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पटरी पर लौट आए भारत-अमेरिका संबंध – मीरा शंकर

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नई दिल्ली | अमेरिका में भारत की राजदूत रह चुकीं मीरा शंकर का कहना है कि भारत और अमेरिका के संबंध पटरी पर लौट आए हैं, जिसकी अगुवाई खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिका के राष्ट्रपति बराक ओबामा कर रहे हैं। मीरा ने यहां इंडिया हैबिटेट सेंटर में ‘गणतंत्र दिवस परेड के बाद भारत-अमेरिका संबंध’ विषय पर आयोजित चर्चा के दौरान कहा कि गणतंत्र दिवस समारोह में मुख्य अतिथि के तौर पर अमेरिका के राष्ट्रपति की यात्रा से दोनों देशों के द्विपक्षीय संबंधों को एक नया कलेवर देने में मदद मिली है। कुल मिलाकर यह, पूरी तरह सकारात्मक रहा, सांकेतिक रूप से भी और यथार्थ में भी।

ओबामा 25-27 जनवरी को भारत की तीन दिवसीय यात्रा पर थे। उनके इस दौरे से जुड़ी कई बातें हैं, जो पहली बार हुई। मसलन, वह अमेरिका के पहले राष्ट्रपति हैं, जो अपने कार्यकाल के दौरान भारत की यात्रा पर दो बार आए, वह अमेरिका के पहले राष्ट्रपति हैं, जो भारत के गणतंत्र दिवस समारोह के मुख्य अतिथि बने और इस मायने में भी वह पहले राष्ट्रपति हैं, जिन्होंने भारतीय प्रधानमंत्री के साथ रेडियो पर कार्यक्रम में शिरकत की। मीरा ने कहा कि भारत-अमेरिका के बीच हुए परमाणु समझौते से भारत के प्रति दुनिया के दृष्टिकोण में बदलाव आया है। साथ ही दोनों देशों के द्विपक्षीय संबंध ऊंचाई पर पहुंच गए हैं। दोनों देशों की सरकारें अपने घरेलू मुद्दों पर ध्यान केंद्रित कर रही हैं। वहीं, चर्चा में भाग लेते हुए पूर्व विदेश सचिव कंवल सिब्बल ने कहा कि दोनों नेताओं के बीच व्यक्तिगत तौर पर गजब का तालमेल देखने को मिला। इससे व्हाइट हाउस को इस संबंध पर ध्यान देने में मदद मिलेगी। भारत-अमेरिका के बीच परमाणु समझौते को महत्वपूर्ण करार देते हुए दोनों पक्षों ने इसमें काफी कुछ कंपनियों के ऊपर छोड़ दिया है। भारत ने यह भी स्वीकार कर लिया है कि दुर्घटना की स्थिति में कंपनी की कोई जिम्मेदारी नहीं होगी। भारत-अमेरिका संयुक्त घोषणा-पत्र को महत्वपूर्ण करार देते हुए हालांकि सिब्बल ने कहा कि इसमें तालिबान का जिक्र नहीं किया, जबकि यह क्षेत्र में शांति के लिए एक बड़ा खतरा है। अमेरिकी दूतावास में मंत्री जॉर्ज सिबली ने कहा कि ओबामा की भारत यात्रा से दोनों देशों के द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण प्रगति हुई है। दोनों देशों के बीच जलवायु परिवर्तन पर भी समान विचार बनने के अवसर देखे गए। चर्चा में भाग लेने पहुंचे कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई ने कहा कि भारत-अमेरिका संबंधों में नए अध्याय की शुरुआत संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार के कार्यकाल में ही हो गई थी। हालांकि उन्होंने इससे सहमति जताई कि मोदी ने इस तरह की आशंकाओं को दूर किया कि वह अंतर्राष्ट्रीय मंच पर शायद वैश्विक नेताओं के साथ तालमेल न मिला पाएं। गौरव ने कहा, हम आत्मविश्वास से भरे प्रधानमंत्री को देखते हैं..छवि महत्वपूर्ण है। वहीं, सांसद व वरिष्ठ पत्रकार एच.के. दुआ ने कहा कि मोदी को सार्वजनिक संबोधन के दौरान अमेरिकी राष्ट्रपति को उनके पहले नाम से संबोधित नहीं करना चाहिए। ऐसा करके मोदी ने अपना अतिउत्साह ही प्रदर्शित किया है।

