Connect with us
https://www.aajkikhabar.com/wp-content/uploads/2020/12/Digital-Strip-Ad-1.jpg

नेशनल

आप की राष्ट्रीय कार्यकारिणी से योगेंद्र-प्रशांत की छुट्टी, अदालत जाएंगे

Published

on

AAP-politics

Loading

नई दिल्ली। राष्ट्रीय राजधानी में प्रचंड बहुमत से सत्ता में आई आम आदमी पार्टी (आप) के दो संस्थापक सदस्य प्रशांत भूषण व योगेंद्र यादव सहित चार वरिष्ठ नेताओं को पार्टी ने राष्ट्रीय कार्यकारिणी से हटा दिया। ये चारों इधर कई हफ्तों से पार्टी संयोजक अरविंद केजरीवाल के खिलाफ मोर्चा खोले हुए थे। शनिवार को पश्चिमी दिल्ली के कापसहेड़ा में हुई पार्टी की राष्ट्रीय परिषद की बैठक में करीब 311 सदस्य मौजूद थे। दिल्ली के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने योगेंद्र और प्रशांत को हटाने का प्रस्ताव पेश किया।

बैठक में शामिल रहे एक सदस्य ने बताया कि केजरीवाल ने सदस्यों से कहा कि वे या तो उनका साथ दें या फिर योगेंद्र यादव व प्रशांत भूषण के साथ रहें। आप के राष्ट्रीय सचिव पंकज गुप्ता ने बताया कि 247 सदस्यों ने चारों सदस्यों को राष्ट्रीय कार्यकारिणी से हटाने के पक्ष में वोट किया। सिर्फ आठ सदस्यों ने विरोध किया, जबकि 54 सदस्यों ने कोई राय जाहिर नहीं की। बैठक के दौरान विरोध में बोलने वाले एक सदस्य के साथ हाथापाई की बात भी सामने आई है। पार्टी के संस्थापक सदस्य प्रशांत व यादव ने अरविंद केजरीवाल को तानाशाह करार दिया और कहा कि पार्टी की राष्ट्रीय परिषद की बैठक में फैसला अवैध तरीके से लिया गया। इसके खिलाफ वह अदालत जाएंगे। बैठक के दौरान केजरीवाल मौजूद थे, लेकिन मतदान होने के पहले वह वहां से चले गए। पार्टी ने योगेंद्र के समर्थकों आनंद कुमार और अजीत झा को भी 21 सदस्यीय राष्ट्रीय कार्यकारिणी से हटा दिया है।

बैठक सुबह 10 बजे से शुरू हुई, जिसमें दोनों गुटों के समर्थक नारा लगा रहे थे और एक दूसरे के खिलाफ बैनर लिए हुए थे। योगेंद्र यादव ने बैठक स्थल के बाहर प्रदर्शन भी किया। राष्ट्रीय परिषद के एक सदस्य ने कहा कि कई लोगों ने बैठक के दौरान यादव व प्रशांत के पक्ष में नारे लगाए, जिन्हें बल प्रयोग कर बाहर निकाल दिया गया। उदास दिख रहे प्रशांत ने बाद में कहा, “यह बात सही है कि हम अदालत या निर्वाचन आयोग का रुख कर सकते हैं या राष्ट्रीय परिषद की एक दूसरी बैठक बुलाने की मांग कर सकते हैं।” योगेंद्र ने बैठक से बाहर आने के बाद कहा, “राष्ट्रीय परिषद की बैठक में लोकतंत्र की हत्या हुई है।” वहीं प्रशांत ने कहा कि जो लोग केजरीवाल से असमत थे, उन्हें पीटा गया और उन्हें बैठक से निकाल दिया गया।

आप के एक नेता संजय सिंह ने बैठक के दौरान मारपीट होने की बात से इनकार किया। उन्होंने बैठक के बाद मीडिया से कहा कि कोई हिंसा नहीं हुई। किसी को कोई चोट नहीं आई। सारी झूठी बातें हैं। सर्वोच्च न्यायालय के वकील प्रशांत ने दावा किया कि बैठक की पटकथा पहले से तैयार कर ली गई थी। प्रशांत ने कहा, “जो कुछ हुआ, वह पूर्व नियोजित था। ऐसा लगता है कि सबकुछ पहले से लिखा गया था।”

