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अन्तर्राष्ट्रीय

‘चीन-वियतनाम सैन्य संबंधों को मिले बढ़ावा’

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हनोई। चीन के वरिष्ठ सैन्य अधिकारियों का कहना है कि क्षेत्र व विश्व की जटिल परिस्थितियों को देखते हुए चीन तथा वियतनाम को द्विपक्षीय सैन्य संबंधों को बढ़ावा देने, द्विपक्षीय सहयोग में विस्तार और एकजुटता को मजबूत करने की दिशा में कोशिश करनी चाहिए।

चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी के जनरल स्टाफ के उप प्रमुख सुन जियांगुओ ने यहां वियतनाम के उप रक्षा मंत्री ग्युयेन ची विन्ह के साथ दोनों देशों के रक्षा मंत्रालयों के बीच आठवें रक्षा एवं सुरक्षा सम्मेलन की सह-अध्यक्षता के दौरान यह बात कही।

सुन ने कहा कि इस दिशा में भविष्य में द्विपक्षीय सहयोग को लेकर चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग और वियतनाम की कम्युनिस्ट पार्टी के महासचिव ग्युयेन फू त्रोंग के बीच अप्रैल में उस वक्त सहमति बनी थी, जब त्रोंग चीन के दौरे पर आए थे।

उन्होंने कहा कि चीन दोनों देशों की सेना के बीच संबंधों को बहुत महत्व देता है और दोनों देशों के बीच सैन्य सहयोग को बढ़ावा देने और दोनों देशों के लोगों के साझा लाभ तथा क्षेत्र में शांति एवं स्थिरता के लिए साथ मिलकर वियतनाम के साथ काम करने को लेकर तैयार है।

वहीं, विन्ह ने कहा कि वियतनाम और चीन एक-दूसरे के अच्छे पड़ोसी हैं। वियतनाम, चीन के साथ संबंधों को वरीयता देता है और दोनों देशों के नेताओं द्वारा द्विपक्षीय संबंधों को नए आयाम देने के लिए तैयार दिशा-निर्देशों को अमल में लाने के लिए तैयार है।

विन्ह ने कहा कि दोनों पक्ष आपसी राजनीतिक विश्वास को बढ़ावा देने, एकजुटता एवं मित्रता को मजबूत करने और दोनों देशों के सामाजिक-आर्थिक विकास के लिए व्यावहारिक सहयोग तथा दोनों पक्षों के आम लोगों के हितों का संवर्धन करते रहेंगे।

सम्मेलन के दौरान दोनों पक्षों ने क्षेत्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय मुद्दों, द्विपक्षीय संबंधों और साझा चिंता से जुड़े मुद्दों पर भी अपनी बात रखी।

 

अन्तर्राष्ट्रीय

भारत में अवसरों की भरमार, पीएम मोदी के नेतृत्व में 10 सालों में देश ने अच्छी प्रगति की : वॉरेन बफे

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नई दिल्ली। बर्कशायर हैथवे के चेयरमैन और सीईओ वॉरेन बफे भारत की निवेश की संभावनाओं को लेकर काफी उत्साहित हैं। उन्होंने रविवार को कंपनी की सालाना बैठक की अध्यक्षता करते हुए कहा कि भारत में अवसरों की भरमार हैं। उन्होंने कहा कि भारत अब 5 ट्रिलियन डॉलर की इकोनॉमी और दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की राह पर है। बीते दस सालों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व में देश ने सभी आर्थिक मानदंडों में अच्छी प्रगति की है। अब लगभग 3.7 ट्रिलियन डॉलर (अनुमान वित्त वर्ष 2023-24) की जीडीपी के साथ भारत आर्थिक रूप से पांचवां सबसे बड़ा देश है। एक दशक पहले देश 1.9 ट्रिलियन डॉलर (मौजूदा बाजार मूल्य) की जीडीपी के साथ भारत 10वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था था। वित्त मंत्रालय के अनुसार, इस 10 साल की यात्रा में कई रिफॉर्म हुए जिसने देश को आर्थिक रूप से आगे बढ़ाया है।

रविवार को अपनी कंपनी की वार्षिक बैठक में वॉरेन बफेट ने कहा, भारत में नई संभावनाओं का पता लगाएं। यहां ऐसे क्षेत्र हो सकते हैं जिनको सर्च नहीं किया गया है या यहां मौजूद अवसरों पर ध्यान नहीं दिया गया है। उन्होंने कहा, मुझे यकीन है कि भारत में बहुत सारे अवसर हैं। सवाल यह है कि क्या हमें उनके बारे में जानकारी है, जिसमें हम भाग लेना चाहेंगे। बफेट देश में संभावित प्रवेश की तलाश में हैं। भारत की जीडीपी ग्रोथ एक नए शिखर पर पहुंचने के लिए तैयार है। विनिर्माण और ऑटोमोबाइल जैसे सेक्टरों ने फिर से सुधार देखना शुरू कर दिया है और जीएसटी कलेक्शन नई ऊंचाई हासिल कर रहा है।

आरबीआई के लेटेस्ट आंकड़ों के अनुसार, भारत की जीडीपी ग्रोथ महामारी से पहले 2020 के दौरान दर्ज की गई 7 प्रतिशत से ऊपर बढ़ने के संकेत हैं। आईएमएफ के लेटेस्ट आंकड़ों के अनुसार, 2004 में भारत की प्रति व्यक्ति जीडीपी 635 डॉलर थी। 2024 में देश की प्रति व्यक्ति जीडीपी बढ़कर 2,850 डॉलर हो गई है, जो इसके समकक्ष देशों के लिए 6,770 डॉलर का 42 प्रतिशत है। इस महीने की शुरुआत में जारी एचएसबीसी सर्वे के अनुसार, मजबूत मांग के कारण भारत का विनिर्माण सेक्टर अप्रैल में मजबूत गति से बढ़ा। इसके अलावा विश्व चुनौतियों के बावजूद, एक लाख से अधिक स्टार्टअप और 100 से ज्यादा यूनिकॉर्न के साथ देश ग्लोबल स्तर पर तीसरा सबसे बड़ा टेक स्टार्टअप इकोसिस्टम बना हुआ है।

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