आध्यात्म
अगर रावण इन 7 कामों को करने में हो जाता कामयाब तो बदल जाता पृथ्वी का नक्शा!
नई दिल्ली। लंका के राजा रावण को उनके दस सिरों की वजह से जाना जाता है। यही वजह है कि उसे दशानन भी कहा जाता है। जब धरती पर उसके अत्याचार बढ़ गए थे तो भगवान् विष्णु ने राम के रूप में अवतार लेकर उसका वध किया था। आपको जानकर हैरानी होगी कि रावण मरने से पहले सात ऐसे काम करना चाहता था, जिसकी बदौलत वह सर्वशक्तिमान बन जाता, लेकिन वह इन कामों को कर नहीं पाया।
1-रावण सातों समुद्रों के पानी को मीठा बनाना चाहता था, जिससे धरती पर कभी पीने योग्य पानी की कमी न हो।
2-रावण का इरादा था कि वो धरती से भगवान की पूजा की परंपरा को ही समाप्त कर दे, ताकि फिर दुनिया में सिर्फ उसकी ही पूजा हो।
3-रावण चाहता था कि सोने (स्वर्ण) में सुगंध होनी चाहिए। वो दुनियाभर के सोने पर कब्जा करना चाहता था। सोना ढूंढने में कोई परेशानी नहीं हो, इसलिए रावण उसमें सुगंध डालना चाहता था।
4-रावण स्वर्ग तक जाने के लिए सीढ़िया बनाना चाहता था, ताकि जो लोग मोक्ष या स्वर्ग पाने के लिए भगवान को पूजते हैं, वे उनकी पूजा बंद कर रावण को ही भगवान मान लें और उसकी पूजा करें।
5-रावण चाहता था कि इंसानों के खून का रंग लाल से सफेद हो जाए। कहते हैं कि जब रावण विश्वविजयी यात्रा पर निकला था तो उसने सैकड़ों युद्ध किए। करोड़ों लोगों का खून बहाया।
सारी नदियां और सरोवर खून से लाल हो गए थे। प्रकृति का संतुलन बिगड़ने लगा था और सारे देवता इसके लिए रावण को दोषी मानने लगे थे। इसलिए रावण चाहता था कि खून का रंग लाल से सफेद हो जाए, जिससे वो पानी में मिलकर पानी की तरह ही हो जाए।
6-रावण सांवले रंग का था, इसलिए वो चाहता था कि मानव जाति में जितने भी लोगों का रंग सांवला है वे गोरे हो जाएं, जिससे कोई भी महिला उनका अपमान ना कर सके।
7 रावण शराब से बदबू मिटाना चाहता था, ताकि संसार में शराब का सेवन करके लोग अधर्म को बढ़ा सकें। हालांकि रावण के ये सारे सपने अधूरे ही रह गए, क्योंकि देवताओं ने ऐसा होने नहीं दिया।
रिपोर्ट-मानसी शुक्ला
आध्यात्म
आज पूरा देश मना रहा रामनवमी, जानिए इसके पीछे की पूरी पौराणिक कहानी
नई दिल्ली। आज पूरे देश में रामनवमी का त्यौहार बड़ी धूम धाम से मनाया जा रहा है। पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक इस दिन भगवान राम का जन्म हुआ था। जो विष्णु का सातवां अवतार थे। रामनवमी का त्यौहार चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी को मनाया जाता है। आइये जानते हैं इसके पीछे की पौराणिक कहानी।
पौराणिक कथाओं के मुताबिक भगवान राम ने भी मां दुर्गा की पूजा की थी, जिससे कि उन्हें युद्ध के समय विजय मिली थी। साथ ही माना जाता है इस दिन गोस्वामी तुलसीदास जी ने रामचरित मानस की रचना का आरंभ किया। राम नवमी का व्रत जो भी करता है वह व्यक्ति पापों से मुक्त होता है और साथ ही उसे शुभ फल प्रदान होता है
रामनवमी का इतिहास-
महाकाव्य रामायण के अनुसार अयोध्या के राजा दशरथ की तीन पत्नियां थी। कौशल्या, सुमित्रा और कैकयी। शादी को काफी समय बीत जाने के बाद भी राजा दशरथ के घर किसी बालक की किलकारी नहीं गूंजी थी। इसके उपचार के लिए ऋषि वशिष्ट ने राजा दशरथ से पुत्र प्राप्ति के लिए कमेश्टी यज्ञ कराने के लिए कहा। जिसे सुनकर दशरथ खुश हो गए और उन्होंने महर्षि रुशया शरुंगा से यज्ञ करने की विन्नती की। महर्षि ने दशरथ की विन्नती स्वीकार कर ली। यज्ञ के दौरान महर्षि ने तीनों रानियों को प्रसाद के रूप में खाने के लिए खीर दी। इसके कुछ दिनों बाद ही तीनों रानियां गर्भवती हो गईं।
नौ माह बाद चैत्र मास में राजा दशरथ की बड़ी रानी कौशल्या ने भगवान राम को जन्म दिया, कैकयी ने भरत को और सुमित्रा ने दो जुड़वा बच्चे लक्ष्मण और शत्रुघन को जन्म दिया। भगवान विष्णु ने श्री राम के रूप में धरती पर जन्म इसलिए लिया ताकि वे दुष्ट प्राणियों का नरसंहार कर सके।
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