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अन्तर्राष्ट्रीय

दक्षिण कोरिया, अमेरिका, जापान ने परमाणु परीक्षण पर चर्चा की

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सियोल। दक्षिण कोरिया, अमेरिका और जापान के उप रक्षा मंत्रियों ने उत्तर कोरिया के परमाणु परीक्षण से संबंधित सूचना साझा करने के लिए शुक्रवार को एक वीडियो टेलीकांफ्रेंस रखी। 

कांफ्रेंस में रक्षा नीति के लिए दक्षिण कोरिया के उप मंत्री यू जेह-सिउंग, एशियाई एवं प्रशांत सुरक्षा मामलों के लिए अमेरिका के रक्षा सहायक सचिव डेविड शीर और रक्षा नीति ब्यूरो के जापानी महानिदेशक सातोशी माएदा शामिल हुए।

तीनों ने माना कि उत्तर कोरिया का चौथा परमाणु परीक्षण जाहिर तौर पर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के संकल्पों या प्रस्तावों का उल्लंघन है और दक्षिण कोरिया व क्षेत्र की शांति एवं स्थिरता के लिए एक गंभीर खतरा है।

एक बार फिर दोहराया गया कि उत्तर कोरिया को एक परमाणु देश के रूप में स्वीकार नहीं किया जाएगा। तीनों नेता उत्तर कोरिया के परमाणु खतरे से संबंधित जानकारी साझा करने की दिशा में मिलकर निकटता से सहयोग करने के लिए तैयार हुए।

अन्तर्राष्ट्रीय

कुवैत में संसद भंग, सभी कानून और संविधान के कुछ अनुच्छेद निलंबित

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नई दिल्ली। कुवैत के अमीर शेख मिशाल ने संसद को भंग कर दिया है। अमीर ने शुक्रवार को सरकारी टीवी पर एक संबोधन में इसकी घोषणा की। इसके अलावा अमीर ने देश के सभी कानूनों के साथ संविधान के कुछ अनुच्छेदों को चार साल तक के लिए निलंबित कर दिया है। इस दौरान देश में लोकतांत्रिक प्रक्रिया के सभी पहलुओं का अध्ययन किया जाएगा। सरकारी टीवी के मुताबिक, इस दौरान नेशनल असेंबली की सभी शक्तियां अमीर और देश की कैबिनेट के पास होंगी।

एमीर ने सरकारी टीवी पर दिए अपने संबोधन में संसद भंग करने की घोषणा करते हुए कहा, “कुवैत हाल ही में बुरे वक्त से गुजर रहा है, जिसकी वजह से किंगडम को बचाने और देश के हितों को सुरक्षित करने के लिए कड़े फैसले लेने में झिझक या देरी करने के लिए कोई गुंजाइश नहीं है। उन्होंने आगे कहा कि पिछले कुछ सालों में देश के कई डिपार्टमेंट्स में भ्रष्टाचार बढ़ गया है। भ्रष्टाचार की वजह से देश का महौल खराब हो रहा है। अफसोस की बात ये है कि भ्रष्टाचार सुरक्षा और आर्थिक संस्थानों तक फैल गया है। साथ ही अमीर ने न्याय प्रणाली में भ्रष्टाचार होने की बात कही है।

कुवैत पिछले कुछ सालों से घरेलू राजनीतिक विवादों से घिरा रहा है। देश का वेल्फेयर सिस्टम इस संकट का एक प्रमुख मुद्दा रहा है और इसने सरकार को कर्ज लेने से रोका है। इसकी वजह से अपने तेल भंडार से भारी मुनाफे के बावजूद सरकारी खजाने में पब्लिक सेक्टर के कर्मचारियों को वेतन देने के लिए बहुत कम पैसे बचे हैं। कुवैत में भी दूसरे अरब देशों की तरह शेख वाली राजशाही सिस्टम है लेकिन यहां की विधायिका पड़ोसी देशों से ज्यादा पावरफुल मानी जाती है।

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