बिजनेस
उप्र : बिसवां चीनी मिल ने रिकॉर्ड उत्पादन कर महाराष्ट्र व तामिलनाडु को पछाड़ा
विद्या शंकर राय
लखनऊ। भारतीय गन्ना अनुसंधान संस्थान (आईआईएसआर) के वैज्ञानिकों की मेहनत रंग लाई है। वैज्ञानिकों के दिशा निर्देशन में सीतापुर के किसानों ने गन्ने की नई प्रजाति की फसल की खेती शुरू की। वैज्ञानिकों के इस प्रयास के चलते बिसवां चीनी मिल ने 2015-16 में चीनी परता के मामले में महाराष्ट्र व तामिलनाडु को भी पीछे छोड़ दिया है।
वैज्ञानिकों की मानें तो इस वर्ष बिसवां चीनी मिल में 12़.41 प्रतिशत चीनी परता हासिल कर देश में रिकॉर्ड कायम स्थापित किया है।
वैज्ञानिकों के मुताबिक, तमिलनाडु और महाराष्ट्र (औसत 11.21 प्रतिशत) जैसे राज्य चीनी रिकवरी में उप्र से पीछे छूट गए हैं।
लखनऊ में आईआईएसआर के प्रधान वैज्ञानिक डॉ. अजय कुमार शाह ने आईएएनएस से विशेष बातचीत के दौरान इसकी जानकारी दी।
शाह ने बताया, “बिसवां चीनी मिल परिक्षेत्र के गन्ना से कम रिकवरी हो रही थी। भारतीय गन्ना अनुसंधान संस्थान, लखनऊ की एक टीम वहां काम करने लगी। किसानों से बातचीत की गई। गन्ना की नई प्रजातियों की जानकारी दी गई। उत्साहित किसानों ने अर्ली वेराइटियों की बुवाई की। शुरुआती दिनों में थोड़ी दिक्कतें सामने आईं, लेकिन जब किसानों का रूझान बढ़ा तो परिणाम भी ठीक आए।”
शाह के अनुसार, बिसवां चीनी मिल ने यह उपलब्धि एक करोड़ क्विंटल गन्ना पेराई कर हासिल की है। प्रति दिन 7.5 हजार टन क्यूबिक पेराई क्षमता वाली बिसवां चीनी मिल ने वर्ष 2012-13 से वर्ष 2015-16 के बीच 75.10 करोड़ अतिरिक्त राजस्व कर पूरे भारत में रिकॉर्ड स्थापित किया है।
गन्ने की नई प्रजातियों को लेकर पूछे गए सवाल के जवाब में शाह ने कहा कि नई प्रजातियों ने तो किसानों की तस्वीर बदल दी है। चीनी मिल को भी फायदा होने लगा। किसानों ने गन्ने की नई प्रजातियों कोलक 94184, सीओपीके 05195, सीओ 2.38 और को 118 की बुवाई कर उत्पादन को बढ़ाया। 16 से 17 प्रतिशत शर्करा वाली इन अगेती प्रजातियों की बुवाई का क्षेत्रफल अब 70 प्रतिशत हो गया।
शाह ने बताया कि वर्ष 2012-13 में बिसवां चीनी मिल में 9़.78 प्रतिशत की रिकवरी हुई। इसके बाद वर्ष 2013-14 में यह बढ़कर 10.17 प्रतिशत तक पहुंच गई। वर्ष 2014-15 में एक बार फिर रिकवरी का प्रतिशत बढ़ाकर 10़.38 तक पहुंच गया।
शाह ने कहा, “वर्ष 2014-15 में तो चीनी परता रिकॉर्ड 12.40 प्रतिशत तक पहुंच गया। यह वाकई किसानों की मेहनत और भारतीय गन्ना अनुसंधान संस्थान की टीम की कोशिशों की वजह से ही हुआ है। ऐसा पहले कभी नहीं हुआ।”
शाह ने बताया कि चीनी परता का प्रतिशत ऐसे ही नहीं बढ़ा। इसे लेकर आईआईएसआर की टीम लगातार किसानों के संपर्क में थी।
