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खुलेआम ठगी का खेल, फ्रूट जूस के नाम पर पिला रहे पानी

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नई दिल्ली। नामी गिरामी कंपनियों के फ्रूट जूस पीकर सेहतमंद होने का सपना देखने वाले सावधान हो जाएं। वजह यह है कि कंपनियां फ्रूट जूस के नाम पर उन्हें धोखा देकर पानी बेच रही हैं। कंपनियां जो फ्रूट जूस महंगे दामों पर उपलब्ध करा रही हैं उसमें सिर्फ 13 फीसदी ही फ्रूट जूस की मात्रा होती है, बाकी पानी होता है जिसमें गैस भरी होती है।

इस तथ्य का खुलासा होने पर सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने फ्रूट जूस का निर्माण करने वाली कंपनी को जमकर लताड़ लगाई। उन्होंने ठगी करने वाले कंपनियों को नसीहत दी कि लोगों को बेवकूफ समझना छोड़ दें और अपने फैसले में एयरेटेड वॉटर ड्रिंक (गैस भरा हुआ पानी) पर लगने वाला हेवी टैक्स ऐसी कंपनियों पर भी लगाने को कहा। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि फ्रूट जूस के लिए टैक्स में जो छूट मिलती है, ये कंपनियां उस लायक नहीं हैं। कोर्ट ने मेसर्स ट्रेडलाइंस द्वारा दाखिल की गई उस याचिका को भी खारिज कर दिया जिसमें कंपनी ने अपने प्रॉडक्ट ‘ऐपी फिज’ पर फ्रूट जूस के लिए वैट में मिलनी वाली छूट देने का आग्रह किया था। ऐपी फिज को नामी-गिरामी कंपनी पारले बनाती है।

चीफ जस्टिस एचएल दत्तू और जस्टिस एके सिकरी व आर.के.अग्रवाल वाली खंडपीठ ने याचिकाकर्ता के वकील एस.के.बागरिया को फटकार लगाते हुए कहा कि आप लोगों को फ्रूट जूस के नाम पर क्या देते हैं, सिर्फ हवा भरा हुआ पानी। ऊपर से दावा करते हैं कि इसे पीकर लोगों की ताकत बढ़ेगी। कोर्ट ने कहा कि अब तक आप लोगों को यह कहकर बेवकूफ बनाते रहे हैं कि इसे पीने से उनको एनर्जी मिलेगी। पीठ ने कहा कि केरल हाईकोर्ट समेत कई अदालतों ने इस फैसले को बरकरार रखा है कि एयरेटेड वॉटर ड्रिंक पर 20 फीसदी टैक्स लगाया जाए न कि 12.5 फीसदी जो फ्रूट जूस पर चार्ज किया जाता है। पीठ ने कहा कि हाई कोर्ट के फैसले में दखल देने की कोई जरूरत नहीं है। गौरतलब है कि याचिकाकर्ता ट्रेड लाइंस ने सुप्रीम कोर्ट में केरल हाईकोर्ट के 17 नवंबर के उस फैसले को चुनौती दी थी जिसमें इसे ऐपी फिज पर 20 फीसदी वैट टैक्स का भुगतान करने के लिए कहा गया था। ड्रिंक में कॉन्टेंट की जांच करने के बाद उच्च न्यायालय इस नतीजे पर पहुंचा था कि यह प्रॉडक्ट एयरेटेड वॉटर ड्रिंक्स की कैटिगरी में आता है न कि फ्रूट जूस।

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नेशनल

दिल्ली के स्कूलों की जांच में कुछ नहीं मिला, पुलिस बोली- ई-मेल्स और कॉल्स फर्जी

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नई दिल्ली। दिल्ली के स्कूलों में बम होने के धमकी भरे ईमेल के बाद जांच की गई तो वहां कुछ नहीं मिला। पुलिस अधिकारियों ने भी इसे होक्स ईमेल बताया है, लेकिन उन्होंने कहा कि चेकिंग जारी रहेगी। गृह मंत्रालय ने कहा कि घबराने की जरूरत नहीं है। ऐसा प्रतीत होता है कि यह फर्जी कॉल है। दिल्ली पुलिस और सुरक्षा एजेंसियां प्रोटोकॉल के मुताबिक जरूरी कदम उठा रही हैं।

वहीं दिल्ली पुलिस ने कहा कि दिल्ली के कुछ स्कूलों को बम की धमकी वाले ई-मेल मिले। दिल्ली पुलिस ने प्रोटोकॉल के तहत ऐसे सभी स्कूलों की गहन जांच की। कुछ भी आपत्तिजनक नहीं मिल। ऐसा प्रतीत होता है कि ये कॉल्स फर्जी हैं। हम जनता से अनुरोध करते हैं कि वे घबराएं नहीं और शांति बनाए रखें।

स्कूल में आए इस धमकी भरे ईमेल के बाद कई स्कूलों ने बच्चों की जल्द छुट्टी का मैसेज पेरेंट्स को भेज दिया, तो कुछ पेरेंट्स अपने बच्चों को स्कूल जाकर पहले ही ले आए। इसके अलावा कई स्कूल के प्रिंसिपल ने पेरेंट्स को मैसेज भेज कर कहा कि घबराने की बात नहीं है।

नोएडा में इंद्रप्रस्थ ग्लोबल स्कूल (आईपीजीएस) की प्रिंसिपल निकिता तोमर मान ने बताया, “मैं लोगों से आग्रह करूंगी कि वे अनावश्यक घबराहट पैदा न करें और इस स्थिति को एक परिपक्व वयस्क के रूप में लें। दिल्ली-एनसीआर के जिन स्कूलों को धमकियां मिलीं, उन्हें खाली करा लिया गया है और हमारे सहित बाकी स्कूल सामान्य रूप से काम कर रहे हैं। कोई धमकी भरा संदेश प्राप्त नहीं हुआ है।”

 

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