक मानदंडों में अच्छी प्रगति की है। अब लगभग 3.7 ट्रिलियन डॉलर (अनुमान वित्त वर्ष 2023-24) की जीडीपी के साथ भारत आर्थिक रूप से पांचवां सबसे बड़ा देश है। एक दशक पहले देश 1.9 ट्रिलियन डॉलर (मौजूदा बाजार मूल्य) की जीडीपी के साथ भारत 10वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था था। वित्त मंत्रालय के अनुसार, इस 10 साल की यात्रा में कई रिफॉर्म हुए जिसने देश को आर्थिक रूप से आगे बढ़ाया है।

रविवार को अपनी कंपनी की वार्षिक बैठक में वॉरेन बफेट ने कहा, भारत में नई संभावनाओं का पता लगाएं। यहां ऐसे क्षेत्र हो सकते हैं जिनको सर्च नहीं किया गया है या यहां मौजूद अवसरों पर ध्यान नहीं दिया गया है। उन्होंने कहा, मुझे यकीन है कि भारत में बहुत सारे अवसर हैं। सवाल यह है कि क्या हमें उनके बारे में जानकारी है, जिसमें हम भाग लेना चाहेंगे। बफेट देश में संभावित प्रवेश की तलाश में हैं। भारत की जीडीपी ग्रोथ एक नए शिखर पर पहुंचने के लिए तैयार है। विनिर्माण और ऑटोमोबाइल जैसे सेक्टरों ने फिर से सुधार देखना शुरू कर दिया है और जीएसटी कलेक्शन नई ऊंचाई हासिल कर रहा है।

आरबीआई के लेटेस्ट आंकड़ों के अनुसार, भारत की जीडीपी ग्रोथ महामारी से पहले 2020 के दौरान दर्ज की गई 7 प्रतिशत से ऊपर बढ़ने के संकेत हैं। आईएमएफ के लेटेस्ट आंकड़ों के अनुसार, 2004 में भारत की प्रति व्यक्ति जीडीपी 635 डॉलर थी। 2024 में देश की प्रति व्यक्ति जीडीपी बढ़कर 2,850 डॉलर हो गई है, जो इसके समकक्ष देशों के लिए 6,770 डॉलर का 42 प्रतिशत है। इस महीने की शुरुआत में जारी एचएसबीसी सर्वे के अनुसार, मजबूत मांग के कारण भारत का विनिर्माण सेक्टर अप्रैल में मजबूत गति से बढ़ा। इसके अलावा विश्व चुनौतियों के बावजूद, एक लाख से अधिक स्टार्टअप और 100 से ज्यादा यूनिकॉर्न के साथ देश ग्लोबल स्तर पर तीसरा सबसे बड़ा टेक स्टार्टअप इकोसिस्टम बना हुआ है।

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