योगेंद्र और प्रशांत ने पांच मांगों पार्टी के अंदर पारदर्शिता, पार्टी की स्थानीय इकाइयों को स्वायत्तता, भ्रष्टाचार की जांच के लिए लोकपाल, आप के अंदर आरटीआई के इस्तेमाल और मुख्य मामलों में गुप्त मतदान पर जोर दिया। दिल्ली में सरकार बनने के लगभग 15 दिनों बाद से ही योगेंद्र व प्रशांत मीडिया के सामने पार्टी के कामकाज में पारदर्शिता न होने और आंतरिक लोकतंत्र के अभाव की बात दोहराते रहे थे। हालांकि दोनों इस बात से इनकार करते रहे वे केजरीवाल को राष्ट्रीय संयोजक के पद पर नहीं देखना चाहते। कई हफ्तों बाद उन्होंने खुले तौर पर केजरीवाल की कार्यशैली पर उंगली उठानी शुरू कर दी।

जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) के प्रोफेसर आनंद कुमार ने कहा कि वह पार्टी नहीं छोड़ेंगे। आनंद ने कहा कि हम पार्टी से बाहर नहीं हैं। हम न पार्टी छोड़ेंगे न तोड़ेंगे। यह कार्यकर्ताओं की पार्टी है।

नेशनल

पश्चिम बंगाल सरकार ने राज्य में युवाओं के विकास के सभी रास्ते बंद कर दिए हैं: पीएम मोदी

Published

on

Loading

कोलकाता। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को मालदा में एक चुनावी जनसभा को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि मेरा बंगाल से ऐसा नाता है जैसे मानो मैं पिछले जन्म में बंगाल में पैदा हुआ था या फिर शायद अगले जन्म में बंगाल में पैदा होना है। इसके साथ ही मोदी ने प्रदेश की सत्तारूढ़ दल तृणमूल कांग्रेस पर खूब हमला बोला। उन्होंने कहा कि पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस द्वारा किए गए बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार के कारण लगभग 26 हजार परिवारों की शांति और खुशी खत्म हो गई है। पीएम मोदी ने यह बयान कलकत्ता हाईकोर्ट की एक खंडपीठ के हालिया आदेश के संदर्भ में दिया। जिसमें सरकारी स्कूलों में 25 हजार 753 टीचिंग (शिक्षण) और गैर-शिक्षण नौकरियों को रद्द कर दिया गया था।

पीएम मोदी ने आगे कहा, “नौकरियों और आजीविका के इस नुकसान के लिए केवल तृणमूल कांग्रेस जिम्मेदार है। राज्य सरकार ने राज्य में युवाओं के विकास के सभी रास्ते बंद कर दिए हैं। जिन लोगों ने पैसे उधार लेकर तृणमूल कांग्रेस के नेताओं को दिए उनकी हालत तो और भी खराब है।” पीएम मोदी ने राज्य सरकार और सत्तारूढ़ दल पर विभिन्न केंद्र-प्रायोजित योजनाओं के तहत दिए गए केंद्रीय फंड के उपयोग के संबंध में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार करने का भी आरोप लगाया। पीएम ने कहा, केंद्र सरकार ने राज्य के 80 लाख किसानों के लिए 8 हजार करोड़ रुपये उपलब्ध कराए हैं। लेकिन राज्य सरकार बाधा उत्पन्न कर रही है, इसलिए किसानों को राशि नहीं मिल पा रही है। राज्य सरकार सभी केंद्रीय परियोजनाओं के कार्यान्वयन को खराब करने की कोशिश कर रही है। वे राज्य में आयुष्मान भारत योजना लागू नहीं होने दे रहे। हमारे पास मालदा जिले के आम किसानों के लिए योजनाएं हैं। लेकिन मुझे चिंता है कि तृणमूल कांग्रेस के नेता वहां भी कमीशन की मांग करेंगे। पीएम मोदी ने राज्य के विभिन्न हिस्सों में महिलाओं के यौन उत्पीड़न के लिए जिम्मेदार लोगों को बचाने का प्रयास करने का भी आरोप राज्य सरकार पर लगाया।

उन्होंने कहा कि संदेशखाली में महिलाओं को प्रताड़ित किया गया। मालदा में भी ऐसी ही घटनाओं की खबरें आई थीं। लेकिन तृणमूल कांग्रेस सरकार ने हमेशा आरोपियों को बचाने का प्रयास किया है। पीएम मोदी ने आगे कहा कि कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस के बीच तुष्टिकरण की राजनीति की प्रतिस्पर्धा चल रही है। एक तरफ तृणमूल कांग्रेस पश्चिम बंगाल में अवैध घुसपैठ को बढ़ावा दे रही है। वहीं दूसरी ओर, कांग्रेस आम लोगों से पैसा जब्त करने और इसे केवल उन लोगों के बीच वितरित करने की योजना बना रही है जो उनके समर्पित वोट बैंक का हिस्सा हैं। कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस का गुप्त समझौता है।

 

Continue Reading

Trending