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आप की शीर्ष समिति से प्रशांत, योगेंद्र बाहर

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नई दिल्ली। पिछले एक सप्ताह से आम आदमी पार्टी (आप) में चल रही आंतरिक कलह का रविवार को पार्टी के वरिष्ठ नेताओं प्रशांत भूषण और योगेंद्र यादव को पार्टी की सर्वोच्च नीति नियामक संस्था, राजनीतिक मामलों की समिति (पीएसी) से बाहर निकालने के साथ ही बुधवार को पटाक्षेप हो गया। प्रशांत और योगेंद्र पर केजरीवाल समर्थकों ने केजरीवाल को पार्टी संयोजक पद से हटाने की साजिश रचने का आरोप लगाया था, जिसके कारण बुधवार को पार्टी कार्यकारिणी की बैठक बुलाई गई।

छह घंटे तक चली राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक के बाद पार्टी प्रवक्ता कुमार विश्वास ने प्रशांत और योगेंद्र को पार्टी पीएसी से निकाले जाने की जानकारी दी। पार्टी सूत्रों के मुताबिक, बैठक में राष्ट्रीय कार्यकारिणी के 21 में से 19 सदस्यों ने हिस्सा लिया, जिनमें से 11 सदस्यों ने प्रशांत और योगेंद्र को पार्टी पीएसी से बाहर करने के समर्थन में मतदान किया। शेष आठ सदस्य दोनों वरिष्ठ नेताओं को पार्टी पीएसी से निकाले जाने के पक्ष में नहीं थे।

पार्टी संयोजक केजरीवाल लगातार आ रही खांसी और मधुमेह के इलाज के लिए बेंगलुरू रवाना हुए, इसलिए वह बैठक में हिस्सा नहीं ले सके। दिल्ली के बाहरी इलाके में स्थित एक पार्टी कार्यकर्ता के फॉर्म हाउस पर हुई इस बैठक के बाद पार्टी पीएसी के एक सदस्य ने आईएएनएस से कहा, “बैठक के दौरान छह घंटों तक अच्छी चर्चा हुई।” सूत्र ने बताया, “अच्छी बात यह है कि बैठक के दौरान किसी तरह की तू-तू मैं-मैं नहीं हुई। यही हमारी सफलता है। हमने बहुत ही शिष्ट अंदाज में अपने-अपने विचार रखे। कुल मिलाकर सभी सदस्यों ने अपनी-अपनी बातें रखीं।”

पार्टी प्रवक्ता कुमार विश्वास ने कहा, “राष्ट्रीय कार्यकारिणी ने एक प्रस्ताव पारित किया है और इसमें फैसला लिया गया है कि प्रशांत भूषण और योगेंद्र यादव अब पीएसी के सदस्य नहीं रहेंगे। उन्हें पार्टी में नई जिम्मेदारियां दी जाएंगी।” उन्होंने जोर देते हुए कहा कि आम आदमी पार्टी एकजुट है और देश और दिल्ली के लोगों की आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए वह सब कुछ करेगी जो वह कर सकती है।

राष्ट्रीय कार्यकारिणी ने केजरीवाल के पार्टी के संयोजक पद से दिए इस्तीफे को भी खारिज कर दिया। 21 सदस्यों वाली राजनीतिक मामलों की समिति आप की सर्वोच्च संस्था है। 2012 में गठित हुई पार्टी ने पिछले महीने हुए दिल्ली विधानसभा चुनावों में 70 में से 67 विधानसभा सीटों पर जीत दर्ज की थी। इससे पहले राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक से बाहर आए प्रशांत भूषण ने कहा, “बैठक में मुझे और योगेंद्र यादव को फिलहाल राजनीतिक मामलों की समिति (पीएसी) से बाहर रखने का फैसला किया गया है।” उन्होंने इससे ज्यादा कुछ भी बताने से इंकार कर दिया। जाने-माने राजनीतिक विश्लेषक योगेंद्र यादव ने कहा कि कार्यकारिणी में लिए गए फैसले की जानकारी पार्टी द्वारा दी जाएगी और पार्टी के स्थान पर कोई जानकारी देने के लिए वह अब अधिकृत नहीं हैं।

उन्होंने कहा, “पार्टी का अनुशासित कार्यकर्ता होने के नाते मुझे जो भी जिम्मेदारी दी जाएगी मैं अपनी क्षमताओं के अनुसार उनका पूरी तरह निर्वहन करूंगा।” उन्होंने कहा, “आप का गठन लोगों के मेहनत और पसीने से हुआ है। इसे लोगों की उम्मीदों को चूर-चूर नहीं करना चाहिए।” आप सूत्रों ने बताया कि योगेंद्र को पार्टी के किसान मोर्चे का अध्यक्ष बनाया जा सकता है। बैठक से पहले और बैठक के दौरान आप समर्थक पार्टी नेताओं से आपस में लड़ाई न करने की अपील वाले तख्तियां लिए नजर आए।

नेशनल

भाजपा का परिवार आरक्षण ख़त्म करना चाहता है: अखिलेश यादव

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एटा। समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष और यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने एटा में सपा प्रत्याशी देवेश शाक्य के समर्थन में संविधान बचाओ रैली को संबोधित किया। इस दौरान अखिलेश यादव ने कहा कि संविधान बचेगा तो लोकतंत्र बचेगा और लोकतंत्र बचेगा तो वोट देने का अधिकार बचेगा। अखिलेश यादव ने दावा किया कि ये अग्निवीर व्यवस्था जो लेकर आए हैं इंडिया गठबंधन की सरकार बनेगी तो अग्निवीर व्यवस्था समाप्त कर पहले वाली व्यवस्था लागू करेंगे।

उन्होंने आरक्षण मामले पर आरएसएस पर बिना नाम लिए निशाना साधते हुए कहा कि भाजपा के साथ एक सबसे खतरनाक परिवार है, जो आरक्षण खत्म करना चाहता है। अब उन्हें वोट चाहिए तो वह कह रहे हैं कि आरक्षण खत्म नहीं होगा।

उन्होंने आगे कहा कि मैं पूछना चाहता हूं अगर सरकार की बड़ी कंपनियां बिक जाएंगी तो क्या उनमें आरक्षण होगा? उनके पास जवाब नहीं है कि नौकरी क्यों नहीं दे रहे हैं? लोकसभा चुनाव संविधान मंथन का चुनाव है। एक तरफ वो लोग हैं जो संविधान को हटाना चाहते हैं। दूसरी तरफ इंडिया गठबंधन और समाजवादी लोग हैं जो संविधान को बचाना चाहते हैं। यह चुनाव आने वाली पीढ़ी के भविष्य का फैसला करेगा। वो लोग संविधान के भक्षक हैं और हम लोग रक्षक हैं।

अखिलेश यादव ने कहा कि एटा के लोगों को भाजपा ने बहुत धोखा दिया है। इनका हर वादा झूठा निकला। दस साल में एक लाख किसानों ने आत्महत्या की है। उनकी आय दोगुनी नहीं हुई। नौजवानों का भविष्य खत्म कर दिया गया है। हर परीक्षा का पेपर लीक हो रहा है।

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