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अवार्ड लौटाने वाले अब उसे वापस लेने को राजी

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साहित्य अकादमी पुरस्कार लौटाने वाली लेखिका नयनतारा सहगल, साहित्यकार कलबुर्गी हत्या और दादरी कांड, राजस्थानी लेखक नंद भारद्वाज, पुरस्कार वापस लेने को राजी

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नई दिल्ली। देश में कथित तौर पर इनटॉलरेंस बढ़ने की बात पर साहित्य अकादमी पुरस्कार लौटाने वाली पं. जवाहर लाल नेहरू की भांजी प्रख्‍यात लेखिका नयनतारा सहगल अब इसे वापस लेने पर राजी हो गई हैं। साहित्यकार कलबुर्गी हत्या और दादरी कांड जैसे मामलों के बाद देश में इनटॉलरेंस बढ़ने की बात कह 40 साहित्यकारों ने अपने साहित्य अकादमी पुरस्कार लौटा दिए थे। साहित्यकार उदय प्रकाश के साथ नयनतारा सहगल ने ही एक तरह से अवॉर्ड वापसी कैंपेन की शुरुआत की थी। एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक पंडित जवाहर लाल नेहरू की भांजी नयनतारा अब इसे वापस लेने के लिए तैयार हो गई हैं। नयनतारा सहगल ने कहा कि उन्हें साहित्य अकादमी से एक चिट्ठी मिली। उस चिट्ठी में लिखा गया था कि अकादमी में पुरस्कार लौटाने को लेकर कोई नियम नहीं है। अकादमी पुरस्कार अपने पास नहीं रख सकती। इसलिए अकादमी पुरस्कार वापस भेज रही है।

इसके बाद ही सहगल पुरस्कार वापस लेने को राजी हो गई हैं। उन्होंने उस दौरान एक लाख रुपए का चेक भी लौटा दिया था। नयनतारा सहगल ने कहा कि वे उस पैसे का इस्तेमाल किसी कल्याणकारी काम में करेंगी। साहित्य अकादमी के मुताबिक चेक भी वापस कर दिया गया है। राजस्थानी लेखक नंद भारद्वाज भी पुरस्कार वापस लेने के लिए राजी हो गए हैं। नंद भारद्वाज ने कहा कि वे इनटॉलरेंस के मसले पर साहित्य अकादमी की प्रतिक्रिया से संतुष्ट हैं। इसलिए उन्होंने भी अपना अवॉर्ड वापस ले लिया है। लेकिन साहित्यकार अशोक वाजपेयी अभी अपने पुराने रुख पर ही कायम हैं। अशोक वाजपेयी ने कहा कि उन्हें भी अकादमी से चिट्ठी मिली है। लेकिन मुझे नहीं लगता कि अवॉर्ड वापस लेने के लिए यह कोई वाजिब कारण है। वहीं साहित्य अकादमी के अध्यक्ष विश्वनाथ प्रसाद तिवारी ने कहा कि अवॉर्ड लौटाने वाले सभी 40 लोगों को चिट्ठी भेजी गई है। उनको भरोसा है कि और दूसरे लेखक भी अकादमी की चिट्ठी पर जवाब जरूर देंगे।

नेशनल

पश्चिम बंगाल सरकार ने राज्य में युवाओं के विकास के सभी रास्ते बंद कर दिए हैं: पीएम मोदी

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कोलकाता। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को मालदा में एक चुनावी जनसभा को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि मेरा बंगाल से ऐसा नाता है जैसे मानो मैं पिछले जन्म में बंगाल में पैदा हुआ था या फिर शायद अगले जन्म में बंगाल में पैदा होना है। इसके साथ ही मोदी ने प्रदेश की सत्तारूढ़ दल तृणमूल कांग्रेस पर खूब हमला बोला। उन्होंने कहा कि पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस द्वारा किए गए बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार के कारण लगभग 26 हजार परिवारों की शांति और खुशी खत्म हो गई है। पीएम मोदी ने यह बयान कलकत्ता हाईकोर्ट की एक खंडपीठ के हालिया आदेश के संदर्भ में दिया। जिसमें सरकारी स्कूलों में 25 हजार 753 टीचिंग (शिक्षण) और गैर-शिक्षण नौकरियों को रद्द कर दिया गया था।

पीएम मोदी ने आगे कहा, “नौकरियों और आजीविका के इस नुकसान के लिए केवल तृणमूल कांग्रेस जिम्मेदार है। राज्य सरकार ने राज्य में युवाओं के विकास के सभी रास्ते बंद कर दिए हैं। जिन लोगों ने पैसे उधार लेकर तृणमूल कांग्रेस के नेताओं को दिए उनकी हालत तो और भी खराब है।” पीएम मोदी ने राज्य सरकार और सत्तारूढ़ दल पर विभिन्न केंद्र-प्रायोजित योजनाओं के तहत दिए गए केंद्रीय फंड के उपयोग के संबंध में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार करने का भी आरोप लगाया। पीएम ने कहा, केंद्र सरकार ने राज्य के 80 लाख किसानों के लिए 8 हजार करोड़ रुपये उपलब्ध कराए हैं। लेकिन राज्य सरकार बाधा उत्पन्न कर रही है, इसलिए किसानों को राशि नहीं मिल पा रही है। राज्य सरकार सभी केंद्रीय परियोजनाओं के कार्यान्वयन को खराब करने की कोशिश कर रही है। वे राज्य में आयुष्मान भारत योजना लागू नहीं होने दे रहे। हमारे पास मालदा जिले के आम किसानों के लिए योजनाएं हैं। लेकिन मुझे चिंता है कि तृणमूल कांग्रेस के नेता वहां भी कमीशन की मांग करेंगे। पीएम मोदी ने राज्य के विभिन्न हिस्सों में महिलाओं के यौन उत्पीड़न के लिए जिम्मेदार लोगों को बचाने का प्रयास करने का भी आरोप राज्य सरकार पर लगाया।

उन्होंने कहा कि संदेशखाली में महिलाओं को प्रताड़ित किया गया। मालदा में भी ऐसी ही घटनाओं की खबरें आई थीं। लेकिन तृणमूल कांग्रेस सरकार ने हमेशा आरोपियों को बचाने का प्रयास किया है। पीएम मोदी ने आगे कहा कि कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस के बीच तुष्टिकरण की राजनीति की प्रतिस्पर्धा चल रही है। एक तरफ तृणमूल कांग्रेस पश्चिम बंगाल में अवैध घुसपैठ को बढ़ावा दे रही है। वहीं दूसरी ओर, कांग्रेस आम लोगों से पैसा जब्त करने और इसे केवल उन लोगों के बीच वितरित करने की योजना बना रही है जो उनके समर्पित वोट बैंक का हिस्सा हैं। कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस का गुप्त समझौता है।

 

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