Connect with us
https://www.aajkikhabar.com/wp-content/uploads/2020/12/Digital-Strip-Ad-1.jpg

प्रादेशिक

छोटा भीम की मदद से जिंदगी की महाभारत जीतने की कवायद

Published

on

Loading

धमतरी। राशि और नाम कब किसके लिए कमाल कर दे, इसका पता स्वयं उस व्यक्ति को नहीं चलता, लेकिन उसी नाम के कई ऐसे लोग होते हैं जो गुमनामी के अंधेरों में पेट भर रौशनी के लिए तरसते रहते हैं। राजस्थान के अमित और सचिन की दास्तां कुछ ऐसी ही है।

धमतरी के गली मोहल्लों में कुछ अलग तरह के राजस्थानी गुब्बारे बेच रहे अमित और सचिन को लगता है कि गुब्बारों में बना छोटा भीम आज नहीं तो कल जिंदगी के महाभारत में उनको कुछ ऐसा पैंतरा सिखा जाएगा कि रोज कमाओ रोज खाओ की लड़ाई से उन्हें निजात मिलेगी। राजस्थान से धमतरी पहुंचे अमित को पता है कि अमिताभ बच्चन कौन हैं और उनको भी अमित कहा जाता है। सचिन को पता है कि मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर कौन हैं और आज दुनिया में उनकी क्या हस्ती है, पर राशि और नाम सबके लिए प्रगतिकारी नहीं होता।

अमित ने जबसे होश संभाला उसके हाथ में कोई न कोई काम पकड़ा दिया गया। उसे यह भी पता है कि काम नहीं करेगा तो पेट की आग बुझा पाना मुश्किल होगी। दिखने में सुंदर और बांका जवान अमित मानता है कि यदि उसने थोड़ी-बहुत भी पढ़ाई कर ली होती तो आज गुब्बारों को बेचने की जगह उसकी अपनी फैक्ट्री होती।

सचिन ने चार क्लास की पढ़ाई तो की लेकिन घर की आर्थिक स्थिति ने उसे मजबूर कर दिया और निकल पड़ा महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में छोटा भीम बेचकर जिंदगी की तकलीफों को छोटा करने के लिए। करीब 10 माह तक घर से बाहर पाई-पाई जोड़ने 10-12 युवा राजस्थान से धमतरी पहुंचे हैं। अलग-अलग आकृति वाले इन गुब्बारों का चटकीला रंग बच्चों को बरबस ही अपनी ओर आकर्षित करता है।

लागत लगाने के बाद कड़ी धूप में घूम-घूमकर जब शाम को अमित और सचिन घर लौटते हैं, तो भूख मिटाने की इच्छा को दबाकर उन्हें फिर कल की तैयारी करनी पड़ती है। क्योंकि किसी भी दिन यदि कमाई नहीं हुई, तो समझिए कि उस दिन फांके में गुजारना पड़ेगा। राजस्थान जैसे प्रगतिशील राज्य से भी युवा छत्तीसगढ़ में रोजी मजूरी के लिए पहुंचते हैं। या कहें कि कुछ महीनों के लिए वहां का भी कुछ प्रतिशत मजदूर वर्ग पलायन करता है।

लोग बेरोजगारी को लेकर शासन प्रशासन की ओर ऊंगली उठाते हैं, पर अमित और सचिन जैसे बच्चों की जिंदगी से पढ़ाई और बचपन दोनों को छिन जाने की ओर किसी का ध्यान नहीं। होना यह चाहिए कि आज जिस तरह सबके पास आधार कार्ड होना जरूरी है, उसी तरह हर घर में बच्चों को कम से कम 12वीं तक पढ़ा होना अनिवार्य कर देना चाहिए। शायद यह तरीका देश में शिक्षा के अधिकार को फलीभूत करने में कारगर हो।

 

उत्तर प्रदेश

नोएडा: गौतमबुद्ध यूनिवर्सिटी की पानी की टंकी में मिली महिला का लाश, पुलिस को पति पर हत्या का शक

Published

on

Loading

नोएडा उत्तर प्रदेश के ग्रेटर नोएडा के गौतमबुद्ध नगर विश्‍वविद्यालय की पानी की टंकी में एक महिला का शव मिलने से सनसनी फ़ैल गई है। मौके पर पहुंची पुलिस टीम जांच में जुटी हुई है। शुरुआती जानकारी से पता चला है कि महिला का पति फरार है, जो विश्‍वविद्यालय के बगल में ही बने सरकारी अस्पताल जिम्स का कर्मचारी बताया जा रहा है। पुलिस को संदेह है कि पति ने ही पत्नी को मौत के घाट उतारा है।

कोतवाली ईकोटेक-1 क्षेत्र के गौतमबुद्ध विश्वविद्यालय परिसर में राजकीय आयुर्विज्ञान संस्थान के कर्मचारियों का स्टाफ क्वार्टर है। उसी में रहने वाले ड्राइवर की पत्नी का शव मिला है। सोमवार देर रात करीब 11 बजे के आस-पास बिल्डिंग की तीसरी मंजिल पर बनी सीमेंट की पानी की टंकी के अंदर मिला है। आसपास के लोगों ने पुलिस को बताया कि दो महीने पहले ही दंपती यहां पर रहने के लिए आए थे। आशंका जताई जा रही है कि महिला की हत्या करने के बाद शव को पानी की टंकी में फेंक दिया गया। पुलिस आरोपी की तलाश कर रही है।

एडिशनल पुलिस कमिश्नर (लॉ एंड आर्डर) शिवहरि मीणा ने बताया कि गौतमबुद्ध विश्वविद्यालय की छत पर बने सीमेंटेड पानी के टैंक एक महिला का शव मिलने की सूचना प्राप्त हुई। महिला का पति विश्वविद्यालय में चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी है। पड़ोसियों ने बताया कि रात में पति-पत्नी के बीच किसी बात को लेकर झगड़ा हुआ था। वे अक्सर आपस में झगड़ते रहते थे। महिला का पति मौके से फरार है।

Continue Reading

Trending