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नोटबंदी का समर्थन नीतीश की नई सियासत
केंद्र सरकार द्वारा 500-1000 का नोट बंद करने के फैसले ने देश की सियासत पर बड़ा असर डाला है। कई ने राजनीतिक समीकरण में बदलाव देखे, तो कई ने दलों में ‘मनभेद’ और ‘मतभेद’ का उभार देखा। परंतु इन सभी सियासी समीकरणों के बीच सबसे बड़ा उलटफेर बिहार के मुख्यमंत्री अैर जनता दल (युनाइटेड) के अध्यक्ष नीतीश कुमार का प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नोटबंदी को समथर्न देने को माना जा रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा आठ नवंबर की नोटबंदी की घोषणा के बाद जहां लगभग सारा विपक्ष नोटबंदी के विरोध में गोलबंद हुआ, वहीं नीतीश द्वारा मोदी का समर्थन करने के बाद विपक्षी दलों की गोलबंदी की हवा निकल गई। ऐसी स्थिति में बिहार में सत्ताधारी महागठबंधन में शामिल राष्ट्रीय जनत दल (राजद) और कांग्रेस के नेता भी असहज नजर आ रहे हैं। यही नहीं जद (यू) ने नोटबंदी के खिलाफ किसी भी आंदोलन से खुद को अलग रखने की घोषणा कर दी है।
बिहार की सियासत में नीतीश के नोटबंदी के समर्थन दिए जाने के बाद राजनीतिक फिजां में नीतीश के मोदी के नजदीक आने के सवाल तथा 2019 के चुनाव में प्रधानमंत्री की दौड़ से बाहर आने जैसे कई सवाल तैरने लगे हैं। राजनीति के जानकार और वरिष्ठ पत्रकार सुरेन्द्र किशोर ने आईएएनएस से कहा, “नीतीश के राजनीतिक जीवन की सबसे बड़ी पूंजी उनकी अपनी छवि और काम रहा है। नोटबंदी का फैसला भी भ्रष्टाचर और कालेधन के विरुद्घ माना जा रहा है। नीतीश प्रारंभ से ही भ्रष्टाचार के खिलाफ रहे हैं। ऐसे में नीतीश के नोटबंदी के समर्थन में आने के दूसरे रूप में नहीं देखा जा सकता है।” नीतीश के राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) में जाने के कयास के विषय में पूछे जाने पर किशोर ने कहा, “यह कयास ही गलत है। आखिर नीतीश को राजग में जाने से क्या हासिल होने वाला है। वर्तमान समय में मुख्यमंत्री हैं ही, अगले लोकसभा चुनाव में हो सकता है वह प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार हो जाएं। प्रधानमंत्री बनना और नहीं बनना अलग बात है, परंतु राजग में जाने से यह उम्मीदारी भी छिन जाएगी। ऐसे में यह कयास ही गलत है।”
वैसे नोटबंदी के मुद्दे पर नीतीश कुमार के रुख को कांग्रेस ने भी पसंद नहीं किया है। यही कारण है कि पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष और बिहार के शिक्षा मंत्री अशोक चौधरी ने अपने आलाकमान का इशारा पाकर इस बाबत गठबंधन धर्म के संदर्भ में एक सख्त बयान में कहा था कि अगर आलाकमान का निर्देश मिला तो महागठबंधन से कांग्रेस अलग भी हो सकती है। नोटबंदी के नीतीश के समथर्न को लेकर जद (यू) में भी अंतर्विरोध दिख रहा है। एक ओर जहां नीतीश नोटबंदी के समर्थन की बात कर रहे हैं, वहीं पार्टी के पूर्व अध्यक्ष शरद यादव सहित अन्य नेता नोटबंदी के खिलाफ खुल कर सामने आई विपक्षी पार्टियों के साथ खड़े हैं। जद (यू) महासचिव क़े सी़ त्यागी कहते हैं, “पार्टी नोटबंदी की पक्षधर है, इसमें कहीं कोई दोराय नहीं है। लेकिन यह भी उतना ही सत्य है कि इस नोटबंदी को लेकर हो रही परेशानियों में पार्टी आम लोगों के भी साथ है।”
