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आर्थिक सर्वेक्षण : सब्सिडी गरीबी से लड़ने का सर्वश्रेष्ठ हथियार नहीं
नई दिल्ली| वित्त वर्ष 2014-15 का आर्थिक सर्वेक्षण शुक्रवार को जारी किया गया। सर्वेक्षण में कहा गया है कि सब्सिडी से गरीबों के जीवनस्तर में प्रभावपूर्ण बदलाव नहीं किए जा सकते। केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने संसद में आर्थिक सर्वेक्षण पेश किया। सर्वेक्षण के अनुसार, “अनुमानित सब्सिडी सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 3,78,000 करोड़ रुपये यानी 4.24 फीसदी है, उसे करीब से देखने पर पता चलता है कि यह गरीबी से लड़ने में सरकार का सबसे अच्छा हथियार नहीं है।”
सर्वेक्षण में सीधे तौर पर कहा गया है कि इससे अक्सर प्रगति नहीं, बल्कि अवनति हुई है।
इसके मुताबिक, “मौजूदा सब्सिडी योजनाओं के विश्लेषण से संकेत मिलता है कि गरीब गृहस्थों की अपेक्षा अमीरों को सब्सिडी का ज्यादा फायदा मिलता है।”
सर्वेक्षण में विभिन्न योजनाओं में सब्सिडी के बुरे प्रभाव का उदाहरण देते हुए कहा गया है कि बिजली में सब्सिडी का लाभ अपेक्षाकृत अमीरों को अधिक हुआ है।
इसके मुताबिक, सर्वेक्षण में हालांकि, कहा गया है कि सब्सिडी घटना या खत्म करना न सुसंगत है और न वांछनीय ही।
सर्वेक्षण के मुताबिक, “जैम नंबर ट्रिनिटी -जन धन योजना, आधार और मोबाइल नंबर- को अपनाने से राज्य गरीबों को लक्षित और कम विरूपित रूप में सब्सिडी दे पाएगा।”
सर्वेक्षण में कहा गया है, “सब्सिडी की राशनिंग, उचित लाभार्थियों पर ध्यान केंद्रित करने से कृषि में सार्वजनिक निवेश के लिए धन जारी होगा।”
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जानिए कौन हैं वो चार लोग, जिन्हें पीएम मोदी ने नामांकन के लिए अपना प्रस्तावक चुना
वाराणसी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वाराणसी के काल भैरव मंदिर में दर्शन करने के बाद अपना नामांकन दाखिल कर दिया। पीएम मोदी ने वाराणसी से तीसरी बार अपना नामांकन दाखिल किया है। पीएम मोदी के नामांकन में गृह मंत्री अमित शाह और राजनाथ सिंह समेत 20 केंद्रीय मंत्री मौजूद रहे। इसके अलावा 12 राज्यों के सीएम भी शामिल हुए। पीएम मोदी के नामांकन के दौरान उनके साथ चार प्रस्तावक भी कलेक्ट्रेट में मौजूद रहे।
इनमें एक पुजारी, दो ओबीसी और एक दलित समुदाय के व्यक्ति का नाम है। दरअसल पीएम मोदी के नामांकन के दौरान चार प्रस्तावक मौजूद रहे। इनमें पहला नाम आचार्य गणेश्वर शास्त्री का है, जो कि पुजारी हैं। इसके बाद बैजनाथ पटेल पीएम मोदी के नामांकन के दौरान प्रस्तावक बने, जो ओबीसी समुदाय से आते हैं। वहीं लालचंद कुशवाहा भी पीएम के नामांकन में प्रस्तावक के तौर पर शामिल हुए। ये भी ओबीसी समाज से आते हैं। पीएम मोदी के प्रस्तावकों में आखिरी नाम संजय सोनकर का भी है, जो कि दलित समुदाय से हैं।
चुनाव में प्रस्तावक की भूमिका अहम होती है। ये ही वे लोग होते हैं, जो किसी उम्मीदवार के नाम का प्रस्ताव रखते हैं। निर्वाचन आयोग के मुताबिक, प्रस्तावक वे स्थानीय लोग होते हैं, जो किसी उम्मीदवार को चुनाव लड़ने के लिए अपनी ओर से प्रस्तावित करते हैं। आमतौर पर नामांकन के लिए किसी महत्वपूर्ण दल के वीआईपी कैंडिडेट के लिए पांच और आम उम्मीदवार के लिए दस प्रस्तावकों की जरूरत होती है।
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