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..तो साहित्य अकादमी पुरस्कार लौटा दूंगा : विक्रम सेठ

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नई दिल्ली। मशहूर लेखक और पद्मश्री से सम्मानित विक्रम सेठ ने कहा है कि अगर साहित्य अकादमी लेखकों के जीवन और अधिकार की रक्षा करने में असफल रहती है तो वह भी अपना पुरस्कार लौटा देंगे। सेठ ने मंगलवार रात अपनी किताब ‘द समर रेक्वियम’ के विमोचन के बाद यह बात कही।

उन्होंने कहा, “अगर साहित्य अकादमी लेखकों की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और जीवन की रक्षा के लिए पूरी मजबूती से आवाज नहीं उठाएगी तो यह लगभग तय है कि मैं भी अपना पुरस्कार लौटा दूंगा। मैं नहीं चाहता कि मेरी बात किसी धमकी की तरह लगे। लेकिन, मुझे पूरी उम्मीद है कि संस्थान अपने नाम और इतिहास का ख्याल रखते हुए कुछ खास मूल्यवान कदम उठाएगा।” अकादमी की बैठक 23 अक्टूबर को होने वाली है।

विक्रम सेठ को 1988 में उनके उपन्यास ‘द गोल्डेन गेट’ के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। इससे पहले अलेफ प्रकाशन के डेविड डाविदर के साथ चर्चा में सेठ ने अकादमी पुरस्कार लौटाने वाले लेखकों का स्वागत किया। सेठ ने कहा, “मुझे नहीं लगता कि लेखक पुरस्कार लौटाने के लिए किसी तरह की संयुक्त कार्रवाई कर रहे हैं। पुरस्कार लौटाना आसान नहीं होता और मैं इसे एक साहसिक कदम मानता हूं। आपके (लेखक) एक अलग-थलग पड़े पेशवर जीवन में पुरस्कार आपको मिलने वाली पहचान का प्रतीक होता है।”

सेठ ने लेखक एम.एम.कलबुर्गी और दो अन्य तर्कशास्त्रियों की हत्या के मामले में अकादमी की चुप्पी पर नाराजगी जाहिर की। उन्होंने कहा, “मैंने सुना है कि कलबुर्गी की हत्या के बाद कवि केकी एन. दारूवाला ने अकादमी को फोन किया था। उन्हें सिर्फ एक फोन काल मिली थी, जिसमें कहा गया था कि दबाव है।” सेठ ने पूछा, “कैसा दबाव? इस बात को न कहने का दबाव कि पनसारे और कलबुर्गी की हत्या गलत है? अपने दिल की बात बोलने वालों को इससे रोकने वालों के खिलाफ न बोलने का दबाव? यह कैसा दबाव है?”

सेठ ने कहा कि उन्होंने अन्य लेखकों से तो बात नहीं की है, लेकिन वह 23 अक्टूबर को होने वाली अकादमी की बैठक के नतीजों का इंतजार कर रहे हैं। साल 2005 में सेठ ने कांग्रेस नेता जगदीश टाइटलर के हाथ से पुरस्कार लिया था। सोशल मीडिया पर इसके लिए सेठ को निशाने पर लिया गया है। सेठ ने कहा कि उन्हें नहीं पता था कि कांग्रेस नेता उन्हें पुरस्कार देने वाले हैं। टाइटलर पर 1984 के दंगों में शामिल होने का आरोप है।

सेठ ने कहा, “जब मुझे पता चला कि प्रवासी भारतीय सम्मान मुझे टाइटलर के हाथ से मिलने वाला है तो मैंने अपने अभिभावकों से बात की थी। उन्होंने कहा कि अगर मैं पुरस्कार नहीं लूंगा तो यह देश का अपमान होगा। इस वजह से मैंने पुरस्कार लिया था।” लेकिन, विरोधस्वरूप सेठ ने टाइटलर से हाथ नहीं मिलाया था। सेठ ने कहा, “मैंने अपने अभिभावकों से कहा था कि किसी भी हाल में मैं उनसे हाथ नहीं मिलाऊंगा। 1984 में जो हुआ उससे मुझे नफरत होती है। बात सिर्फ दंगे की ही नहीं है, इसके बाद हुए चुनाव का प्रचार अभियान भी बहुत भयानक था।”

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भाजपा का परिवार आरक्षण ख़त्म करना चाहता है: अखिलेश यादव

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एटा। समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष और यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने एटा में सपा प्रत्याशी देवेश शाक्य के समर्थन में संविधान बचाओ रैली को संबोधित किया। इस दौरान अखिलेश यादव ने कहा कि संविधान बचेगा तो लोकतंत्र बचेगा और लोकतंत्र बचेगा तो वोट देने का अधिकार बचेगा। अखिलेश यादव ने दावा किया कि ये अग्निवीर व्यवस्था जो लेकर आए हैं इंडिया गठबंधन की सरकार बनेगी तो अग्निवीर व्यवस्था समाप्त कर पहले वाली व्यवस्था लागू करेंगे।

उन्होंने आरक्षण मामले पर आरएसएस पर बिना नाम लिए निशाना साधते हुए कहा कि भाजपा के साथ एक सबसे खतरनाक परिवार है, जो आरक्षण खत्म करना चाहता है। अब उन्हें वोट चाहिए तो वह कह रहे हैं कि आरक्षण खत्म नहीं होगा।

उन्होंने आगे कहा कि मैं पूछना चाहता हूं अगर सरकार की बड़ी कंपनियां बिक जाएंगी तो क्या उनमें आरक्षण होगा? उनके पास जवाब नहीं है कि नौकरी क्यों नहीं दे रहे हैं? लोकसभा चुनाव संविधान मंथन का चुनाव है। एक तरफ वो लोग हैं जो संविधान को हटाना चाहते हैं। दूसरी तरफ इंडिया गठबंधन और समाजवादी लोग हैं जो संविधान को बचाना चाहते हैं। यह चुनाव आने वाली पीढ़ी के भविष्य का फैसला करेगा। वो लोग संविधान के भक्षक हैं और हम लोग रक्षक हैं।

अखिलेश यादव ने कहा कि एटा के लोगों को भाजपा ने बहुत धोखा दिया है। इनका हर वादा झूठा निकला। दस साल में एक लाख किसानों ने आत्महत्या की है। उनकी आय दोगुनी नहीं हुई। नौजवानों का भविष्य खत्म कर दिया गया है। हर परीक्षा का पेपर लीक हो रहा है।

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