आध्यात्म
अक्टूबर में कई ग्रहों का है राशि परिवर्तन, जानें क्या होगा असर?
नई दिल्ली। अक्टूबर का महीना ग्रहों के राशि परिवर्तन के लिहाज से काफी हलचला भरा है। इस माह में कुछ ग्रह दीपावली से पहले राशि परिवर्तन कर रहे हैं या फिर मार्गी, वहीं एक ग्रह दीपावली के बाद वक्री हो रहा है। सूर्य ग्रहण भी इस महीने में राशियों के लिए बहुत से परिवर्तन लेकर आ रहा है।
सबसे पहले शनि के मार्गी होने की बात करें तो शनि 23 अक्टूबर को मार्गी हो रहे हैं। शनि के मार्गी होने से कई ग्रहों के लिए स्थिति अच्छी बनी हुई है। क्योंकि शनि के मार्गी होने से कई राशियों की परेशानियां समाप्त हो जाएगीं।
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इसके अलावा अगर बात करें सूर्य ग्रहण की तो दीपावली के अगले दिन यानी 25 अक्टूबर को सूर्य ग्रहण लग रहा है। सूर्य ग्रहण से भी राशियों पर अलग-अलग प्रभाव पड़ेगा। इन दोनों ग्रहों के अलावा मंगल भी 30 अक्टूबर को वक्री हो रहे हैं। आइए जानते हैं इनके कारण कौन सी राशि क्या पाएगी-
मेष- इन ग्रहों की हलचलों से मेष राशि वालों पर शुभ प्रभाव होगा। इस राशि के लोगों को पहले जैसा ही लाभ अपने बिजनेस में मिलेगा। इसके अलावा इन राशि वालों को अब किसी भी चीज में खास निवेश करने की आवश्यकता नहीं है, आप छोटा-मोटा निवेश कर सकते हैं।
कन्या – कन्या राशि वालों की लवलाइफ बहुत अच्छी होने वाली है। इसके अलावा अगर आप सरकारी नौकरी की तैयारी कर रहे हैं, तो आपको लाभ मिल सकता है। दूसरों के बारे में विश्लेषण करने में अपना समय खराब न करें।
तुला- धन के मामले में आपकी थोड़ी सी कोशिश आपको अच्छा अवसर दे सकती है। इसलिए इस दौरान अपने पुराने संपर्कों पर नजर डालें। जल्द ही आपके लिए कमाई के बहुत से नए अवसर पैदा होंगे।
डिस्क्लेमर: उपरोक्त जानकारी के पूर्ण सत्य होने का हमारा दावा नहीं है। विशेषज्ञों की सलाह अवश्य लें।
आध्यात्म
आज पूरा देश मना रहा रामनवमी, जानिए इसके पीछे की पूरी पौराणिक कहानी
नई दिल्ली। आज पूरे देश में रामनवमी का त्यौहार बड़ी धूम धाम से मनाया जा रहा है। पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक इस दिन भगवान राम का जन्म हुआ था। जो विष्णु का सातवां अवतार थे। रामनवमी का त्यौहार चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी को मनाया जाता है। आइये जानते हैं इसके पीछे की पौराणिक कहानी।
पौराणिक कथाओं के मुताबिक भगवान राम ने भी मां दुर्गा की पूजा की थी, जिससे कि उन्हें युद्ध के समय विजय मिली थी। साथ ही माना जाता है इस दिन गोस्वामी तुलसीदास जी ने रामचरित मानस की रचना का आरंभ किया। राम नवमी का व्रत जो भी करता है वह व्यक्ति पापों से मुक्त होता है और साथ ही उसे शुभ फल प्रदान होता है
रामनवमी का इतिहास-
महाकाव्य रामायण के अनुसार अयोध्या के राजा दशरथ की तीन पत्नियां थी। कौशल्या, सुमित्रा और कैकयी। शादी को काफी समय बीत जाने के बाद भी राजा दशरथ के घर किसी बालक की किलकारी नहीं गूंजी थी। इसके उपचार के लिए ऋषि वशिष्ट ने राजा दशरथ से पुत्र प्राप्ति के लिए कमेश्टी यज्ञ कराने के लिए कहा। जिसे सुनकर दशरथ खुश हो गए और उन्होंने महर्षि रुशया शरुंगा से यज्ञ करने की विन्नती की। महर्षि ने दशरथ की विन्नती स्वीकार कर ली। यज्ञ के दौरान महर्षि ने तीनों रानियों को प्रसाद के रूप में खाने के लिए खीर दी। इसके कुछ दिनों बाद ही तीनों रानियां गर्भवती हो गईं।
नौ माह बाद चैत्र मास में राजा दशरथ की बड़ी रानी कौशल्या ने भगवान राम को जन्म दिया, कैकयी ने भरत को और सुमित्रा ने दो जुड़वा बच्चे लक्ष्मण और शत्रुघन को जन्म दिया। भगवान विष्णु ने श्री राम के रूप में धरती पर जन्म इसलिए लिया ताकि वे दुष्ट प्राणियों का नरसंहार कर सके।
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