बिजनेस
विप्रो को डेनिश ऊर्जा कंपनी से मिला आईटी ठेका
बेंगलुरू| वैश्विक सॉफ्टवेयर कंपनी विप्रो ने सोमवार को कहा कि उसे डेनमार्क की ऊर्जा कंपनी एनआरजीआई के लिए एक नए सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) प्लेटफॉर्म के विकास का बहुवर्षीय ठेका मिला है। कंपनी ने यहां जारी एक बयान में कहा, “हमें एनआरजीआई से ग्राहक संबंध प्रबंधन (सीआरएम), बिलिंग और सेवा ब्यूरो संचालन को बेहतर बनाने के लिए एक बहुवर्षीय ठेका मिला है।”
एनआरजीआई डेनमार्क की पांच सबसे बड़ी उपभोक्ता सेवा कंपनियों में से एक है।
उत्तर यूरोपीय देश अपने ऊर्जा क्षेत्र को खोल रहा है और नियामकीय नीति में बदलाव कर रहा है। इसका मकसद एक प्रतिस्पर्धी बाजार में उपभोक्ताओं, ऊर्जा आपूर्ति और उपभोक्ता कंपनियों के लिए पारदर्शिता बढ़ाना है।
विप्रो के नॉर्डिक क्षेत्र प्रमुख कार्ल-हेनरिक हॉलस्ट्रॉम ने इस मौके पर कहा, “हमारा यह प्लेटफॉम एनआरजीआई को डेनिश ऊर्जा बाजार में नए मॉडल अपनाने में, डिजिटलीकरण करने में और ग्राहकों का उपयोग अनुभव बढ़ाने में मदद करेगा।”
बिजनेस
Whatsapp ने दी भारत छोड़ने की धमकी, कहा- अगर सरकार ने मजबूर किया तो
नई दिल्ली। व्हाट्सएप ने गुरुवार को दिल्ली हाईकोर्ट में कहा कि अगर उसे उसे संदेशों के एन्क्रिप्शन को तोड़ने के लिए मजबूर किया गया तो वह भारत में अपनी सेवाएं बंद कर देगा। मैसेजिंग प्लेटफॉर्म की ओर से पेश एक वकील ने कहा कि लोग गोपनीयता के लिए व्हाट्सएप का उपयोग करते हैं और सभी संदेश एंड-टू-एंड एन्क्रिप्टेड हैं।
व्हाट्सऐप का कहना है कि WhatsApp End-To-End Encryption फीचर यूजर्स की प्राइवेसी को सिक्योर रखने का काम करता है। इस फीचर की वजह से ही मैसेज भेजने वाले और रिसीव करने वाले ही इस बात को जान सकते हैं कि आखिर मैसेज में क्या लिखा है। व्हाट्सऐप की तरफ से पेश हुए वकील तेजस करिया ने अदालत में बताया कि हम एक प्लेटफॉर्म के तौर पर भारत में काम कर रहे हैं। अगर हमें एन्क्रिप्शन सिक्योरिटी फीचर को तोड़ने के लिए मजबूर किया जाता है तो व्हाट्सऐप भारत छोड़कर चला जाएगा।
तेजस करिया का कहना है कि करोड़ों यूजर्स व्हाट्सऐप को इसके एन्क्रिप्शन सिक्योरिटी फीचर की वजह से इस्तेमाल करते हैं। इस वक्त भारत में 40 करोड़ से ज्यादा व्हाट्सऐप यूजर्स हैं। यही नहीं उन्होंने ये भी तर्क दिया है कि नियम न सिर्फ एन्क्रिप्शन बल्कि यूजर्स की प्राइवेसी को भी कमजोर बनाने का काम कर रहे हैं।
व्हाट्सऐप के वकील ने बताया कि भारत के अलावा दुनिया में कहीं भी ऐसा कोई नियम नहीं है। वहीं सरकार का पक्ष रखने वाले वकील कीर्तिमान सिंह ने नियमों का बचाव करते हुए कहा कि आज जैसा माहौल है उसे देखते हुए मैसेज भेजने वाले का पता लगाने की जरूरत पर जोर दिया है। कोर्ट इस मामले पर अगली सुनवाई अब 14 अगस्त को करेगा।
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