लाइफ स्टाइल
तनाव बिगाड़ता है मेंटल हेल्थ, बुरी आदतों का बनाता आदी
नई दिल्ली। हम ऐसे दौर में जी रहे हैं, जिसमें तनाव जिंदगी का अभिन्न अंग बन गया है। तनाव हमारी मानसिक सेहत पर असर डाल सकता है, जो बेचैनी और अवसाद का कारण बनता है। तनाव की वजह से लोग ऐसी चीजें खाना ज्यादा पसंद करने लगते हैं, जिनमें ट्रांसफैट, नमक और चीनी की अत्यधिक मात्रा होती है। इन चीजों से मोटापा, दिल के रोग, हाईपरटेंशन और डायबिटीज जैसी बीमारियां होने की आशंका रहती हैं। तनाव व्यक्ति को तंबाकू, शराब व अन्य नशों के लिए भी प्रेरित करता है और नशे का आदी बना देता है।
तनाव आज जीवनशैली से जुड़ी कई बीमारियों का कारण बन चुका है, इसलिए तनाव का प्रबंधन अब बेहद जरूरी हो गया है।
इंडियम मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. के.के. अग्रवाल कहते हैं, “जब हमारा शरीर या दिमाग किसी जानी-पहचानी स्थिति के प्रति हमारी समझ के अनुसार प्रतिक्रिया देता है तो उससे तनाव उत्पन्न होता है। इसलिए तनाव से बचने के लिए या तो हालात को बदलना होगा या उसके प्रति समझ को या फिर शरीर को योग साधना से इस तरह ढालना होगा कि तनाव का आपके शरीर पर असर न पड़े।”
उन्होंने कहा, “हर स्थिति के दो पहलू होते हैं। समझ बदलने का अर्थ है कि किसी हालात को दूसरे नजरिए से देखना। यह बिल्कुल पानी के आधे भरे हुए गिलास को देखने की तरह है, उसे आधा भरा या आधा खाली भी माना जा सकता है। हो सकता है, हर हालत को बदलना संभव न हो। जैसे अगर आपकी नौकरी बेहद तनावपूर्ण है, लेकिन नौकरी छोडऩा हमेशा संभव नहीं होता।”
आईएमए अध्यक्ष का कहना है, “हालात के बारे में दूसरे पहलू से सोचने को एलोपैथिक भाषा में कॉजिनिटिव बेहेवियरल थैरेपी कहा जाता है, यह शब्द अयुर्वेद से लिए गए हैं। भगवत गीता में भगवान कृष्ण ने अर्जुन को इस कॉजिनिटिव बेहेवियरल थेरेपी के बारे में सलाह दी थी। काउंसलिंग के साथ ही हम शरीर को इस तरह से ढाल सकते हैं कि तनाव का हम पर असर ना हो। प्राणायाम, ध्यान और नियमित व्यायाम की कला सीख कर हम ऐसा कर सकते हैं।”
अग्रवाल ने कहा, “शोध में यह बात सामने आई है कि गुस्सा, द्वेष और आक्रामकता दिल के रोगों का नया खतरा बन कर उभर रहे हैं। यहां तक कि गुस्से की हालत को दोबारा याद करने से भी दिल का दौरा प्रोत्साहित होता है। शोध में यह भी पाया गया है कि अगर डॉक्टर आईसीयू में बेहोश मरीज के सामने नकारात्मक बातें करने की बजाय सकारात्मक बातें करें तो उसके नतीजे बेहतर निकलते हैं।”
आध्यात्मिक दावा का अभ्यास करने का सबसे बेहतर तरीका है अपने विचारों, बोलों और क्रियाओं में मौन को लाना। प्राकृति माहौल में शांत मन से केवल सैर करते हुए और प्राकृति की सुंदर आवाजों को सुनते हुए बिताना 20 मिनट के ध्यान के बराबर प्रभावशाली होता है। 20 मिनट के ध्यान से वही मानसिक ऊर्जा प्राप्त होती है जो सात घंटे की नींद से मिलती है।
लाइफ स्टाइल
गर्मियों में रोजाना मूली खाने से होंगे कई फायदे, आज ही करें डाइट में शामिल
नई दिल्ली। लोगों को लगता है कि मूली केवल सर्दियों में उगती है और इसे तभी खाया जाता है, लेकिन मूली की कुछ किस्मे बसंत और गर्मियों में भी उगती हैं, जैसे कि गाजर। सफ़ेद मूली भारत में सबसे अधिक पाई जाने वाली किस्म है, जो स्प्रिंग-समर सीजन में मिलती है।
इसके अलावा मूली की अन्य किस्में भी हैं, जिसमें गुलाबी और कभी-कभी काले रंग की मूली शामिल है। हालांकि, कुछ लोगों को मूली पसंद नहीं होती, लेकिन हम आपको इसके कुछ ऐसे स्वास्थ्य लाभों के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसे जानने के बाद आप इसे खाने से परहेज नहीं करेंगे।
सेहत के लिए कैसे फायदेमंद है मूली?