उन्होंने बताया, “हमने वहां के किसानों के खेतों में गन्ने की स्वस्थ फसल को उगाने का काम शुरू किया। इसके बाद आसपास के किसान भी इसको लेकर जागरूक हुए और फिर यह धीरे-धीरे बढ़ता चला गया।”
आईआईएसआर के प्रधान वैज्ञानिक ने बताया कि अब स्थिति यह है कि सीतापुर में करीब 150 किसान ऐसे हैं, जो संस्थान के सहयोग से गन्ने की फसल का उत्पादन कर रहे हैं।
गन्ना संस्थान के प्रधान वैज्ञानिक ने हालांकि बातचीत के दौरान यह चिंता जाहिर की कि किसानों और संस्थान की टीम की मेहनत को हमेशा ही नजरअंदाज कर दिया जाता है।
उन्होंने कहा, “जरूरत है किसानों व संस्थान की टीम को श्रेय देने की। बिसवां चीनी मिल ने रिकॉर्ड स्थापित किया है और इसका श्रेय किसानों व संस्थान की टीम को दिया जाना चाहिए।”
बिजनेस
Whatsapp ने दी भारत छोड़ने की धमकी, कहा- अगर सरकार ने मजबूर किया तो
नई दिल्ली। व्हाट्सएप ने गुरुवार को दिल्ली हाईकोर्ट में कहा कि अगर उसे उसे संदेशों के एन्क्रिप्शन को तोड़ने के लिए मजबूर किया गया तो वह भारत में अपनी सेवाएं बंद कर देगा। मैसेजिंग प्लेटफॉर्म की ओर से पेश एक वकील ने कहा कि लोग गोपनीयता के लिए व्हाट्सएप का उपयोग करते हैं और सभी संदेश एंड-टू-एंड एन्क्रिप्टेड हैं।
व्हाट्सऐप का कहना है कि WhatsApp End-To-End Encryption फीचर यूजर्स की प्राइवेसी को सिक्योर रखने का काम करता है। इस फीचर की वजह से ही मैसेज भेजने वाले और रिसीव करने वाले ही इस बात को जान सकते हैं कि आखिर मैसेज में क्या लिखा है। व्हाट्सऐप की तरफ से पेश हुए वकील तेजस करिया ने अदालत में बताया कि हम एक प्लेटफॉर्म के तौर पर भारत में काम कर रहे हैं। अगर हमें एन्क्रिप्शन सिक्योरिटी फीचर को तोड़ने के लिए मजबूर किया जाता है तो व्हाट्सऐप भारत छोड़कर चला जाएगा।
तेजस करिया का कहना है कि करोड़ों यूजर्स व्हाट्सऐप को इसके एन्क्रिप्शन सिक्योरिटी फीचर की वजह से इस्तेमाल करते हैं। इस वक्त भारत में 40 करोड़ से ज्यादा व्हाट्सऐप यूजर्स हैं। यही नहीं उन्होंने ये भी तर्क दिया है कि नियम न सिर्फ एन्क्रिप्शन बल्कि यूजर्स की प्राइवेसी को भी कमजोर बनाने का काम कर रहे हैं।
व्हाट्सऐप के वकील ने बताया कि भारत के अलावा दुनिया में कहीं भी ऐसा कोई नियम नहीं है। वहीं सरकार का पक्ष रखने वाले वकील कीर्तिमान सिंह ने नियमों का बचाव करते हुए कहा कि आज जैसा माहौल है उसे देखते हुए मैसेज भेजने वाले का पता लगाने की जरूरत पर जोर दिया है। कोर्ट इस मामले पर अगली सुनवाई अब 14 अगस्त को करेगा।
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