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आध्यात्म

पाखंडी को शांत कराएंगे, सनातन धर्म का झंडा गाड़ेंगे: धीरेन्द्रकृष्ण शास्त्री

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Dhirendra Krishna Shastri

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रायपुर (छत्तीसगढ़)। लगातार चर्चा में चल रहे 27 वर्षीय बागेश्वर बाबा ऊर्फ धीरेन्द्रकृष्ण शास्त्री ने कहा कि पाखंडी को हम शांत करा देंगे। सनातन धर्म का झंडा गाड़ेंगे। मौलवी, पादरी सभी की ठठरी बांधेंगे। हनुमान की कृपा है, किसी को बुला नहीं रहे, अंधविश्वास में न पड़े। आप वही पूछेंगे जो पर्चे में लिखा होगा। एक शब्द आगे पीछे नहीं पूछ सकते। बालाजी की कृपा रहेगी। तंत्र-मंत्र के चक्कर में नहीं पड़ना है। नागपुर वालों को जिन्‍होंने आरोप लगाया उन्हें चेतावनी दी कि दीया बनाकर भेजेंगे।

दरअसल, एक तरफ जहां उनके भक्तों का मानना है कि बाबा समस्या बताने से पहले मन की बात जान लेते हैं, वहीं कुछ लोगों ने बाबा के ऊपर ढोंग रचने के आरोप लगाया है। इसी के चलते महाराष्ट्र की अंध श्रद्धा उन्मूलन समिति के श्याम मानव ने धीरेंद्र शास्त्री पर अंधविश्वास फैलाने का आरोप लगाया है।

महाराष्ट्र की संस्था का मानना है कि बाबा के पास कोई सिद्धी नहीं है ब्लकि वो लोगों के भावनाओं के साथ खेल रहे हैं। श्याम मानव ने बागेश्वर धाम सरकार को चुनौती दी थी कि वह नागपुर में उनके मंच पर आए और अपना चमत्कार दिखाएं। संस्थान ने कहा कि अगर धीरेंद्र शास्त्री ऐसा करते हैं तो उन्हें 30 लाख रुपये दिए जाएंगे।

धीरेंद्र शास्त्री ने श्‍याम मानव की चुनौती को स्‍वीकार कर शुक्रवार को श्री हनुमान मंदिर मैदान गुढ़ियारी में दरबार लगाया। इस दौरान उन्होंने कहा कि यहां आकर हमें आजमा लें।

चुनौती को स्वीकार करते हुए बाबा ने आगे कहा कि हनुमान भक्ति अंधविश्वास है तो प्रत्येक भक्त को जेल भेज दो। अनुच्छेद 25 में सभी को अपने धर्म का प्रचार करने का अधिकार है। पंडित धीरेंद्र कृष्ण के इस आयोजन में बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचे है।

गुढ़यारी में लगेगा धीरेन्द्रकृष्ण शास्त्री का दरबार

बता दें कि श्री हनुमान मंदिर मैदान गुढ़ियारी में 20 और 21 जनवरी को बागेश्वर धाम वाले धीरेन्द्रकृष्ण शास्त्री का दिव्य दरबार लगेगा। दिव्य दरबार को लेकर नागपुर के अंधश्रद्धा निर्मूलन समिति को महाराज ने पहले ही खुली चुनौती देते हुए उन्हें 20 और 21 जनवरी को रायपुर आमंत्रित किया है।

गुढ़ियारी में चल रही रामकथा में छत्तीसगढ़ के अलावा अन्य राज्यों से भी श्रद्धालुओं का आगमन हो रहा है। रामकथा के आयोजन में छत्तसीगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह, वीणा सिंह, पूर्व मंत्री राजेश मूणत, श्याम बैस भी पहुंचे।

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आध्यात्म

आज पूरा देश मना रहा रामनवमी, जानिए इसके पीछे की पूरी पौराणिक कहानी

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नई दिल्ली। आज पूरे देश में रामनवमी का त्यौहार बड़ी धूम धाम से मनाया जा रहा है। पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक इस दिन भगवान राम का जन्म हुआ था। जो विष्णु का सातवां अवतार थे। रामनवमी का त्यौहार चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी को मनाया जाता है। आइये जानते हैं इसके पीछे की पौराणिक कहानी।

पौराणिक कथाओं के मुताबिक भगवान राम ने भी मां दुर्गा की पूजा की थी, जिससे कि उन्हें युद्ध के समय विजय मिली थी। साथ ही माना जाता है इस दिन गोस्वामी तुलसीदास जी ने रामचरित मानस की रचना का आरंभ किया। राम नवमी का व्रत जो भी करता है वह व्यक्ति पापों से मुक्त होता है और साथ ही उसे शुभ फल प्रदान होता है

रामनवमी का इतिहास-

महाकाव्य रामायण के अनुसार अयोध्या के राजा दशरथ की तीन पत्नियां थी। कौशल्या, सुमित्रा और कैकयी। शादी को काफी समय बीत जाने के बाद भी राजा दशरथ के घर किसी बालक की किलकारी नहीं गूंजी थी। इसके उपचार के लिए ऋषि वशिष्ट ने राजा दशरथ से पुत्र प्राप्ति के लिए कमेश्टी यज्ञ कराने के लिए कहा। जिसे सुनकर दशरथ खुश हो गए और उन्होंने महर्षि रुशया शरुंगा से यज्ञ करने की विन्नती की। महर्षि ने दशरथ की विन्नती स्वीकार कर ली। यज्ञ के दौरान महर्षि ने तीनों रानियों को प्रसाद के रूप में खाने के लिए खीर दी। इसके कुछ दिनों बाद ही तीनों रानियां गर्भवती हो गईं।

नौ माह बाद चैत्र मास में राजा दशरथ की बड़ी रानी कौशल्या ने भगवान राम को जन्म दिया, कैकयी ने भरत को और सुमित्रा ने दो जुड़वा बच्चे लक्ष्मण और शत्रुघन को जन्म दिया। भगवान विष्णु ने श्री राम के रूप में धरती पर जन्म इसलिए लिया ताकि वे दुष्ट प्राणियों का नरसंहार कर सके।

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