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आध्यात्म

CM योगी ने दी दीपावली की बधाई, बोले- 54 देशों के राजनयिकों संग अयोध्या के दीपोत्सव की साक्षी बनी दुनिया

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CM Yogi congratulated Diwali

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अयोध्या। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सभी को दीपावली की बधाई देते हुए कहा, अयोध्या के दीपोत्सव की साक्षी देश और दुनिया बनी है। 54 देशों के राजनयिकों ने आकर नई आयोध्या के दर्शन किए हैं। दीपोत्सव का भव्य रूप उसी श्रृंखला का हिस्सा था जो प्रधानमंत्री मोदी के विजन के अनुरूप आगे बढ़ रहा है। दीपावली का पर्व सकारात्मक ऊर्जा का संचार करने का हम सबके लिए एक माध्यम है, मैं सभी को दीपावली की बधाई देता हूं।

इन देशों के राजनयिकों ने दीपोत्‍सव में लिया हिस्‍सा

रामनगरी में आयोजित दीपोत्सव के सातवें संस्करण में 50 से अधिक देशों के राजनयिक ने हिस्सा लिया। अर्जेंटीना के मारिया बेलेन गार्सिया अल्कैट, आर्मीनिया के वाहगन अफयान, आजरबाइजान के फाखरी अलीयेव, बेलोरूस के आंद्रेई रज़ेउस्की शामिल हैं।

इनके अलावा ब्रुनेछर, बुल्गारिया, बुरुंडी, कंबोडिया, क्रोएशिया, क्यूबा, साइप्रस, इथियोपिया, गैबान, गांबिया, जाजिया, घाना, हंगरी, जापान, कोरिया, र्किगिस्तान,लातविया, लिसोटो, लिथुवानिया, मलावी, माल्दीव, माल्टा, मारीशस, मोलदावा समेत 50 से अधिक देशों के राजदूत व उनके प्रतिनिधि दीपोत्सव के सातवें संस्करण में हिस्सा लेने रामनगरी आये।

यह अब तक का सबसे भव्य दीपोत्सव

मुख्‍यमंत्री योगी आद‍ित्‍यनाथ ने कहा क‍ि यह अब तक का सबसे भव्य दीपोत्सव है, जिसमें 22 लाख 23 हजार प्रज्वलित दीयों का विश्व कीर्तिमान बना। रामकी पैड़ी के 51 घाटों पर करीब 25 हजार स्वयंसेवकों ने बीती आठ नवंबर से ही दीयों को सजाना आरंभ कर दिया था। शुक्रवार को ही दीयों को बिछा लिया गया। हालांकि, शनिवार सुबह हुई वर्षा से स्वयंसेवकों के साथ अवध विश्वविद्यालय के अधिकारियों व जिला प्रशासन की भी धुकधुकी बढ़ गई, लेकिन रामकाज में किसी प्रकार की बाधा नहीं आई।

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आध्यात्म

आज पूरा देश मना रहा रामनवमी, जानिए इसके पीछे की पूरी पौराणिक कहानी

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नई दिल्ली। आज पूरे देश में रामनवमी का त्यौहार बड़ी धूम धाम से मनाया जा रहा है। पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक इस दिन भगवान राम का जन्म हुआ था। जो विष्णु का सातवां अवतार थे। रामनवमी का त्यौहार चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी को मनाया जाता है। आइये जानते हैं इसके पीछे की पौराणिक कहानी।

पौराणिक कथाओं के मुताबिक भगवान राम ने भी मां दुर्गा की पूजा की थी, जिससे कि उन्हें युद्ध के समय विजय मिली थी। साथ ही माना जाता है इस दिन गोस्वामी तुलसीदास जी ने रामचरित मानस की रचना का आरंभ किया। राम नवमी का व्रत जो भी करता है वह व्यक्ति पापों से मुक्त होता है और साथ ही उसे शुभ फल प्रदान होता है

रामनवमी का इतिहास-

महाकाव्य रामायण के अनुसार अयोध्या के राजा दशरथ की तीन पत्नियां थी। कौशल्या, सुमित्रा और कैकयी। शादी को काफी समय बीत जाने के बाद भी राजा दशरथ के घर किसी बालक की किलकारी नहीं गूंजी थी। इसके उपचार के लिए ऋषि वशिष्ट ने राजा दशरथ से पुत्र प्राप्ति के लिए कमेश्टी यज्ञ कराने के लिए कहा। जिसे सुनकर दशरथ खुश हो गए और उन्होंने महर्षि रुशया शरुंगा से यज्ञ करने की विन्नती की। महर्षि ने दशरथ की विन्नती स्वीकार कर ली। यज्ञ के दौरान महर्षि ने तीनों रानियों को प्रसाद के रूप में खाने के लिए खीर दी। इसके कुछ दिनों बाद ही तीनों रानियां गर्भवती हो गईं।

नौ माह बाद चैत्र मास में राजा दशरथ की बड़ी रानी कौशल्या ने भगवान राम को जन्म दिया, कैकयी ने भरत को और सुमित्रा ने दो जुड़वा बच्चे लक्ष्मण और शत्रुघन को जन्म दिया। भगवान विष्णु ने श्री राम के रूप में धरती पर जन्म इसलिए लिया ताकि वे दुष्ट प्राणियों का नरसंहार कर सके।

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