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भारतीय लोकतंत्र का वह काला दिन जब आपके और आपके अधिकारों के साथ बदसलूकी हुई, जानिए इमरजेंसी से जुड़ी ये बातें

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इमरजेंसी का वह दौर कौन भूल सकता है जब पहली बार किसी सरकार ने खुद के नागरिकों के अधिकारों के साथ बदसलूकी की। एक लोकतांत्रिक देश में लोकतंत्र का खुलेआम माखौल उड़ाया गया। एक ऐसा स्याह वक़्त जब अंधेरे को जबरदस्ती देश की हकीकत बना दी गयी। उस दौर की वह महत्वपूर्ण बातें जो शायद आप नही जानते होंगे हम आपको बताने जा रहे हैं।

इंदिरा गांधी ने आख़िर क्यों लगाई Emergency? – इसकी असल वजह इलाहाबाद हाईकोर्ट का एक फै़सला बना। इसमें अदालत ने राज नारायण सिंह की याचिका पर सुनवाई करते हुए रायबरेली सीट से इंदिरा की जीत को निरस्त कर दिया था। इसके साथ ही 1972 के भारत-पाक युद्ध के बाद से लगातार गिरती अर्थव्यस्था, बेरोज़गारी, महंगाई, भ्रष्टाचार और बिहार में हुए छात्र आंदोलन ने भी इंदिरा को असहज कर दिया था और आख़िर में उन्होंने राष्ट्रपति के साथ मिल कर ये कर डाला।

1990 और उसके बाद की पीढ़ी ने बस इसके बारे में सुना है, लेकिन इसे करीब से कभी महसूस नहीं किया। आज जब इमेर्ज़ेंसी को लगे पूरे 43 साल हो गए हैं, तब इतिहास के उस काले अध्याय को याद करना ज़रूरी है, ताकि आज की पीढ़ी को भी ये एहसास हो सके कि आज़ादी के मायने क्या हैं।

मारे गए लाखों लोग – लाखों बेगुनाह लोग मारे गए जिनमें से कई के बारे में पता भी नहीं चला।

संजय गांधी – इंदिरा के छोटे बेटे संजय गांधी ने अपनी ख़ुद की राजनीति चमकाने के लिए इसे एक अवसर की तरह इस्तेमाल किया। बिना किसी सरकारी पद के उन्होंने नौकरशाहों और नागरिकों पर अपने हुक्म चलाने शुरू कर दिए। जबरन नसबंदी और स्लम एरियाज़ में बुलडोज़र चलाना इसके कुछ उदाहरण हैं।

साभार – internet

कानून – इंदिरा गांधी ने भारतीय कानून को अपने हिसाब से बदलना शुरू कर दिया ताकि वो अपनी मनमानी जारी रख सकें।

ऑल इंडिया रेडियो – ऑल इंडिया रेडियो पर 25 जून 1975 के इंदिरा गांधी ने देश में आपातकाल लगाने की घोषणा की थी। उस रात देश के कई लीडिंग अख़बारों के दफ्तरों की बिजली काट दी गई थी। इसी कारण देश के बहुत से लोगों को इसकी ख़बर 27 जून को मिली।

चुनाव – इस दौरान सभी तरह के चुनावों पर प्रतिबंध लगा दिया गया था।

साभार – internet

जेपी का आंदोलन – जयप्रकाश नारायण ने इंदिरा की इस मनमानी के ख़िलाफ देशव्यापी आंदोलन की घोषणा की। नारायण ने पत्र लिखकर इंदिरा के विरोध में सत्याग्रह करने का संदेश भेजा। उस दौर में उनके द्वारा दिया गया नारा, ‘सिंहासन खाली करो की जनता आती है’, ख़ूब प्रचलित हुआ।

नेताओं को जेल में ठूंस दिया गया – आपातकाल के दौरान जबरन देश की विपक्षी पार्टियों के नेताओं को जेल में कैद कर दिया गया। मजबूरन कई लीडर्स को अंडरग्राउंड होना पड़ा. रेलवे यूनियन के नेता जॉर्ज फर्नांडिस को भी गिरफ़्तार कर लिया गया।

मीडिया पर सेंसरशिप – देश में मीडिया पर सेंसरशिप थोपी गई, जो भी अख़बार आपातकाल के विरोध में लिखते, उन्हें तरह-तरह की यातनाएं दी गईं। विदेशी मीडिया और उनके पत्रकारों को देश से जाने के लिए बाध्य कर दिया गया। इमरजेंसी के विरोध में इंडियन एक्सप्रेस के संस्थापक और संपादक रामनाथ गोयनका ने अपने संपादकीय कॉलम को कोरा प्रकाशित किया था।

लोगों के मरनोरंजन पर लगा अंकुश – दूरदर्शन पर देव आनंद की फ़िल्मों को रोक दिया गया और एक कार्यक्रम में किशोर कुमार द्वारा शामिल होने से मना करने पर उनके गाने रेडियो पर बैन कर दिए गए।

नेशनल

भाजपा का परिवार आरक्षण ख़त्म करना चाहता है: अखिलेश यादव

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एटा। समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष और यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने एटा में सपा प्रत्याशी देवेश शाक्य के समर्थन में संविधान बचाओ रैली को संबोधित किया। इस दौरान अखिलेश यादव ने कहा कि संविधान बचेगा तो लोकतंत्र बचेगा और लोकतंत्र बचेगा तो वोट देने का अधिकार बचेगा। अखिलेश यादव ने दावा किया कि ये अग्निवीर व्यवस्था जो लेकर आए हैं इंडिया गठबंधन की सरकार बनेगी तो अग्निवीर व्यवस्था समाप्त कर पहले वाली व्यवस्था लागू करेंगे।

उन्होंने आरक्षण मामले पर आरएसएस पर बिना नाम लिए निशाना साधते हुए कहा कि भाजपा के साथ एक सबसे खतरनाक परिवार है, जो आरक्षण खत्म करना चाहता है। अब उन्हें वोट चाहिए तो वह कह रहे हैं कि आरक्षण खत्म नहीं होगा।

उन्होंने आगे कहा कि मैं पूछना चाहता हूं अगर सरकार की बड़ी कंपनियां बिक जाएंगी तो क्या उनमें आरक्षण होगा? उनके पास जवाब नहीं है कि नौकरी क्यों नहीं दे रहे हैं? लोकसभा चुनाव संविधान मंथन का चुनाव है। एक तरफ वो लोग हैं जो संविधान को हटाना चाहते हैं। दूसरी तरफ इंडिया गठबंधन और समाजवादी लोग हैं जो संविधान को बचाना चाहते हैं। यह चुनाव आने वाली पीढ़ी के भविष्य का फैसला करेगा। वो लोग संविधान के भक्षक हैं और हम लोग रक्षक हैं।

अखिलेश यादव ने कहा कि एटा के लोगों को भाजपा ने बहुत धोखा दिया है। इनका हर वादा झूठा निकला। दस साल में एक लाख किसानों ने आत्महत्या की है। उनकी आय दोगुनी नहीं हुई। नौजवानों का भविष्य खत्म कर दिया गया है। हर परीक्षा का पेपर लीक हो रहा है।

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