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आर्थिक सर्वेक्षण : वित्तीय अनुशासन के साथ संतुलित हो सरकारी खर्च
नई दिल्ली | संसद में शुक्रवार को पेश आर्थिक सर्वेक्षण 2014-15 में अनुमान जाहिर किया किया गया है कि वित्त वर्ष 2015-16 के दौरान विकास दर आठ प्रतिशत से अधिक रह सकती है।
इसके साथ ही सर्वेक्षण में कहा गया है कि देश आर्थिक विकास दर के लिए वित्तीय अनुशासन के साथ ही सरकारी निवेश में अल्पकालिक वृद्धि को संतुलित कर सकता है। केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने शुक्रवार को आर्थिक सर्वेक्षण 2014-15 संसद में पेश करते हुए कहा कि सरकार ने मौजूदा वर्ष में वित्तीय घाटे को सकल घरेलू उत्पाद के 4.1 प्रतिशत के दायरे में सीमित रखने के लक्ष्य को पूरा करने में प्रयत्नशील है। सर्वेक्षण के मुताबिक, मध्यावधि में वित्तीय घाटे को सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के तीन प्रतिशत के लक्ष्य को अवश्य पूरा करना होगा। इस संदर्भ में सर्वेक्षण में कहा गया है कि आगे देश की अर्थव्यवस्था के अच्छा प्रदर्शन करने की उम्मीद है। इससे भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा मौद्रिक ढील देने का रास्ता साफ हो सकता है।
बाहरी भुगतान के संदर्भ में सर्वेक्षण में कहा गया है कि आज देश की अर्थव्यवस्था पहले की तुलना में ज्यादा सुविधाजनक स्थिति में है। 2015-16 में चालू खाता घाटा (कैड) जीडीपी के एक प्रतिशत से कम रहने की उम्मीद है। 2004-2005 के बजाए 2011-12 को आधार वर्ष मान कर केंद्रीय सांख्यिकीय कार्यालय ने 2013-14 में 6.9 प्रतिशत जीडीपी विकास दर की तुलना में 2014-15 में देश की जीडीपी दर 7.4 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया है। आर्थिक सर्वेक्षण में 2014-15 की पहली छमाही में विकास दर भी संशोधित कर 7.4 प्रतिशत कर दी गई है, जबकि पुरानी पद्धति के तहत पहले यह 5.5 प्रतिशत थी।
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जानिए कौन हैं वो चार लोग, जिन्हें पीएम मोदी ने नामांकन के लिए अपना प्रस्तावक चुना
वाराणसी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वाराणसी के काल भैरव मंदिर में दर्शन करने के बाद अपना नामांकन दाखिल कर दिया। पीएम मोदी ने वाराणसी से तीसरी बार अपना नामांकन दाखिल किया है। पीएम मोदी के नामांकन में गृह मंत्री अमित शाह और राजनाथ सिंह समेत 20 केंद्रीय मंत्री मौजूद रहे। इसके अलावा 12 राज्यों के सीएम भी शामिल हुए। पीएम मोदी के नामांकन के दौरान उनके साथ चार प्रस्तावक भी कलेक्ट्रेट में मौजूद रहे।
इनमें एक पुजारी, दो ओबीसी और एक दलित समुदाय के व्यक्ति का नाम है। दरअसल पीएम मोदी के नामांकन के दौरान चार प्रस्तावक मौजूद रहे। इनमें पहला नाम आचार्य गणेश्वर शास्त्री का है, जो कि पुजारी हैं। इसके बाद बैजनाथ पटेल पीएम मोदी के नामांकन के दौरान प्रस्तावक बने, जो ओबीसी समुदाय से आते हैं। वहीं लालचंद कुशवाहा भी पीएम के नामांकन में प्रस्तावक के तौर पर शामिल हुए। ये भी ओबीसी समाज से आते हैं। पीएम मोदी के प्रस्तावकों में आखिरी नाम संजय सोनकर का भी है, जो कि दलित समुदाय से हैं।
चुनाव में प्रस्तावक की भूमिका अहम होती है। ये ही वे लोग होते हैं, जो किसी उम्मीदवार के नाम का प्रस्ताव रखते हैं। निर्वाचन आयोग के मुताबिक, प्रस्तावक वे स्थानीय लोग होते हैं, जो किसी उम्मीदवार को चुनाव लड़ने के लिए अपनी ओर से प्रस्तावित करते हैं। आमतौर पर नामांकन के लिए किसी महत्वपूर्ण दल के वीआईपी कैंडिडेट के लिए पांच और आम उम्मीदवार के लिए दस प्रस्तावकों की जरूरत होती है।
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