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अन्तर्राष्ट्रीय

ग्रीस : कर्ज समझौते पर ऐतिहासिक जनमत संग्रह

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एथेंस | ग्रीस में मतदाता रविवार को ऐतिहासिक जनमत संग्रह प्रक्रिया में हिस्सा ले रहे हैं। यह जनमत संग्रह अंतर्राष्ट्रीय कर्जदाताओं के साथ संभावित अगले कर्ज समझौते पर उसकी शर्तो को लेकर कराया जा रहा है। समाचार एजेंसी एएनए-एमपीए ने अधिकारियों के हवाले से बताया कि देशभर के विभिन्न मतदान केंद्रों पर बिना किसी बाधा के मतदान चल रहा है। ग्रीस के राष्ट्रपति प्रोकोपिस पावलोपौलस ने ग्रीसवासियों से रविवार के मतदान के नतीजों की परवाह नहीं करते हुए एकजुट रहने की अपील की।

ग्रीस के आंतरिक मामलों और प्रशासनिक सुधार मंत्रालय ने बताया कि इस जनमत संग्रह में ग्रीस के लगभग 85 लाख लोग अपने मताधिकार का इस्तेमाल कर रहे हैं। समाचार एजेंसी ‘टीएएसएस’ के मुताबिक, इस मतदान को तभी वैध समझा जाएगा, जब इसमें कम से कम 40 प्रतिशत पंजीकृत मतदाता हिस्सा लेंगे। मतदान केंद्र सुबह सात बजे खुल गए और शाम सात बजे (भारतीय समयानुसार रात 9.30 बजे) मतदान समाप्त होना है। इस जनमत संग्रह में ग्रीस के दिवालिया (डिफॉल्ट) होने का संकट टलने या फिर देश के यूरोक्षेत्र से बाहर होने पर फैसला होगा। ग्रीस के प्रधानमंत्री एलेक्सिस सिप्रास ने जनमत संग्रह से पहले सभी देशवासियों से मितव्ययी सुधारों के लिए कर्जदाताओं के प्रस्तावों के खिलाफ मतदान करने का आह्वान किया।

सिप्रास का कहना है कि कर्जदाताओं के प्रस्ताव पूर्ण यूरोपीय नियमों और रोजगार के अधिकार, समानता और सम्मान का स्पष्ट उल्लंघन है। ग्रीस के प्रधानमंत्री एलेक्सिस सिप्रास ने नागरिकों से जनमत संग्रह में ‘नहीं’ के पक्ष में मतदान करने को कहा है। उनका कहना है कि इससे कर्जदाताओं के साथ कर्ज संबंधी वार्ता में सरकार को मजबूती मिलेगी। अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) के मुताबिक, ग्रीस कर्ज संकट अस्थाई है। ग्रीस को कर्ज राहत के लिए सुधार कदम अपनाने की जरूरत है। इसके साथ ही 2018 तक 50 अरब यूरो यानी 5.5 अरब डॉलर के नए वित्तीय पैकेज की जरूत है। जनमत संग्रह से एक दिन पहले ग्रीस के वित्त मंत्री यानिस वारोफाकिस ने कर्जदाताओं पर ग्रीस के साथ आतंकवादी जैसा व्यवहार करने का आरोप लगाया। उनका कहना है कि जनमत संग्रह में ‘न’ के पक्ष में वोट देने से ग्रीस यूरोक्षेत्र से बाहर हो सकता है।

ऑस्ट्रिया के वित्त मंत्री हैंस जॉर्ज स्कीलिंग ने कहा कि मुझे उम्मीद है कि ग्रीसवासी कर्ज संकट सुलझाने के लिए यूरोपीय आयोग, यूरोपीय केंद्रीय बैंक और अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) के मसौदा समझौते के पक्ष में मतदान करेंगे। उन्होंने कहा, “मुझे आशा है कि सामान्य समझ की जीत होगी, क्योंकि ग्रीस के लोग जानते हैं कि सिर्फ यूरो का भविष्य ही सवालों के घेरे में नहीं है, बल्कि यह ग्रीस के खुद के भविष्य से भी जुड़ा हुआ है।” स्कीलिंग ने कहा, “हम लंबे समय से ग्रीसवासियों को रियायतें दे रहे हैं और हम अभी भी उनकी मदद कर रहे हैं।” उन्होंने कहा कि ग्रीस सरकार जैसे ही अपनी मंशा स्पष्ट करेगी, ईयू उसके साथ बातचीत बहाल कर देगा।”

