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बिजनेस

‘माल्या के ऑफर से पता चलता है कि वे ऋण चुकाना चाहते हैं’

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उद्योगपति विजय माल्या, 4,000 करोड़ रुपये वापस करने की पेशकश, उद्योग संघ एसोसिएटेड चैंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री ऑफ इंडिया, 'विलफुल डिफाउल्टर'

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उद्योगपति विजय माल्या, 4,000 करोड़ रुपये वापस करने की पेशकश, उद्योग संघ एसोसिएटेड चैंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री ऑफ इंडिया, 'विलफुल डिफाउल्टर'

नई दिल्ली| कर्ज नहीं चुकाने के मामले में फंसे उद्योगपति विजय माल्या के 4,000 करोड़ रुपये वापस करने की पेशकश से पता चलता है कि वह ऋण चुकाना चाहते हैं। यह बात उद्योग संघ एसोसिएटेड चैंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री ऑफ इंडिया (एसोचैम) ने कही। एसोचैम महासचिव डी.एस. रावत ने शनिवार रात जारी एक बयान में कहा, “डिफॉल्ट को विलफुल तभी घोषित किया जाना चाहिए, जब वह जानबूझकर किया गया हो। जब यह स्थापित हो जाए कि कर्ज लेने वाला कर्ज वापस करना चाहता है, तो डिफॉल्ट को इरादतन नहीं माना जाना चाहिए।” रावत ने कहा कि ‘विलफुल डिफाउल्टर’ पर बहुत ज्यादा जोर दिया जा रहा है और इससे आम लोगों की नजर में उद्योग जगत की छवि खराब हो रही है, जबकि सच्चाई यह है कि वे देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) और रोजगार सृजन में बड़ी भूमिका निभाते हैं।

उन्होंने कहा, “कारोबारी जीवन में कठिन समय आया करते हैं। ऐसे समय भी आते हैं, जब एक उद्यमी पूरी कोशिश करने के बाद भी संकट जैसी स्थिति का सामना करते हैं।” रावत ने कहा, “विलफुल डिफाउल्ट को लेकर की जा रही हायतौबा के बीच सरकार को संयम बरतनी चाहिए और मीडिया के दबाव में नहीं आना चाहिए, जो कई बार सही और गलत के अतिरंजित बहस में फंस जाता है।” किंगफिशर एयरलाइस और माल्या के मामले में उन्होंने कहा, “मीडिया और जन सुनवाई से बचना चाहिए, क्योंकि ये उद्योग, बैंक या देश की वित्तीय प्रणाली के लिए अच्छा नहीं है।” उन्होंने कहा कि बैंकों का मुख्य ध्यान कर्ज की वसूली पर होना चाहिए और इसके लिए वाजिब कोशिश होनी चाहिए। उन्होंने कहा, “माल्या ने अच्छा किया या बुरा इसे कानून लागू करने वाली एजेंसियों और अदालत पर छोड़ देना चाहिए। बैंकों को खुले दिमाग से यह जरूर सोचना चाहिए कि उसके सामने क्या विकल्प हैं।”

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Whatsapp ने दी भारत छोड़ने की धमकी, कहा- अगर सरकार ने मजबूर किया तो

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नई दिल्ली। व्हाट्सएप ने गुरुवार को दिल्ली हाईकोर्ट में कहा कि अगर उसे उसे संदेशों के एन्क्रिप्शन को तोड़ने के लिए मजबूर किया गया तो वह भारत में अपनी सेवाएं बंद कर देगा। मैसेजिंग प्लेटफॉर्म की ओर से पेश एक वकील ने कहा कि लोग गोपनीयता के लिए व्हाट्सएप का उपयोग करते हैं और सभी संदेश एंड-टू-एंड एन्क्रिप्टेड हैं।

व्हाट्सऐप का कहना है कि WhatsApp End-To-End Encryption फीचर यूजर्स की प्राइवेसी को सिक्योर रखने का काम करता है। इस फीचर की वजह से ही मैसेज भेजने वाले और रिसीव करने वाले ही इस बात को जान सकते हैं कि आखिर मैसेज में क्या लिखा है। व्हाट्सऐप की तरफ से पेश हुए वकील तेजस करिया ने अदालत में बताया कि हम एक प्लेटफॉर्म के तौर पर भारत में काम कर रहे हैं। अगर हमें एन्क्रिप्शन सिक्योरिटी फीचर को तोड़ने के लिए मजबूर किया जाता है तो व्हाट्सऐप भारत छोड़कर चला जाएगा।

तेजस करिया का कहना है कि करोड़ों यूजर्स व्हाट्सऐप को इसके एन्क्रिप्शन सिक्योरिटी फीचर की वजह से इस्तेमाल करते हैं। इस वक्त भारत में 40 करोड़ से ज्यादा व्हाट्सऐप यूजर्स हैं। यही नहीं उन्होंने ये भी तर्क दिया है कि नियम न सिर्फ एन्क्रिप्शन बल्कि यूजर्स की प्राइवेसी को भी कमजोर बनाने का काम कर रहे हैं।

व्हाट्सऐप के वकील ने बताया कि भारत के अलावा दुनिया में कहीं भी ऐसा कोई नियम नहीं है। वहीं सरकार का पक्ष रखने वाले वकील कीर्तिमान सिंह ने नियमों का बचाव करते हुए कहा कि आज जैसा माहौल है उसे देखते हुए मैसेज भेजने वाले का पता लगाने की जरूरत पर जोर दिया है। कोर्ट इस मामले पर अगली सुनवाई अब 14 अगस्त को करेगा।

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