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आध्यात्म

नहीं टूटी दस साल पुरानी परंपरा, एक बार फिर जवानों के साथ दिवाली मनाने लेप्चा पहुंचे PM मोदी

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PM Modi reached Himachal to celebrate Diwali with security forces

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नई दिल्ली। पूरे देश में दिवाली का त्योहार धूमधाम से मनाया जा रहा है। इसी बीच, हर साल की तरह इस साल भी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी दिवाली मनाने के लिए देश के जवानों के बीच पहुंचे हैं। इस साल पीएम मोदी हिमाचल प्रदेश के लेप्चा में सुरक्षा बलों के साथ दिवाली मना रहे हैं। उन्होंने अपने सोशल मीडिया पर खूबसूरत तस्वीरें भी शेयर की है। पिछले 10 सालों से लगातार पीएम मोदी जवानों के बीच दिवाली मनाते आए हैं।

पीएम मोदी ने शेयर की तस्वीरें

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने सोशल मीडिया हैंडल एक्स पर इस दौरान की कुछ खूबसूरत तस्वीरें शेयर की है। इस पोस्ट में पीएम मोदी ने लिखा, “हमारे बहादुर सुरक्षा बलों के साथ दिवाली मनाने के लिए हिमाचल प्रदेश के लेप्चा पहुंचा।”

हर साल जवानों के बीच मनाई दिवाली

मालूम हो कि पीएम मोदी ने अपने पद संभालने के बाद हर साल की दिवाली देश के सुरक्षा बलों और जवानों के साथ मनाई है। उन्होंने साल 2014 में सियाचिन ग्लेशियर में, साल 2015 में पंजाब के अमृतसर में, वर्ष 2016 में हिमाचल प्रदेश के किन्नौर में और वर्ष 2017 में कश्मीर के गुरेज में, 2018 में प्रधानमंत्री ने उत्तराखंड के केदारनाथ में सैनिकों के साथ दिवाली मनाई थी।

इसके बाद अपने दूसरे कार्यकाल में पीएम मोदी ने साल 2019 में जम्मू संभाग के राजौरी में सेना के जवानों के साथ, वर्ष 2020 में राजस्थान के जैसलमेर में, वर्ष 2021 में राजौरी जिला के नौशहरा और पिछले साल करगिल में सैनिकों को साथ दिवाली मनाई थी।

देशवासियों को दी बधाई

दिवाली के शुभ अवसर पर पीएम मोदी ने देशवासियों को बधाई दी। उन्होंने पोस्ट में लिखा, “देश के अपने सभी परिवारजनों को दीपावली की ढेरों शुभकामनाएं। ये खास त्योहार आपके जीवन में खुशियां, समृद्धि और अच्छा स्वास्थ्य लाए।”

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आध्यात्म

आज पूरा देश मना रहा रामनवमी, जानिए इसके पीछे की पूरी पौराणिक कहानी

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नई दिल्ली। आज पूरे देश में रामनवमी का त्यौहार बड़ी धूम धाम से मनाया जा रहा है। पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक इस दिन भगवान राम का जन्म हुआ था। जो विष्णु का सातवां अवतार थे। रामनवमी का त्यौहार चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी को मनाया जाता है। आइये जानते हैं इसके पीछे की पौराणिक कहानी।

पौराणिक कथाओं के मुताबिक भगवान राम ने भी मां दुर्गा की पूजा की थी, जिससे कि उन्हें युद्ध के समय विजय मिली थी। साथ ही माना जाता है इस दिन गोस्वामी तुलसीदास जी ने रामचरित मानस की रचना का आरंभ किया। राम नवमी का व्रत जो भी करता है वह व्यक्ति पापों से मुक्त होता है और साथ ही उसे शुभ फल प्रदान होता है

रामनवमी का इतिहास-

महाकाव्य रामायण के अनुसार अयोध्या के राजा दशरथ की तीन पत्नियां थी। कौशल्या, सुमित्रा और कैकयी। शादी को काफी समय बीत जाने के बाद भी राजा दशरथ के घर किसी बालक की किलकारी नहीं गूंजी थी। इसके उपचार के लिए ऋषि वशिष्ट ने राजा दशरथ से पुत्र प्राप्ति के लिए कमेश्टी यज्ञ कराने के लिए कहा। जिसे सुनकर दशरथ खुश हो गए और उन्होंने महर्षि रुशया शरुंगा से यज्ञ करने की विन्नती की। महर्षि ने दशरथ की विन्नती स्वीकार कर ली। यज्ञ के दौरान महर्षि ने तीनों रानियों को प्रसाद के रूप में खाने के लिए खीर दी। इसके कुछ दिनों बाद ही तीनों रानियां गर्भवती हो गईं।

नौ माह बाद चैत्र मास में राजा दशरथ की बड़ी रानी कौशल्या ने भगवान राम को जन्म दिया, कैकयी ने भरत को और सुमित्रा ने दो जुड़वा बच्चे लक्ष्मण और शत्रुघन को जन्म दिया। भगवान विष्णु ने श्री राम के रूप में धरती पर जन्म इसलिए लिया ताकि वे दुष्ट प्राणियों का नरसंहार कर सके।

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