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अब सूखे से निपटने की चुनौती

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Draught in india

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बेमौसम बारिश की मार झेल रहे किसानों और आम जनता पर अब सूखे का खतरा मंडरा रहा है। मौसम विभाग की तरफ से मानसून के दौरान 88 फीसदी बारिश की संभावना जताई गई है। यह बारिश पांच फीसदी कम या ज्यादा हो सकती है। उत्तर-पश्चिम भारत में और भी कम बारिश की संभावना जताई गई है। इन क्षेत्रों के किसानों पर यह दोहरी मार होगी, क्योंकि बेमौसम बारिश और ओलावृष्टि के कारण उनकी रबी की फसल को पहले ही काफी नुकसान हो चुका है, और अब यदि बारिश कम हुई तो इसका असर धान, कपास, गन्ना और सोयाबीन जैसी फसलों के उत्पादन पर पड़ सकता है। बारिश न होने पर सबसे अधिक नुकसान दिल्ली, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, पंजाब और राजस्थान जैसे राज्यों की पैदावार पर पड़ सकता है।

बारिश की इस नई भविष्यवाणी के बाद खाद्य पदार्थों की कीमतों में बढ़ोतरी की आशंका तेज हो गई है। दालों के दाम में तो पिछले दो महीनों में 35-40 फीसदी तक की तेजी आ चुकी है। पिछले साल के मुकाबले दाल के भाव 60-65 फीसदी तक तेज है। थोक बाजार के व्यापारियों के मुताबिक तिलहन व दलहन जैसी खाद्य वस्तुओं के दाम में तेजी को अभी और हवा मिलेगी। वैसे भी वर्ष 2013 को छोड़ दिया जाए, तो पिछले चार वर्षों से मानसून रूठा ही हुआ है। पिछले साल भी कमजोर बारिश का असर अनाज उत्पादन पर देखा गया था। इस साल भी मानसून ने अपना यही रंग दिखाया, तो सब पर महंगाई की मार पड़ना तय है। मानसून कमजोर रहने की आहट भर से मुंबई शेयर बाजार का सूचकांक 600 अंक तक गिर गया। डर के इस माहौल में वित्त मंत्री अरुण जेटली ने जरूर मोर्चा संभालते हुए विश्वास जताया है कि मानसून कमजोर रहने से खाद्यान्न उत्पादन प्रभावित नहीं होगा। उन्होंने आश्वस्त किया है कि किसी भी आपात स्थिति से निपटने के लिये देश में काफी खाद्यान्न भंडार है।

अच्छी बात यह है कि केंद्र की मोदी सरकार ने सिर पर मंडरा रहे इस खतरे के मद्देनजर पहले ही आपात योजना पर तैयारी शुरू कर दी है। केंद्र इस मामले पर राज्यों के साथ लगातार संपर्क में है। केंद्र सरकार का यह भी कहना है कि किसानों की आय को सुरक्षित करने के लिए इस वर्ष के अंत तक नई फसल बीमा योजना बन जाएगी। इसके साथ ही आयात में भी बढ़ोतरी की जाएगी। इन उपायों के अलावा अगर ब्लैक मार्केटिंग करने वालों पर कार्रवाई की जाएगी तो इन हालात से निपटना मुश्किल नहीं होगा। लेकिन राज्य सरकारों को इस काम में पूरा सहयोग करना होगा। इसके लिए वर्षा के जल के संचयन पर जोर, परंपरागत स्रोतों के संरक्षण, वनों की स्थापना जैसे उपायों पर दीर्घकालिक योजनाओं पर काम करना पड़ेगा। वैसे भी प्राकृतिक आपदा को कोई सरकार रोक नहीं सकती लेकिन प्रयास करके उसके असर को जरूर सीमित किया जा सकता है।

नेशनल

पश्चिम बंगाल के श्रीरामपुर में बोले अमित शाह, पीओके भारत का है और हम इसे लेकर रहेंगे

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श्रीरामपुर। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने पश्चिम बंगाल के हुगली के श्रीरामपुर में एक जनसभा को संबोधित करते हुए विपक्ष पर जमकर प्रहार किया। उन्होंने कहा कि राहुल गांधी और ममता बनर्जी, आपको डरना है तो डरते रहिए, ये पीओके भारत का है और हम उसे लेकर रहेंगे।

अमित शाह ने कहा कि ममता बनर्जी, कांग्रेस-सिंडिकेट कहती है कि धारा 370 को मत हटाओ। मैंने संसद में पूछा कि क्यों न हटाएं तो उन्होंने कहा कि खून की नदियां बह जाएंगी। 5 साल हो गए खून कि नदियां छोड़ो किसी की कंकड़ चलाने की हिम्मत नहीं है। जब INDI गठबंधन का शासन था तो हमारे कश्मीर में हड़तालें होती थीं। आज पाक अधिकृत कश्मीर (पीओके) में हड़ताल होती है। पहले कश्मीर में आजादी के नारे लगते थे, अब पाक अधिकृत कश्मीर में नारेबाजी होती है। राहुल गांधी, आपको डरना है तो डरते रहिए, ममता बनर्जी आपको डरना है तो डरते रहिए लेकिन मैं आज श्रीरामपुर की धरती से कहता हूं कि ये पाक अधिकृत कश्मीर भारत का है और हम उसे लेकर रहेंगे।

अमित शाह ने कहा आने वाले चुनाव में आप सभी वोट डालने वाले हैं। इस चुनाव में एक ओर परिवारवादी पार्टियां हैं जिसमें ममता बनर्जी अपने भतीजे को, शरद पवार अपनी बेटी को, उद्धव ठाकरे अपने बेटे को, स्टालिन अपने बेटे को मुख्यमंत्री बनाना चाहते हैं और सोनिया गांधी, राहुल बाबा को पीएम बनाना चाहती हैं। वहीं दूसरी ओर गरीब चाय वाले के घर में जन्में इस देश के महान नेता नरेन्द्र मोदी जी हैं।

नरेन्द्र मोदी जी ने बंगाल के विकास के लिए ढेर सारे कार्य किए हैं। मैं ममता दीदी से पूछना चाहता हूं कि 10 साल तक आपके लोग सोनिया-मनमोहन सिंह की सरकार में मंत्री रहे, लेकिन सोनिया-मनमोहन सिंह की सरकार ने बंगाल के विकास के लिए क्या किया। उनकी सरकार ने 10 साल में बंगाल के विकास के लिए मात्र 2 लाख करोड़ रुपये दिए। जबकि मोदी जी ने 10 साल में 9 लाख, 25 हजार करोड़ रुपये देने का काम किया।

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