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मुख्य समाचार

इस बार चुनाव नहीं लड़ेंगे त्रिवेंद्र सिंह रावत, जेपी नड्डा का लिखा पत्र

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नई दिल्ली। उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने विधान सभा चुनाव लड़ने से इनकार कर दिया है। रावत ने पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा को पत्र लिखकर चुनाव नहीं लड़ने के उनके अनुरोध को स्वीकार कर लेने का आग्रह किया है।

पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा को लिखे पत्र में त्रिवेंद्र सिंह रावत ने लिखा है, राज्य में नेतृत्व परिवर्तन हुआ है व पुष्कर धामी के रूप में युवा नेतृत्व मिला है। बदली हुई राजनीतिक परिस्थितियों में मुझे विधान सभा चुनाव – 2022 नहीं लड़ना चाहिए।

उन्होंने अपनी भावनाओं से पूर्व में ही अवगत कराने की बात कहते हुए पत्र में यह भी लिखा कि अतीत में राष्ट्रीय सचिव और पार्टी द्वारा दी गई अन्य जिम्मेदारियों के तहत वो महाराष्ट्र, पंजाब, हरियाणा , दिल्ली , हिमाचल प्रदेश , चंडीगढ़ के अलावा उत्तर प्रदेश के चुनावी अभियानों में भी कार्य कर चुके हैं।

रावत ने उत्तराखंड में दोबारा भाजपा सरकार बनाने के लिए कार्य करने की बात कहते हुए नड्डा को पत्र में लिखा, वर्तमान में उत्तराखंड राज्य में चुनाव हो रहा है। धामी के नेतृत्व में पुन: सरकार बने उसके लिए पूरा समय लगाना चाहता हूं। अत: आपसे अनुरोध है कि मेरे चुनाव न लड़ने के अनुरोध को स्वीकार करें ताकि मैं अपने संपूर्ण प्रयास सरकार बनाने के लिए लगा सकूं।

आपको बता दें कि, 2017 में त्रिवेंद्र सिंह रावत डोईवाला विधान सभा से चुनाव जीत कर उत्तराखंड के मुख्यमंत्री बने थे। मार्च 2021 में भाजपा आलाकमान ने उन्हें हटाकर तीरथ सिंह रावत को प्रदेश का मुख्यमंत्री बनाया, लेकिन 6 महीने की समय सीमा के अंदर उनके विधायक नहीं बन पाने की संभावनाओं को देखते हुए भाजपा ने जुलाई 2021 में पुष्कर सिंह धामी को राज्य की कमान सौंप दी।

प्रदेश में 14 फरवरी को चुनाव होना है और भाजपा वर्तमान मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व में ही चुनाव लड़ने जा रही है। ऐसे में त्रिवेंद्र सिंह रावत के चुनाव नहीं लड़ने की इच्छा जाहिर करने के कई सियासी मायने भी निकाले जा रहे हैं।

नेशनल

पश्चिम बंगाल सरकार ने राज्य में युवाओं के विकास के सभी रास्ते बंद कर दिए हैं: पीएम मोदी

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कोलकाता। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को मालदा में एक चुनावी जनसभा को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि मेरा बंगाल से ऐसा नाता है जैसे मानो मैं पिछले जन्म में बंगाल में पैदा हुआ था या फिर शायद अगले जन्म में बंगाल में पैदा होना है। इसके साथ ही मोदी ने प्रदेश की सत्तारूढ़ दल तृणमूल कांग्रेस पर खूब हमला बोला। उन्होंने कहा कि पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस द्वारा किए गए बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार के कारण लगभग 26 हजार परिवारों की शांति और खुशी खत्म हो गई है। पीएम मोदी ने यह बयान कलकत्ता हाईकोर्ट की एक खंडपीठ के हालिया आदेश के संदर्भ में दिया। जिसमें सरकारी स्कूलों में 25 हजार 753 टीचिंग (शिक्षण) और गैर-शिक्षण नौकरियों को रद्द कर दिया गया था।

पीएम मोदी ने आगे कहा, “नौकरियों और आजीविका के इस नुकसान के लिए केवल तृणमूल कांग्रेस जिम्मेदार है। राज्य सरकार ने राज्य में युवाओं के विकास के सभी रास्ते बंद कर दिए हैं। जिन लोगों ने पैसे उधार लेकर तृणमूल कांग्रेस के नेताओं को दिए उनकी हालत तो और भी खराब है।” पीएम मोदी ने राज्य सरकार और सत्तारूढ़ दल पर विभिन्न केंद्र-प्रायोजित योजनाओं के तहत दिए गए केंद्रीय फंड के उपयोग के संबंध में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार करने का भी आरोप लगाया। पीएम ने कहा, केंद्र सरकार ने राज्य के 80 लाख किसानों के लिए 8 हजार करोड़ रुपये उपलब्ध कराए हैं। लेकिन राज्य सरकार बाधा उत्पन्न कर रही है, इसलिए किसानों को राशि नहीं मिल पा रही है। राज्य सरकार सभी केंद्रीय परियोजनाओं के कार्यान्वयन को खराब करने की कोशिश कर रही है। वे राज्य में आयुष्मान भारत योजना लागू नहीं होने दे रहे। हमारे पास मालदा जिले के आम किसानों के लिए योजनाएं हैं। लेकिन मुझे चिंता है कि तृणमूल कांग्रेस के नेता वहां भी कमीशन की मांग करेंगे। पीएम मोदी ने राज्य के विभिन्न हिस्सों में महिलाओं के यौन उत्पीड़न के लिए जिम्मेदार लोगों को बचाने का प्रयास करने का भी आरोप राज्य सरकार पर लगाया।

उन्होंने कहा कि संदेशखाली में महिलाओं को प्रताड़ित किया गया। मालदा में भी ऐसी ही घटनाओं की खबरें आई थीं। लेकिन तृणमूल कांग्रेस सरकार ने हमेशा आरोपियों को बचाने का प्रयास किया है। पीएम मोदी ने आगे कहा कि कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस के बीच तुष्टिकरण की राजनीति की प्रतिस्पर्धा चल रही है। एक तरफ तृणमूल कांग्रेस पश्चिम बंगाल में अवैध घुसपैठ को बढ़ावा दे रही है। वहीं दूसरी ओर, कांग्रेस आम लोगों से पैसा जब्त करने और इसे केवल उन लोगों के बीच वितरित करने की योजना बना रही है जो उनके समर्पित वोट बैंक का हिस्सा हैं। कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस का गुप्त समझौता है।

 

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