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आरुषि को अधूरा न्याय, हत्यारा कौन?

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आरुषि हत्याकांड नौ साल से सुर्खियों में रहा है और संवेदनशील भी है, क्योंकि यह उत्तर प्रदेश के उस नोएडा में हुआ, जो टीवी चैनलों का हब है। बैठे-बिठाए देश-दुनिया की नजरें इस पर टिक गईं।

एक से एक मोड़ आए, नित नए किस्से सुनाई देने लगे। पुस्तक तक लिख दी गई और फिल्म भी बन गई, लेकिन उस सवाल का जवाब आज भी नहीं मिला कि ‘आरुषि’ का हत्यारा कौन है?

सीबीआई कोर्ट ने नवंबर 2013 में तलवार दंपति को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी, जिसके विरुद्ध अपील पर न्यायमूर्ति बी.के. नारायण एवं न्यायमूर्ति ए.के. मिश्र की खंडपीठ के समक्ष इलाहाबाद हाईकोर्ट में सुनवाई हुई। इसमें पहले अदालत ने 11 जनवरी को अपना फैसला सुरक्षा कर लिया था, लेकिन बाद में सीबीआई की कुछ दलीलों में विरोधाभास पाते हुए सुनवाई को फिर से शुरू करने का फैसला किया। उसके बाद अदालत ने अपना फैसला 12 अक्टूरबर तक के लिए सुरक्षित रख लिया, जिसमें निचली अदालत के फैसले को पलटते हुए तलवार दंपति को बरी कर दिया है।

इस मामले में चूंकि कोई गवाह नहीं था, इसलिए सारा दारोमदार जांच और थ्योरी पर ही था, लेकिन अदालत में सबूतों को जिस तरह से पेश किया जाना चाहिए था, वो नहीं हुआ। मामला परिस्थितिजन्य साक्ष्य पर केंद्रित रहा।

घटनास्थल भी बार-बार की जांच से निश्चित रूप से प्रभावित हुआ और मुकदमे के दौरान कई सबूतों को नुकसान पहुंचा होगा। हाईकोर्ट ने इन्हीं आधारों पर माना कि तलवार दंपति को संदेह का लाभ मिलना चाहिए। 25 नवंबर 2013 को सीबीआई कोर्ट ने तलवार दंपति को उम्रकैद की सजा सुनाई थी। उसके बाद दोनों गाजियाबाद की डासना जेल में बंद हैं।

14 साल की बेटी आरुषि तलवार और नौकर हेमराज की हत्या 15-16 मई, 2008 की दरम्यानी रात नोएडा स्थित उनके घर में हुई, जबकि एक दिन बाद नौकर हेमराज का शव छत से बरामद हुआ। 23 मई, 2008 को राजेश तलवार को उत्तर प्रदेश पुलिस ने गिरफ्तार किया और दूसरे दिन मुख्य अभियुक्त करार दिया। 29 मई को तत्कालीन मुख्यमंत्री मायावती ने सीबीआई जांच का आदेश दिया था।

जून 2008 सीबीआई ने प्राथमिकी दर्ज कर जांच शुरू की और राजेश तलवार को हिरासत में लेकर पूछताछ की, लेकिन सबूतों के आभाव में विशेष अदालत ने 12 जुलाई, 2008 को राजेश तलवार को रिहा कर दिया। इस बीच कम्पाउंडर और 2 नौकरों को भी गिरफ्तार किया, लेकिन सबूतों के आभाव में उन्हें भी छोड़ दिया गया।

पहली बार 9 फरवरी, 2009 को तलवार दंपति पर हत्या का मामला दर्ज किया गया। जांच में सहयोग न करने के चलते दोनों के नार्को जांच की जनवरी 2010 में इजाजत भी मिली। मामले में कई मोड़ आए, सीबीआई की जांच हुई और इसमें दिसंबर 2010 में 30 महीने बाद क्लोजर रिपोर्ट पेश की गई। उसके पिता राजेश तलवार पर 25 जनवरी 2011 कोर्ट में चाकू से हमला किया गया। 6 जनवरी 2012 को तलवार दंपति पर को सुप्रीम कोर्ट ने तलवार दंपति पर मुकदमा चलाने का आदेश दिया। नूपुर तलवार को 30 अप्रैल 2012 को गिरफ्तार कर लिया गया। इस बीच नूपुर तलवार 25 सितंबर, 2012 को जमानत पर बाहर आ गईं।

12 नवंबर, 2013 को बचाव पक्ष के गवाहों के अंतिम बयान दर्ज किए गए थे। कोर्ट ने 25 नवंबर 2013 को दोनों को आजीवन का कारावास फैसला सुनाया और तभी से दोनों गाजियाबाद के डासना जेल में बंद हैं। हालाकि 29 अगस्त 2016 को उच्च न्यायालय के एक आदेश के बाद नूपुर कुछ दिनों के लिए पैरोल पर रिहा की गई थी।

तलवार दंपति को न्याय मिला, जो प्रशंसनीय है। लेकिन हत्यारा कौन है, इस सवाल का जवाब क्या किसी के पास है?

(लेखक स्वतंत्र पत्रकार एवं टिप्पणीकार हैं)

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दिल्ली के स्कूलों की जांच में कुछ नहीं मिला, पुलिस बोली- ई-मेल्स और कॉल्स फर्जी

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नई दिल्ली। दिल्ली के स्कूलों में बम होने के धमकी भरे ईमेल के बाद जांच की गई तो वहां कुछ नहीं मिला। पुलिस अधिकारियों ने भी इसे होक्स ईमेल बताया है, लेकिन उन्होंने कहा कि चेकिंग जारी रहेगी। गृह मंत्रालय ने कहा कि घबराने की जरूरत नहीं है। ऐसा प्रतीत होता है कि यह फर्जी कॉल है। दिल्ली पुलिस और सुरक्षा एजेंसियां प्रोटोकॉल के मुताबिक जरूरी कदम उठा रही हैं।

वहीं दिल्ली पुलिस ने कहा कि दिल्ली के कुछ स्कूलों को बम की धमकी वाले ई-मेल मिले। दिल्ली पुलिस ने प्रोटोकॉल के तहत ऐसे सभी स्कूलों की गहन जांच की। कुछ भी आपत्तिजनक नहीं मिल। ऐसा प्रतीत होता है कि ये कॉल्स फर्जी हैं। हम जनता से अनुरोध करते हैं कि वे घबराएं नहीं और शांति बनाए रखें।

स्कूल में आए इस धमकी भरे ईमेल के बाद कई स्कूलों ने बच्चों की जल्द छुट्टी का मैसेज पेरेंट्स को भेज दिया, तो कुछ पेरेंट्स अपने बच्चों को स्कूल जाकर पहले ही ले आए। इसके अलावा कई स्कूल के प्रिंसिपल ने पेरेंट्स को मैसेज भेज कर कहा कि घबराने की बात नहीं है।

नोएडा में इंद्रप्रस्थ ग्लोबल स्कूल (आईपीजीएस) की प्रिंसिपल निकिता तोमर मान ने बताया, “मैं लोगों से आग्रह करूंगी कि वे अनावश्यक घबराहट पैदा न करें और इस स्थिति को एक परिपक्व वयस्क के रूप में लें। दिल्ली-एनसीआर के जिन स्कूलों को धमकियां मिलीं, उन्हें खाली करा लिया गया है और हमारे सहित बाकी स्कूल सामान्य रूप से काम कर रहे हैं। कोई धमकी भरा संदेश प्राप्त नहीं हुआ है।”

 

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