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अन्तर्राष्ट्रीय

जानें सऊदी के शहजादे को क्यों कहना पड़ा, मैं गांधी या मंडेला नहीं…

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सऊदी अरब के शहजादे मोहम्मद बिन सलमान का नाम दुनिया के शाही रईसों में आता है। अपने एक इंटरव्यू में प्रिंस ने अपनी अमीरी का जिक्र करते हुए कहा कि वह बहुत दौलतमंद हैं। उन्होंने यह भी कहा कि मैं गांधी या मंडेला नहीं हूं। मैं गरीब शख्स भी नहीं हूं।

बता दें कि भ्रष्टाचार के खिलाफ हाल में कई राजकुमारों पर कड़ी कार्रवाई करने वाले शहजादे बिन सलमान अपने शाही खर्च के लिए आलोचना का सामना करते रहते हैं। उनका कहना है, “जहां तक मेरे निजी खर्च का सवाल है तो मैं एक अमीर आदमी हूं। मैं कोई गांधी या मंडेला नहीं हूं।” सऊदी के प्रिंस फ्रेंच शैटो के भी मालिक हैं और इसे दुनिया का सबसे महंगा घर माना जाता है।

फिलहाल प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान इन दिनों अमेरिका यात्रा पर हैं और मंगलवार को वह यूएस राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप से मुलाकात करने वाले हैं। इस मुलाकात में दोनों देशों के प्रतिद्वंद्वी माने जाने वाले ईरान को लेकर चर्चा हो सकती है।

माना जा रहा है कि सलमान यूएस राष्ट्रपति के सामने अपने देश में किए गए सामाजिक बदलावों और अपनी विदेश नीति का जिक्र कर सकते हैं। राजकुमार सलमान ने यह बात भी स्वीकार की कि सऊदी अरब रूढ़ीवादी इस्लाम की जकड़ में है। उन्होंने कहा कि सऊदी अरब इस रूढ़ीवादिता का शिकार 1979 में हुआ था। उस समय ईरान में इस्लामिक रिवॉल्यूशन आया जिसके बाद मक्का की मस्जिद पर चरमपंथियों ने कब्जा कर लिया। उन्होंने कहा कि असली सऊदी अरब ऐसा था ही नहीं, वह चाहते हैं कि लोग अपने स्मार्टफोन पर 60 और 70 के दशक के सऊदी अरब को सर्च करके देखें।

अन्तर्राष्ट्रीय

पाकिस्तान के रक्षा मंत्री का बयान, ‘पाकिस्तान के इस सैन्य तानाशाह को कब्र से निकालकर फांसी पर लटकाना चाहिए’

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नई दिल्ली। पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने नेशनल असेंबली में एक बहस के दौरान कहा कि संविधान को निरस्त करने के लिए अयूब खान के शव को कब्र से निकालकर उसको फांसी पर लटका दिया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि अयूब खान ने संविधान को रद्द करने का जो काम किया था, उसके लिए उनको कभी माफ नहीं किया जा सकता है। आसिफ ने ये कमेंट असेंबली में विपक्ष के नेता और अयूब खान के पोते उमर अयूब खान से बहस के दौरान किया। उमर ने सेना की पिछले सप्ताह की प्रेस कॉन्फ्रेंस पर सवाल उठाते हुए फौज के राजनीति में हस्तक्षेप पर एतराज जताया था। इसके बाद जवाब में ख्वाजा ने कड़ी प्रतिक्रिया दी।

इससे पहले उमर अयूब खान ने कहा कि संविधान के अनुसार सुरक्षा एजेंसियां राजनीति में शामिल नहीं हो सकती हैं। उन्होंने संविधान के विभिन्न अनुच्छेदों का हवाला देते हुए कहा कि सैन्य अधिकारियों की शपथ उन्हें राजनीति में हस्तक्षेप करने की इजाजत नहीं देती। उन्होंने कहा ‘‘सुरक्षा संस्थानों को संविधान के अनुसार, राजनीति में शामिल नहीं होना चाहिए। यह संवाददाता सम्मेलन नहीं होना चाहिए था।’’ उन्होंने अनुच्छेद छह का हवाला देते हुआ कहा कि संविधान को निरस्त करना दंडनीय देशद्रोह है जिसके लिए मौत की सजा तय है। उन्होंने आग्रह किया कि सभी संस्थानों को संवैधानिक सीमाओं के भीतर रहना चाहिए।

रक्षा मंत्री आसिफ ने कहा कि अयूब खान संविधान का उल्लंघन करने वाले पहले व्यक्ति थे और उन्हें अनुच्छेद छह का सामना करने वाला भी पहला व्यक्ति होना चाहिए। रक्षा मंत्री आसिफ ने कहा, “देश में पहला मार्शल लॉ लागू करने वाले झूठे फील्ड मार्शल अयूब खान के शरीर को भी (अनुच्छेद 6 के अनुसार) खोदकर निकाला जाना चाहिए और फांसी दी जानी चाहिए।”

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