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उत्तराखंड

टिहरी डैम के चलते विस्थापन से डरे हुए हैं ग्रामीण

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टिहरी डैम की झील, विस्थापन से डरे हुए हैं ग्रामीण, अभिशाप बनी झील

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टिहरी डैम की झील, विस्थापन से डरे हुए हैं ग्रामीण, अभिशाप बनी झील

Tehri Dam

निकटवर्ती गांवों के लिए अभिशाप बनी झील

देहरादून/ नई टिहरी। पुरखों द्वारा संजोयी गयी विरासत से एक झटके में अलग होने का दर्द कैसा होता है, यह टिहरी झील निर्माण के दौरान वहां से विस्थापित किए परिवारों से ही जाना जा सकता है। जिस एतिहासिक पुरानी टिहरी को टिहरी डैम की झील में डूबोकर टिहरी डैम का निर्माण कर इसे देश के लिए लिए वरदान कहा जाता है, वही टिहरी झील आज झील से सटे आसपास के गांवों के लिए अभिशाप बन गई है।

टिहरी झील के पानी के कारण आसपास के गांवो में हो रहे भूस्खलन और भूधसांव से मकानों में दरारें आ गई है, खेती योग्य भूमि धसं चुकी है, दर्जनों मकान पूरी तरह से जंमीदोज हो चुके हैं और लोग विस्थापन की मांग कर रहे हैं। लेकिन वर्षों से उन्हें विस्थापन के नाम पर सिर्फ कोरा आश्वासन ही मिलता रहा है।

टिहरी डैम की झील के ऊपर आज भले ही 8 राज्यों को रोशन करने की जिम्मेदारी के अतिरिक्त यूपी और दिल्ली में सिंचाई का जिम्मा हो और इसे एक ऐसे वरदान के रूप में देखा जा रहा है जो कि देश के लिए विकास का प्रतीक हो। लेकिन वही वरदान आज टिहरी झील से सटे 17 गांवों के 415 परिवारों के लिए एक ऐसा अभिशाप हो साबित हो रहा है जिससे मुक्ति पाने के लिए ग्रामीण वर्षों से विस्थापन की मांग कर रहे हैं।

झील से सटे मदननेगी, नदंगांव, रोलाकोट, भटकंडा, पिपोला, गोजियाणा, तुणेठा सहित 17 गांव ऐसे हैं, जहां झील के पानी के उतार चढ़ाव से सबसे अधिक भूस्खलन और भूधसांव हो रहा है। मकानों में दरारें आ गई हैं, कई मकान पूरी तरह से जमींदोज हो चुके हैं और कई मकान तो बल्लियों के सहारे अटके हए हैं। भूमि धंसने के कारण खेतों में दरारें आ गई हैं जिससे वहां खेती कर पाना जान का जोखिम बन गया है।

वर्षों से टिहरी झील का दंश झेल रहे ग्रामीण विस्थापन की मांग कर रहे हैं। वर्ष 2010 में राज्य सरकार द्वारा एक्सपर्ट कमेटी वैज्ञानिकों द्वारा झील प्रभावित गांवों का सर्वे कराया गया जिसने गांवों में जाकर झील के कारण हो रहे भूस्खलन और भूधसांव का जायजा लिया।

वर्ष 2012 में झील से प्रभावित 415 परिवारों को विस्थापन की श्रेणी में भी रखा गया लेकिन उनका विस्थापन आज तक नहीं हो पाया है। झील से सटे रोलाकोट और नंदगांव तो एसे गांव हैं जहां अब मकानों में आई दरारें काफी बढ़ गई है। लोगों के मकान टूट चुके हैं और खेत धीरे धीरे झील में धंसते जा रहे हैं।

झील प्रभावित नंदगांव संघर्ष समिति के अध्यक्ष सोहन सिंह राणा का कहना है कि वर्ष 2010 से ही नंदगांव के ग्रामीण विस्थापन की मांग को लेकर आंदोलन कर रहे हैं और अभी भी उनका आंदोलन पुर्नवास कार्यालय के बाहर चल रहा है।

नंदगांव के करीब 47 परिवारों को विस्थापन के नाम पर कभी 15 दिन तो कभी एक माह का आश्वासन मिलता है, लेकिन आज तक विस्थापन नहीं हो पाया। पुनर्वास विभाग और टीएचडीसी की आपसी खींचतान में ग्रामीण पिसने को मजबूर हैं।

विस्थापन की बाट जोह रहे टिहरी झील प्रभावित 415 परिवार आज भी डर के साए में जीने को मजबूर हैं। पुनर्वास विभाग और टीएचडीसी के बीच फुटबाल बने ग्रामीणों की सुध लेने वाला कोई नहीं है।

ऐसे में बड़ा सवाल यही है कि आखिर कब इन परिवारों का विस्थापन होगा और कब टिहरी झील इनके लिए भी वरदान साबित होगी।

पुर्नवास निदेशक इंदुधर बौड़ाई का कहना है कि झील प्रभावित गांवों के लिए भूमि का प्रस्ताव शासन को भेज दिया गया है और भूमि की तलाश की जा रही है। भूमि मिलते ही विस्थापन की कार्रवाई शुरू कर दी जाएगी।

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उत्तराखंड

10 मई से शुरू हो रही चारधाम यात्रा के लिए रजिस्ट्रेशन शुरू, पहले ही दिन हुए 2 लाख से ज्यादा पंजीकरण

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नई दिल्ली। इस बार 10 मई से चारधाम यात्रा शुरू हो रही है। इसके लिए सोमवार से ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया शुरू हो गई। पहले ही दिन चार धाम के लिए दो लाख से अधिक पंजीकरण हो गए हैं। सबसे अधिक 69 हजार पंजीकरण केदारनाथ धाम के लिए हुए हैं।

रजिस्ट्रेशन की सुविधा मोबाइल ऐप, वॉट्सऐप और टोल फ्री नंबर पर भी है। केदारनाथ, बद्रीनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री की यात्रा करने वाले श्रद्धालुओं के लिए रजिस्ट्रेशन जरूरी होगा। इस बार चारधाम यात्रा शुरू होने से 25 दिन पहले यात्रियों को रजिस्ट्रेशन की सुविधा दी जा रही है, जिससे प्रदेश के बाहर से आने वाले यात्री अपना प्लान बनाकर आसानी से रजिस्ट्रेशन कर सकें।

रजिस्ट्रेशन के लिए नाम, मोबाइल नंबर के साथ यात्रा करने वाले सदस्यों का ब्योरा, निवास स्थान के पते के लिए आईडी देनी होगी। पर्यटन विभाग की वेबसाइट रजिस्ट्रेशन एंड टूरिस्ट केअर डॉट यूके डॉट जीओवी डॉट इन पर लॉगिन कर रजिस्ट्रेशन किया जा सकता है। इसके अलावा वॉट्सऐप नंबर-8394833833 पर यात्रा लिखकर मैसेज करके भी पंजीकरण कर सकते हैं। पर्यटन विभाग ने टोल फ्री नंबर-0135-1364 पर कॉल करके पंजीकरण की सुविधा दी है। स्मार्ट फोन पर टूरिस्टकेअरउत्तराखंड मोबाइल ऐप से भी रजिस्ट्रेशन कर सकते हैं।

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