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जब सदन में उठा था धर्म का मुद्दा, अटल ने कर दिया था इंदिरा को अवाक

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नई दिल्ली। देश एक अपूर्णीय क्षति को झेल रहा है। आज गुरूवार को देश के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का लंबे संघर्ष के बाद निधन हो गया। पूरा देश, चाहे वो राजनीतिक जगत हो या साहित्यिक, सभी उनके ऋणी हैं। हम आशा करते हैं कि ईश्वर के घर भी उनके आगमन पर उत्सव हुआ होगा। ‘आज की खबर’ अटल जी को अश्रुपूर्ण श्रद्धांजलि अर्पित करता हैं। हर ओर अटल जी से जुड़े राजनीतिक किस्सों की चर्चा है ऐसे में एक किस्सा वो भी है जब सदन में बहस के दौरान उन्होंने इंदिरा गांधी को अवाक कर दिया था।

यह बहस 31 मार्च 1971 की है। बांग्लादेश अपने निर्माण की लड़ाई लड़ रहा था और पाकिस्तान उस आंदोलन को बड़ी नृशंसता से कुचल रहा था। संसद में बहस के दौरान अटल जी ने कहा, “जब कभी शांति को खतरा होगा, स्वतंत्र देशों की स्वाधीनता नष्ट होगी और उपनिवेशवाद को पुराने या नए रूप में लाने की कोशिश की जाएगी, तब-तब हमारी आवाज उठेगी। पूर्वी पाकिस्तान की जनता और वहां के लोकप्रिय नेता शेख मुजीबुर्रहमान के साथ हमारा समर्थन है और अगर पूर्वी बंगाल की सरकार को मान्यता देने की मांग भारत के पास आती है तो उसे मान्यता देने में हमें संकोच नहीं करना चाहिए। हम शेख मुजीबुर्रहमान का अभिनंदन करना चाहते हैं। मज़हब के आधार पर राष्ट्रीयता नहीं चलेगी। यह पूर्वी बंगाल का सबसे पहला पाठ है..”

अटल बोल ही रहे थे तभी इंदिरा गांधी ने उन्हें टोकते हुए कहा, “आपको और आपकी पार्टी को भी इसे सीखना चाहिए।” इसके जवाब में अटल जी ने कहा, “उपाध्यक्ष महोदया, जब देश का बंटवारा हुआ उस वक्त तो हमारी पार्टी भी नहीं थी। यदि हम इतने शक्तिशाली थे कि अपने जन्म के पहले ही हमने देश का बंटवारा कर दिया तो इस अपराध को स्वीकार करने के लिए मैं तैयार हूँ। मगर हमारे जन्म के पहले ही बंटवारा हुआ और जो बंटवारा करने के लिए जिम्मेदार हैं, मैं उनकी तरफ उंगली नहीं उठाना चाहता। धर्म के नाम पर जिनके सामने देश बंट गया वो हमें किसी भी तरह की सीख नहीं दे सकते हैं।”

इतनी बेबाक तरीके से बात सिर्फ अटल जी ही कह सकते थे। आज अटल जी हमारे बीच नहीं हैं। हम अटल जी के निधन पर उन्हें पुनः अश्रुपूर्ण श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं। सदियां बीत जाएंगी लेकिन अटल जी जैसा जननेता शायद ही कभी पैदा होगा।

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भाजपा का परिवार आरक्षण ख़त्म करना चाहता है: अखिलेश यादव

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एटा। समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष और यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने एटा में सपा प्रत्याशी देवेश शाक्य के समर्थन में संविधान बचाओ रैली को संबोधित किया। इस दौरान अखिलेश यादव ने कहा कि संविधान बचेगा तो लोकतंत्र बचेगा और लोकतंत्र बचेगा तो वोट देने का अधिकार बचेगा। अखिलेश यादव ने दावा किया कि ये अग्निवीर व्यवस्था जो लेकर आए हैं इंडिया गठबंधन की सरकार बनेगी तो अग्निवीर व्यवस्था समाप्त कर पहले वाली व्यवस्था लागू करेंगे।

उन्होंने आरक्षण मामले पर आरएसएस पर बिना नाम लिए निशाना साधते हुए कहा कि भाजपा के साथ एक सबसे खतरनाक परिवार है, जो आरक्षण खत्म करना चाहता है। अब उन्हें वोट चाहिए तो वह कह रहे हैं कि आरक्षण खत्म नहीं होगा।

उन्होंने आगे कहा कि मैं पूछना चाहता हूं अगर सरकार की बड़ी कंपनियां बिक जाएंगी तो क्या उनमें आरक्षण होगा? उनके पास जवाब नहीं है कि नौकरी क्यों नहीं दे रहे हैं? लोकसभा चुनाव संविधान मंथन का चुनाव है। एक तरफ वो लोग हैं जो संविधान को हटाना चाहते हैं। दूसरी तरफ इंडिया गठबंधन और समाजवादी लोग हैं जो संविधान को बचाना चाहते हैं। यह चुनाव आने वाली पीढ़ी के भविष्य का फैसला करेगा। वो लोग संविधान के भक्षक हैं और हम लोग रक्षक हैं।

अखिलेश यादव ने कहा कि एटा के लोगों को भाजपा ने बहुत धोखा दिया है। इनका हर वादा झूठा निकला। दस साल में एक लाख किसानों ने आत्महत्या की है। उनकी आय दोगुनी नहीं हुई। नौजवानों का भविष्य खत्म कर दिया गया है। हर परीक्षा का पेपर लीक हो रहा है।

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