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‘धर्म संकट में’ पर प्रतिबंध लगाएं : हियुवा

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गाजियाबाद। फिल्म ‘पीके’ पर उठा विवाद थमने के बाद अब एक और फिल्म पर बखेड़ा शुरू हो गया है। हिंदू युवा वाहिनी (हियुवा) ने शुक्रवार को फिल्म ‘धर्म संकट में’ पर हिंदू धर्म व संत समाज को अपमानित करने का आरोप लगाते हुए फिल्म के पोस्टर जलाए और विरोध प्रदर्शन किया। हियुवा ने जिलाधिकारी को ज्ञापन सौंपते हुए फिल्म पर प्रतिबंध लगाने की मांग की।

वाहिनी के मेरठ मंडल सहप्रभारी राजेश शर्मा ने बताया कि निर्देशक फवाद खान की फिल्म ‘धर्म संकट में’ में हिंदू भावनाओं तथा संत समाज को अपमानित करते हुए दिखाया गया है। उन्होंने बताया कि फिल्म के हीरो नसीरूद्दीन शाह फिल्म में एक संत की भूमिका निभा रहे हैं, मगर फिल्म में उन्हें महिलाओं के साथ अश्लील हरकतें करते हुए दिखाया गया है।

उन्हांेने कहा कि हिंदू धर्म में संत हमेशा पूजनीय तथा हिंदू धर्म के मार्गदर्शक रहे हैं। लेकिन इस फिल्म में संतों का जो रूप दिखाया गया है, उसमें हिंदू धर्म की भावनाओं को आहत तथा संत समाज को बदनाम करने की कोशिश की गई है। यह हिंदू धर्म के साथ सोची-समझी साजिश है।

वाहिनी के कार्यकर्ताओं ने चेतावनी दी कि यदि इस फिल्म को दिखया जाना गाजियाबाद में जल्द नहीं रोका गया तो वे खुद सिनेमाघरों पर पहुंचकर फिल्म को बंद कराएंगे।

प्रादेशिक

गुजरात बोर्ड परीक्षा में टॉपर रही छात्रा की ब्रेन हैमरेज से मौत, आए थे 99.70 फीसदी अंक

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अहमदाबाद। गुजरात बोर्ड की टॉपर हीर घेटिया की ब्रेन हैमरेज से मौत हो गई है। 11 मई को गुजरात माध्यमिक और उच्चतर माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (GSEB) के नतीजे आए थे। हीर इसके टॉपर्स में से एक थी। उसके 99.70 फीसदी अंक आये थे। मैथ्स में उसके 100 में से 100 नंबर थे। उसे ब्रेन हैमरेज हुआ था। बीते महीने राजकोट के प्राइवेट अस्पताल में उसका ऑपरेशन हुआ था। ऑपरेशन के बाद उसे छुट्टी दे दी गई। वो घर चली गई, लेकिन क़रीब एक हफ़्ते पहले उसे सांस लेने में फिर दिक़्क़त होने लगी और दिल में भी हल्का दर्द होने लगा।

इसके बाद उसे अस्पताल में ICU में भर्ती कराया गया था। हाॅस्पिटल में एमआरआई कराने पर सामने आया कि हीर के दिमाग का 80 से 90 प्रतिशत हिस्सा काम नहीं कर रहा था। इसके बाद हीर को सीसीयू में भर्ती कराया गया। हालांकि डाॅक्टरों की लाख कोशिशों के बाद ही उसे बचाया नहीं जा सका और 15 मई को हीर ने दम तोड़ दिया। हीर की मौत के बाद परिवार ने मिसाल पेश करते हुए उसकी आंखों और शरीर को डोनेट करने का फैसला किया।

हीर के पिता ने कहा, “हीर एक डॉक्टर बनना चाहती थी। हमने उसका शरीर दान कर दिया ताकि भले ही वह डॉक्टर न बन सके लेकिन दूसरों की जान बचाने में मदद कर सकेगी।

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