RBC को बढ़ाए: मूली हमारे शरीर में RBC (रेड ब्लड सेल्स) के डैमेज को होने से रोकता है और इस प्रक्रिया में खून में ऑक्सीजन की आपूर्ति को भी बढ़ाता है।
हाई फाइबर: अगर मूली को रोजाना सलाद के हिस्से के रूप में खाते हैं, तो यह शरीर में फाइबर की कमी को पूरा करता है, जिससे डाइजेशन में सुधार होता है।
दिल के लिए फायदेमंद: मूली एंथोसायनिन का एक अच्छा स्रोत है, जो हमारे दिल को ठीक से काम करने में मदद करता है और जिससे दिल की बीमारी का खतरा कम होता है। साथ ही इनमें विटामिन सी, फोलिक एसिड और फ्लेवोनोइड्स भी भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं।
ब्लड प्रेशर कंट्रोल करे: मूली पोटेशियम का भी अच्छा स्त्रोत है, जो ब्लड प्रेशर को कम करके ब्लड सर्कुलेशन में सुधार कर सकती है। खासकर अगर आप हाई बीपी से पीड़ित हैं।
इम्यूनिटी बढ़ाए: मूली में हाई विटामिन सी होने के कारण यह सामान्य सर्दी और खांसी से बचा सकता है और इम्यूनिटी में भी सुधार कर सकता है। लेकिन इसके लिए आपको रोजाना मूली खाने की जरूरत होती है। इसके अलावा यह फ्री रैडिकल्स से होने वाले डैमेज से भी बचाता है।
ब्लड वैसल्स को मजबूत करता है: मूली कोलेजन के उत्पादन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है, जो बदले में ब्लड वैसल्स को बूस्ट करती है और एथेरोस्क्लेरोसिस होने की संभावना को कम करती है।
मेटाबॉलिज्म के लिए फायदेमंद: यह रूट वेजिटेबल न केवल डाइजेशन के लिए अच्छी है, बल्कि यह एसिडिटी, मोटापा, गैस्ट्रिक समस्याओं और मतली जैसी परेशानियों को ठीक करने में भी मदद करती है।
न्यूट्रिशन से भरपूर: लाल मूली में विटामिन ई, ए, सी, बी6 और के होता है और यह सभी हमारे शरीर को अच्छी तरह से फंक्शन करने में मदद करती है।
स्किन के लिए फायदेमंद: हर दिन मूली का रस पीने से स्किन को हेल्दी रखने में मदद मिलती है और ऐसा ज्यादातर विटामिन सी, जिंक और फास्फोरस के गुणों के कारण होता है।
इसके अलावा ड्राईनेस, मुंहासे, फुंसी और रैशेज को भी दूर रख जा सकता है। वहीं मूली के रस को बालों में लगाते हैं, तो यह डैंड्रफ को दूर करने में भी मदद करता है, बालों का झड़ना रोकता है और जड़ों को मजबूत बनाता है।
हाइड्रेट: गर्मियों में मूली खाने से शरीर हाइड्रेटेड रहता है क्योंकि इसमें पानी की मात्रा अधिक होती है।
डिसक्लेमर: लेख में उल्लिखित सलाह और सुझाव सिर्फ सामान्य सूचना के लिए हैं और इन्हें पेशेवर चिकित्सा सलाह के रूप में नहीं लिया जाना चाहिए।
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