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आचार्य प्रमोद कृष्णम ने की राहुल गांधी की आलोचना, कहा- रायबरेली से चुनाव लड़कर कार्यकर्ताओं को गलत संदेश दिया

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नई दिल्ली। आचार्य प्रमोद कृष्णम ने राहुल गांधी के रायबरेली से चुनाव लड़ने के फैसले की खुलकर आलोचना की है। उन्होंने कहा कि राहुल गांधी स्मृति ईरानी से डर गए। इससे कांग्रेस के आम कार्यकर्ताओं के बीच गलत संदेश गया है। जो राहुल गांधी कहा करते थे कि डरो मत, आज वही राहुल गांधी डर गए।आचार्य प्रमोद कृष्णम ने आगे कहा, “पब्लिक में कांग्रेस कार्यकर्ताओं में यह परस्पेशन था कि राहुल गांधी अमेठी से चुनाव लड़ेंगे और यह पहली बार हुआ है कि गांधी परिवार अमेठी, रायबरेली हारा, लेकिन सीट नहीं छोड़ी। संजय गांधी भी चुनाव हारे, लेकिन सीट नहीं छोड़ी, इंदिरा गांधी भी चुनाव हारी, लेकिन सीट नहीं छोड़ी। यह पहली बार हुआ है कि राहुल गांधी ने सीट छोड़ी है। इससे कांग्रेस कार्यकर्ताओं के बीच गलत संदेश गया है।“

उन्होंने आगे कहा, “कांग्रेस कार्यकर्ताओं को यह लगता था कि राहुल गांधी डरते नहीं हैं, लेकिन अब इससे यह एक मैसेज गया है कि राहुल गांधी हारने से डर गए और अमेठी छोड़कर चले गए।“ आचार्य प्रमोद ने राहुल के फैसले पर कहा, “जब पब्लिक का परस्पेशन बदलता है, तो सब कुछ बदल जाता है। मुझे लगता है कि राहुल का यह फैसला आत्मघाती सिद्ध होगा, क्योंकि जब राहुल गांधी कांग्रेस कार्यकर्ताओं को एड्रेस करते थे, तो कहते थे डरो मत, पब्लिक मीटिंग को एड्रेस करते थे, तो कहते थे कि डरो मत, मीडिया से कहा करते थे कि डरो मत, तो जो व्यक्ति दूसरों से यह कहता था कि डरो मत, वो आज खुद डर गया। अब यह बड़ा सवाल बन चुका है कि राहुल गांधी इतने बड़े नेता हैं, लेकिन स्मृति ईरानी से कैसे डर गए।“

उन्होंने आगे कहा, “अब अगर उन्हें अमेठी से नहीं लड़ना था, तो देश की सबसे बड़ी सीट वाराणसी से प्रधानमंत्री मोदी के सामने लड़ना चाहिए था।“ वहीं, जब आचार्य से पूछा गया कि क्या राहुल के इस फैसले के पीछे कोई रणनीति है, तो इस पर उन्होंने दो टूक कह दिया कि कोई रणनीति नहीं है। इसके पीछे एक साजिश है, प्रियंका गांधी को संसद में जाने से रोकने की। पार्टी के भीतर एक बहुत बड़ी साजिश प्रियंका गांधी के खिलाफ हो रही है। उसका शिकार हुई हैं वो।“ इससे पहले शुक्रवार को कांग्रेस ने अपनी दो हाईप्रोफाइल सीट अमेठी और रायबरेली के लिए अपने प्रत्याशियों के नामों का ऐलान कर दिया। अमेठी में जहां पार्टी ने किशोरी लाल शर्मा को चुनावी मैदान में उतारा है, वहीं रायबरेली से राहुल गांधी पर दांव लगाया गया है।

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