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अन्तर्राष्ट्रीय

अमेरिका में प्रति 30 में 1 बच्चा बेघर

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वाशिंगटन| अमेरिका में प्रति 30 में एक बच्चा बेघर है, जो कि ऐतिहासिक रूप से सर्वोच्च दर है। इसका कारण देश में गरीबी का उच्च प्रतिशत, सस्ते आवासों की कमी और घरेलू हिंसा का असर है। नेशनल सेंटर ऑन फैमिली होमलेसनेस द्वारा सोमवार को जारी एक अध्ययन ‘अमेरिकाज यंगेस्ट आउटकास्ट’ रिपोर्ट के मुताबिक, वर्ष 2013 के दौरान लगभग 25 लाख बच्चे बेघर थे।

यह आंकड़ा अमेरिकी शिक्षा विभाग की गणना पर आधारित है, जिसमें पब्लिक स्कूलों में लगभग 13 लाख बेघर छात्रों सहित प्राथमिक स्कूलों के बेघर छात्र शामिल हैं।

नेशनल सेंटर ऑन फैमिली होमलेसनेस की निदेशक कारमेला डीकैंडिया ने अमेरिकन इंस्टीट्यूट फॉर रिसर्च (एआईआर) में बताया, “देश के हर हिस्सों में हर शहर, काउंटी और राज्य में ऐसे बच्चे हैं, जिनके पास रात बिताने के लिए छत नहीं है।”

डीकैंडिया ने बताया कि संघीय सरकार ने पूर्व सैनिकों और लंबे समय से बघर वयस्कों को आश्रय उपलब्ध कराने में उल्लेखनीय प्रगति की है।

रिपोर्ट में बताया गया है कि बहुत से बच्चों को स्कूल जाने के लिए संघर्ष करना पड़ा, बहुतों को अपनी कक्षाएं छोड़नी पड़ीं, पाठ्यक्रम दोबारा पढ़ने पड़े, और आखिरकार उन्हें स्कूल छोड़ देना पड़ा।

डीकैंडिया ने बताया, “वे आश्रयों, पड़ोसियों के तलघरों, कारों और शिविरों में रहते हैं। सबसे बुरी बात यह है कि बेघर बच्चे हमारे समाज में ज्यादा उपेक्षित हैं।”

उन्होंने बताया, “अब निर्णायक कार्रवाई के बिना 2020 तक बाल आवासहीनता को खत्म करने का संघीय लक्ष्य जल्द ही पहुंच से बाहर हो जाएगा।”

अन्तर्राष्ट्रीय

भारत में अवसरों की भरमार, पीएम मोदी के नेतृत्व में 10 सालों में देश ने अच्छी प्रगति की : वॉरेन बफे

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नई दिल्ली। बर्कशायर हैथवे के चेयरमैन और सीईओ वॉरेन बफे भारत की निवेश की संभावनाओं को लेकर काफी उत्साहित हैं। उन्होंने रविवार को कंपनी की सालाना बैठक की अध्यक्षता करते हुए कहा कि भारत में अवसरों की भरमार हैं। उन्होंने कहा कि भारत अब 5 ट्रिलियन डॉलर की इकोनॉमी और दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की राह पर है। बीते दस सालों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व में देश ने सभी आर्थिक मानदंडों में अच्छी प्रगति की है। अब लगभग 3.7 ट्रिलियन डॉलर (अनुमान वित्त वर्ष 2023-24) की जीडीपी के साथ भारत आर्थिक रूप से पांचवां सबसे बड़ा देश है। एक दशक पहले देश 1.9 ट्रिलियन डॉलर (मौजूदा बाजार मूल्य) की जीडीपी के साथ भारत 10वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था था। वित्त मंत्रालय के अनुसार, इस 10 साल की यात्रा में कई रिफॉर्म हुए जिसने देश को आर्थिक रूप से आगे बढ़ाया है।

रविवार को अपनी कंपनी की वार्षिक बैठक में वॉरेन बफेट ने कहा, भारत में नई संभावनाओं का पता लगाएं। यहां ऐसे क्षेत्र हो सकते हैं जिनको सर्च नहीं किया गया है या यहां मौजूद अवसरों पर ध्यान नहीं दिया गया है। उन्होंने कहा, मुझे यकीन है कि भारत में बहुत सारे अवसर हैं। सवाल यह है कि क्या हमें उनके बारे में जानकारी है, जिसमें हम भाग लेना चाहेंगे। बफेट देश में संभावित प्रवेश की तलाश में हैं। भारत की जीडीपी ग्रोथ एक नए शिखर पर पहुंचने के लिए तैयार है। विनिर्माण और ऑटोमोबाइल जैसे सेक्टरों ने फिर से सुधार देखना शुरू कर दिया है और जीएसटी कलेक्शन नई ऊंचाई हासिल कर रहा है।

आरबीआई के लेटेस्ट आंकड़ों के अनुसार, भारत की जीडीपी ग्रोथ महामारी से पहले 2020 के दौरान दर्ज की गई 7 प्रतिशत से ऊपर बढ़ने के संकेत हैं। आईएमएफ के लेटेस्ट आंकड़ों के अनुसार, 2004 में भारत की प्रति व्यक्ति जीडीपी 635 डॉलर थी। 2024 में देश की प्रति व्यक्ति जीडीपी बढ़कर 2,850 डॉलर हो गई है, जो इसके समकक्ष देशों के लिए 6,770 डॉलर का 42 प्रतिशत है। इस महीने की शुरुआत में जारी एचएसबीसी सर्वे के अनुसार, मजबूत मांग के कारण भारत का विनिर्माण सेक्टर अप्रैल में मजबूत गति से बढ़ा। इसके अलावा विश्व चुनौतियों के बावजूद, एक लाख से अधिक स्टार्टअप और 100 से ज्यादा यूनिकॉर्न के साथ देश ग्लोबल स्तर पर तीसरा सबसे बड़ा टेक स्टार्टअप इकोसिस्टम बना हुआ है।

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