अन्तर्राष्ट्रीय

भारत में अवसरों की भरमार, पीएम मोदी के नेतृत्व में 10 सालों में देश ने अच्छी प्रगति की : वॉरेन बफे

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नई दिल्ली। बर्कशायर हैथवे के चेयरमैन और सीईओ वॉरेन बफे भारत की निवेश की संभावनाओं को लेकर काफी उत्साहित हैं। उन्होंने रविवार को कंपनी की सालाना बैठक की अध्यक्षता करते हुए कहा कि भारत में अवसरों की भरमार हैं। उन्होंने कहा कि भारत अब 5 ट्रिलियन डॉलर की इकोनॉमी और दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की राह पर है। बीते दस सालों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व में देश ने सभी आर्थिक मानदंडों में अच्छी प्रगति की है। अब लगभग 3.7 ट्रिलियन डॉलर (अनुमान वित्त वर्ष 2023-24) की जीडीपी के साथ भारत आर्थिक रूप से पांचवां सबसे बड़ा देश है। एक दशक पहले देश 1.9 ट्रिलियन डॉलर (मौजूदा बाजार मूल्य) की जीडीपी के साथ भारत 10वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था था। वित्त मंत्रालय के अनुसार, इस 10 साल की यात्रा में कई रिफॉर्म हुए जिसने देश को आर्थिक रूप से आगे बढ़ाया है।

रविवार को अपनी कंपनी की वार्षिक बैठक में वॉरेन बफेट ने कहा, भारत में नई संभावनाओं का पता लगाएं। यहां ऐसे क्षेत्र हो सकते हैं जिनको सर्च नहीं किया गया है या यहां मौजूद अवसरों पर ध्यान नहीं दिया गया है। उन्होंने कहा, मुझे यकीन है कि भारत में बहुत सारे अवसर हैं। सवाल यह है कि क्या हमें उनके बारे में जानकारी है, जिसमें हम भाग लेना चाहेंगे। बफेट देश में संभावित प्रवेश की तलाश में हैं। भारत की जीडीपी ग्रोथ एक नए शिखर पर पहुंचने के लिए तैयार है। विनिर्माण और ऑटोमोबाइल जैसे सेक्टरों ने फिर से सुधार देखना शुरू कर दिया है और जीएसटी कलेक्शन नई ऊंचाई हासिल कर रहा है।

आरबीआई के लेटेस्ट आंकड़ों के अनुसार, भारत की जीडीपी ग्रोथ महामारी से पहले 2020 के दौरान दर्ज की गई 7 प्रतिशत से ऊपर बढ़ने के संकेत हैं। आईएमएफ के लेटेस्ट आंकड़ों के अनुसार, 2004 में भारत की प्रति व्यक्ति जीडीपी 635 डॉलर थी। 2024 में देश की प्रति व्यक्ति जीडीपी बढ़कर 2,850 डॉलर हो गई है, जो इसके समकक्ष देशों के लिए 6,770 डॉलर का 42 प्रतिशत है। इस महीने की शुरुआत में जारी एचएसबीसी सर्वे के अनुसार, मजबूत मांग के कारण भारत का विनिर्माण सेक्टर अप्रैल में मजबूत गति से बढ़ा। इसके अलावा विश्व चुनौतियों के बावजूद, एक लाख से अधिक स्टार्टअप और 100 से ज्यादा यूनिकॉर्न के साथ देश ग्लोबल स्तर पर तीसरा सबसे बड़ा टेक स्टार्टअप इकोसिस्टम बना हुआ है।

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