अन्तर्राष्ट्रीय
ओबामा के लिए नुकसानदेह नहीं दिल्ली की हवा
नई दिल्ली| अमेरिका के राष्ट्रपति बराक ओबामा का 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस पर बतौर मुख्य अतिथि भारत आगमन और दिल्ली की आबोहवा में व्याप्त प्रदूषण के कारण उनके स्वास्थ्य को होने वाले नुकसान से संबंधित रपटों के बीच इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) के अध्यक्ष डॉ. ए. मार्तण्ड पिल्लै और महासचिव पद्मश्री डॉ. के.के. अग्रवाल का कहना है कि अमेरिकी राष्ट्रपति के स्वास्थ्य को यहां किसी तरह का नुकसान नहीं होगा। डॉ. पिल्लै और अग्रवाल के अनुसार, वायु प्रदूषण के संपर्क में थोड़ी देर के लिए आने पर इसका बहुत गंभीर असर नहीं होता और यदि होता भी है तो इसका प्रभाव धीरे-धीरे खत्म हो जाता है। ‘एयर क्वालिटी इंडेक्स’, जिसे अमेरिका की पर्यावरण सुरक्षा एजेंसी ने बनाया है, हवा में प्रदूषण का स्तर मापने का एक सूचक है। ‘एयर क्वालिटी इंडेक्स’ 0-50 तक ठीक है, 51 से 100 मॉडरेट है, 101 से 150 संवेदनशील लोगों के लिए अस्वास्थ्यकर है और 151 से 200 तक हर किसी के लिए अस्वास्थ्यकर है।
ओबामा के दिल्ली आगमन के मद्देनजर यहां के वायु प्रदूषण के संदर्भ में पूछे जाने पर विशेषज्ञों ने कहा कि ओबामा इससे पहले ऐसे कई देशों की यात्रा कर चुके हैं, जहां वायु प्रदूषण का स्तर काफी ज्यादा है, जैसे अफगानिस्तान, पोलैंड, सिनेगल, चीन, ब्राजील, मिस्र, सऊदी अरब और भारत।
डॉ. अग्रवाल ने बताया कि अफगानिस्तान में वायु प्रदूषण का स्तर भारत के समान ही है। अपनी पिछली भारत यात्रा के दौरान ओबामा आगरा भी गए थे, जहां हवा में ‘सब्सटेंशियल पर्टिकुलेट मैटर’ की मात्रा अच्छी-खासी है।
पर्यावरण सुरक्षा एजेंसी के हालिया वायु प्रदूषण संबंधी आंकड़े बताते हैं कि अमेरिका के विभिन्न इलाकों में भी प्रदूषण का स्तर काफी बढ़ा है जो स्वास्स्थ्य के लिए हानिकारक है। कैलिफोर्निया में तो वायु प्रदूषण का स्तर 473 एक्यूआई तक पहुंच गया है। दिल्ली में एक्यूआई का स्तर 250 से 300 के बीच है।
डॉ. अग्रवाल कहते हैं, “दिल्ली के प्रदूषण स्तर की तुलना बीजिंग और दुनिया के कई अन्य देशों से की जा सकती है। यहां तक कि अमेरिका में प्रदूषण का स्तर बहुत कम होने के बावजूद वहां कई इलाकों में वायु प्रदूषण का स्तर अस्वास्थ्यकर स्तर तक पहुंच चुका है। ऐसे में भारत के मामले में अलग तरीके से सोचना और अनुमान लगाना ठीक नहीं है।”
उन्होंने कहा कि थोड़ी देर के लिए वायु प्रदूषण का संपर्क एक स्वस्थ व्यक्ति के लिए हानिकारक नहीं हो सकता। ओबामा के लिए दिल्ली के वायु प्रदूषण से संभावित खतरे की बात करना गलत है।
उन्होंने बताया कि 250-300 के बीच एक्यूआई पहुंचने पर यह हृदय और फेफड़े की समस्याएं बढ़ा सकता है और दिल की बीमारियों से पीड़ित और बुजुर्ग लोगों के लिए असमय मौत की वजह भी बन सकता है। सामान्य आबादी में भी इससे श्वसन संबंधी समस्याएं बढ़ सकती हैं। जिन लोगों को दिल या फेफड़े संबंधी बीमारी है, बुजुर्ग हैं और बच्चे हैं उन्हें प्रदूषण में आउटडोर एक्टिविटी से बचना चाहिए। हर किसी को लंबे समय तक ज्यादा प्रदूषण के संपर्क में नहीं रहना चाहिए।
डॉ. अग्रवाल ने कहा कि ऐसे लोग जिन्हें फेफड़े और दिल की बीमारी है, बुजुर्ग हैं और बच्चे हैं, उन्हें प्रदूषण के संपर्क से बचने के लिए ज्यादातर घर के अंदर ही रहना चाहिए।
अन्तर्राष्ट्रीय
कुवैत में संसद भंग, सभी कानून और संविधान के कुछ अनुच्छेद निलंबित
नई दिल्ली। कुवैत के अमीर शेख मिशाल ने संसद को भंग कर दिया है। अमीर ने शुक्रवार को सरकारी टीवी पर एक संबोधन में इसकी घोषणा की। इसके अलावा अमीर ने देश के सभी कानूनों के साथ संविधान के कुछ अनुच्छेदों को चार साल तक के लिए निलंबित कर दिया है। इस दौरान देश में लोकतांत्रिक प्रक्रिया के सभी पहलुओं का अध्ययन किया जाएगा। सरकारी टीवी के मुताबिक, इस दौरान नेशनल असेंबली की सभी शक्तियां अमीर और देश की कैबिनेट के पास होंगी।
एमीर ने सरकारी टीवी पर दिए अपने संबोधन में संसद भंग करने की घोषणा करते हुए कहा, “कुवैत हाल ही में बुरे वक्त से गुजर रहा है, जिसकी वजह से किंगडम को बचाने और देश के हितों को सुरक्षित करने के लिए कड़े फैसले लेने में झिझक या देरी करने के लिए कोई गुंजाइश नहीं है। उन्होंने आगे कहा कि पिछले कुछ सालों में देश के कई डिपार्टमेंट्स में भ्रष्टाचार बढ़ गया है। भ्रष्टाचार की वजह से देश का महौल खराब हो रहा है। अफसोस की बात ये है कि भ्रष्टाचार सुरक्षा और आर्थिक संस्थानों तक फैल गया है। साथ ही अमीर ने न्याय प्रणाली में भ्रष्टाचार होने की बात कही है।
कुवैत पिछले कुछ सालों से घरेलू राजनीतिक विवादों से घिरा रहा है। देश का वेल्फेयर सिस्टम इस संकट का एक प्रमुख मुद्दा रहा है और इसने सरकार को कर्ज लेने से रोका है। इसकी वजह से अपने तेल भंडार से भारी मुनाफे के बावजूद सरकारी खजाने में पब्लिक सेक्टर के कर्मचारियों को वेतन देने के लिए बहुत कम पैसे बचे हैं। कुवैत में भी दूसरे अरब देशों की तरह शेख वाली राजशाही सिस्टम है लेकिन यहां की विधायिका पड़ोसी देशों से ज्यादा पावरफुल मानी जाती है।
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