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अखिलेश ने लौटाए शिवपाल के सभी विभाग, आज तय होगा- कौन बांटेगा टिकट

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akhilesh_shivpal_mulayamलखनऊ। कुछ दिनों से समाजवादी पार्टी (सपा) में चल रहा सियासी संकट शुक्रवार को पार्टी मुखिया मुलायम सिंह यादव के हस्तक्षेप से ढलता नजर आया। शुक्रवार को मुख्यमंत्री अखिलेश यादव और शिवपाल यादव की मुलायम सिंह से मुलाकात हुई और सपा में उफना तूफान शांत होने लगा। मुलायम से मुलाकात का नतीजा यह निकला कि पार्टी मुखिया ने शिवपाल का प्रदेश अध्यक्ष पद से इस्तीफा अस्वीकार कर दिया। वहीं सीएम अखिलेश से भी अपने चाचा शिवपाल यादव का इस्तीफा नामंजूर करते हुए उनसे वापस लिए गए मंत्रालय वापस करने को कह दिया है।

यही नहीं, बर्खास्त किए गए मंत्री गायत्री प्रसाद प्रजापति को भी कैबिनेट में वापस लिया जाएगा, लेकिन उन्हें खनन विभाग नहीं मिलेगा।
इसी बैठक में तय हुआ कि शिवपाल सिंह यादव प्रदेश अध्यक्ष बने रहेंगे। इसके साथ ही पूर्व मुख्य सचिव दीपक सिंघल पर फैसला बाद में होगा।

पार्टी मुखिया मुलायम सिंह से मुलाकात के बाद राजधानी के एक पंच सितारा होटल में हुए एक कार्यक्रम में मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कहा कि वह गायत्री प्रसाद पर नेताजी की बात मानेंगे। उनकी बात नहीं टालेंगे। उन्होंने कहा कि उन्हें प्रदेश अध्यक्ष पद से हटाया गया, जिसका बुरा लगा।

उन्होंने कहा कि जिसका रिएक्शन आप लोगों ने देखा, हो सकता है कम उम्र का तकाजा हो, लेकिन नौजवानों का फैसला इसी तरह का होता है। अखिलेश ने कहा कि उनकी वजह से परिवार में झगड़ा नहीं हो रहा है। यह झगड़ा सिर्फ इस कुर्सी का है, जिस पर वह बैठे हुए हैं। उन्होंने कहा कि चाचा जानते हैं कि दीपक सिंघल को किसने हटाया।

उन्होंने कहा कि वह चाचा शिवपाल के विभाग वापस कर देंगे, लेकिन कोई उनके अध्यक्ष पद वापस देने की बात नहीं कर रहा है। टिकट बांटे जाएं तो नेताजी उनकी भी बात सुनें। कोई अ‘छा व्यक्ति मुख्यमंत्री पद मांगे तो वह भी दे देंगे। अखिलेश ने कहा, मैंने और नेता जी (मुलायम सिंह) ने तय किया है कि जो लोग बीच में गड़बड़ कर रहे हैं, उन्हें हटा देंगे।

बाद में सीएम ने अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल से किए गए ट्वीट में कहा कि शिवपाल सिंह यादव को उनके विभाग वापस कर दिए जाएंगे। अखिलेश ने अपने एक और ट्वीट में बताया कि उन्होंने गायत्री प्रजापति को मंत्रिमंडल में दोबारा शामिल करने पर रजामंदी दे दी है।
शुक्रवार दिन भर चले मान मनौव्वल के बाद अब पूरा मामला चुनाव के लिए टिकट वितरण कौन करेगा, इस पर आकर टिक गया है। मुलायम आज इस पर फैसला ले सके हैं। अखिलेश कह रहे हैं कि सब बात मानने को तैयार हूं लेकिन टिकट बांटने का अधिकार उनको मिलना चाहिए।

नेशनल

जानिए कौन हैं वो चार लोग, जिन्हें पीएम मोदी ने नामांकन के लिए अपना प्रस्तावक चुना

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वाराणसी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वाराणसी के काल भैरव मंदिर में दर्शन करने के बाद अपना नामांकन दाखिल कर दिया। पीएम मोदी ने वाराणसी से तीसरी बार अपना नामांकन दाखिल किया है। पीएम मोदी के नामांकन में गृह मंत्री अमित शाह और राजनाथ सिंह समेत 20 केंद्रीय मंत्री मौजूद रहे। इसके अलावा 12 राज्यों के सीएम भी शामिल हुए। पीएम मोदी के नामांकन के दौरान उनके साथ चार प्रस्तावक भी कलेक्ट्रेट में मौजूद रहे।

इनमें एक पुजारी, दो ओबीसी और एक दलित समुदाय के व्यक्ति का नाम है। दरअसल पीएम मोदी के नामांकन के दौरान चार प्रस्तावक मौजूद रहे। इनमें पहला नाम आचार्य गणेश्वर शास्त्री का है, जो कि पुजारी हैं। इसके बाद बैजनाथ पटेल पीएम मोदी के नामांकन के दौरान प्रस्तावक बने, जो ओबीसी समुदाय से आते हैं। वहीं लालचंद कुशवाहा भी पीएम के नामांकन में प्रस्तावक के तौर पर शामिल हुए। ये भी ओबीसी समाज से आते हैं। पीएम मोदी के प्रस्तावकों में आखिरी नाम संजय सोनकर का भी है, जो कि दलित समुदाय से हैं।

चुनाव में प्रस्तावक की भूमिका अहम होती है। ये ही वे लोग होते हैं, जो किसी उम्मीदवार के नाम का प्रस्ताव रखते हैं। निर्वाचन आयोग के मुताबिक, प्रस्तावक वे स्‍थानीय लोग होते हैं, जो किसी उम्मीदवार को चुनाव लड़ने के लिए अपनी ओर से प्रस्तावित करते हैं। आमतौर पर नामांकन के लिए किसी महत्वपूर्ण दल के वीआईपी कैंडिडेट के लिए पांच और आम उम्मीदवार के लिए दस प्रस्तावकों की जरूरत होती है।

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