नीतीश के जानने वाले भी कहते हैं कि नीतीश के नोटबंदी के समर्थन से उनके सहयोगियों में असंतोष है, लेकिन नीतीश काले धन और नोटबंदी पर फिलहाल अपन रुख नहीं बदलेंगे। उन्हें मालूम है कि भले ही लोगों को कष्ट हो रहा है, लेकिन आम लोगों के बीच इस मुद्दे पर काफी खुशी है कि काला बाजारी करने वाले या काला धन रखने वाले लोगों पर कार्रवाई हो रही है। राजद के किसी नेता ने नीतीश के नोटबंदी का समर्थन देने को लेकर अभी तक खुलकर मुख्यमंत्री का विरोध नहीं किया है। पूर्व मुख्यमंत्री और राजद नेता राबड़ी देवी कहती हैं कि नीतीश कुमार महगठबंधन से अलग नहीं हैं। उन्होंने कहा कि राजद भी नोटबंदी की पक्षधर है। राजद कालाधन और भ्रष्टाचार के खिलाफ है।
नेशनल
जेपी नड्डा का ममता पर हमला, कहा- संदेशखाली में जनता की रक्षा के लिए एनएसजी कमांडो को भी उतरना पड़ा
नई दिल्ली। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर तगड़ा हमला बोला है। उन्होंने कहा कि ममता दीदी ने बंगाल को क्या बना दिया है। जेपी नड्डा ने कहा कि संदेशखाली, ममता बनर्जी की निर्ममता और बर्बरता का संदेश चीख-चीख कर दे रहा है। ममता दीदी ने बंगाल को क्या बना दिया है? जहां रवींद्र संगीत गूंजना चाहिए था, वहां बम-पिस्तौल मिल रहे हैं।
संदेशखाली में जनता की रक्षा के लिए एनएसजी कमांडो को भी उतरना पड़ा। इसी से समझ सकते हैं कि पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी की सरकार ने किस तरह अराजकता फैला रखी है। मैं बंगाल के सभी भाजपा कार्यकर्ताओं और जनता से अपील करता हूं कि आप सभी संदेशखाली पर ममता बनर्जी से जवाब मांगे।
प्रधानमंत्री मोदी ने संदेशखाली की पीड़िता को पार्टी का टिकट देकर भाजपा महिला सशक्तिकरण के संदेश को मजबूती दी है। इसके साथ ही पीएम मोदी ने ममता बनर्जी को जवाब दिया है कि ये महिलाएं अकेली नहीं है उनके साथ पूरा समाज, पूरा देश खड़ा है। संदेशखाली में महिलाओं की इज्जत-आबरू और उनकी जमीनें बचाने के लिए वहां गई जांच एजेंसियों के अधिकारियों पर भी घातक हमला किया गया।
जेपी नड्डा ने आगे कहा, “मैं आज समाचार पढ़ रहा था कि संदेशखाली में तलाशी के दौरान सीबीआई ने तीन विदेशी रिवॉल्वर, पुलिस द्वारा इस्तेमाल की जाने वाली एक रिवॉल्वर, बंदूकें, कई गोलियां और कारतूस बरामद किए हैं।” इसी से समझा जा सकता है कि ममता सरकार ने राज्य में किस तरह अराजकता फैला रखी है। उन्होंने पूछा कि क्या ममता बनर्जी जनता को डराकर, उनकी जान लेकर चुनाव जीतेंगी। क्या नेताजी सुभाष चंद्र बोस, रवीन्द्रनाथ टैगोर, स्वामी विवेकानंद और महर्षि अरबिंदो जैसे मनीषियों ने ऐसे बंगाल की कल्पना की थी।
संदेशखाली में जनता की रक्षा के लिए एनएसजी कमांडो को भी उतरना पड़ा। ममता दीदी, यदि आपको ऐसा लगता है कि आप ऐसा करके चुनाव जीत जाएंगी तो ये आपकी भूल है। जनता आपको इसका करारा जवाब देगी। उन्होंने कहा कि हमने देखा कि ममता सरकार में तृणमूल कांग्रेस के शाहजहां शेख जैसे असामाजिक तत्व संदेशखाली में महिलाओं के अस्तित्व पर खतरा बने हुए हैं। महिलाओं के साथ जिस तरह का सलूक हो रहा है वह सच में बहुत ही संवेदनशील और कष्टदायी है।
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