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गणतंत्र दिवस परेड: 12 राज्यों और 9 मंत्रालय की इन झांकियों से गुलजार होगा राजपथ
देश अपना 73वां गणतंत्र दिवस मना रहा है। इस बार गणतंत्र दिवस परेड में 12 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों की झांकियों को चुना गया है। इसके अलावा इसमें मंत्रालय से जुड़ी 9 झांकियां शामिल हैं। हालांकि कई राज्यों ने अपनी झांकियां नहीं चुने जाने पर केंद्र पर आरोप भी लगाया है। आइए जानते हैं इस बार परेड में किस राज्य से कैसी झाकियां शामिल हो रही हैं।
दरअसल, कोरोना संक्रमण के बीच मनाए जा रहे गणतंत्र दिवस के आयोजन में कोरोना नियमों का पालन करना जरूरी होगा। कार्यक्रम की शुरुआत पीएम नरेंद्र मोदी के नेशनल वॉर मेमोरियल पहुंचकर शहीदों को श्रद्धांजलि देने के साथ होगी। इसके बाद 21 तोपों की सलामी के साथ तिरंगा फहराया जाएगा। परेड की शुरुआत राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की ओर से सलामी लिए जाने से शुरू होगी। इसके बाद गैलेंट्री अवॉर्ड्स प्रदान किए जाएंगे।
मेघालय-
इस राज्य की झांकी अपने 50 साल का प्रदर्शन करेगी और राज्य में महिलाओं के नेतृत्व वाली सहकारी समितियों और स्वयं सहायता समूहों को एक श्रद्धांजलि देगी। झांकी में राज्य के पारंपरिक बांस और बेंत के हस्तशिल्प को प्रस्तुत किया जाएगा। यह राज्य की अर्थव्यवस्था में महिलाओं के प्रयासों और योगदान को दर्शाता है। साथ ही यहां के हल्दी उत्पादन को दर्शाया जाएगा।
उत्तर प्रदेश-
राज्य की झांकी में इस बार काशी विश्वनाथ मंदिर मुख्य आकर्षण होगा। काशी विश्वनाथ कॉरिडोर जिसका हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोकार्पण किया है, उसको प्रमुखता से दर्शाया जाएगा। इसमें गंगा नदी की झलक भी देखने को मिलेगी। साथ ही राज्य सरकार की महत्वपूर्ण योजना ‘एक जिला एक उत्पाद’ (ODOP) को प्रदर्शित होगा।
उत्तराखंड-
इसमें सिखों के प्रमुख तीर्थ हेमकुंड साहिब, टिहरी डैम, डोबरा चांठी पुल और चार धाम में से एक बद्रीनाथ धाम के साथ ही सरकार की उत्तराखंड के चार धाम को लेकर चल रही महत्वपूर्ण योजना ‘ऑल वेदर रोड’ का प्रदर्शन है।
पंजाब-
इसमें राज्य से जुड़े स्वतंत्रता सैनिकों और उनके संघर्ष की कहानी को दिखाया है। भगत सिंह, सुखदेव, राजगुरू की प्रतिमा के साथ लाला लाजपत राय पर हुए लाठी चार्ज और सरदार उधम सिंह को जलियांवाला बाग के दोषी माइकल ओ डायर की हत्या करते हुए दिखाया गया। साथ ही करतारपुर के जंग-ए-आजादी स्मारक का भी प्रदर्शन है।
गोवा-
गोवा की उन ऐतिहासिक धरोहरों को दिखाया गया है, जो स्वतंत्रता सेनानियों से जुड़े हुए हैं और अब ये धरोहरें काफी चर्चित टूरिस्ट स्पॉट बन चुकी हैं। गुजरात- इसमें राज्य के आदिवासी क्रांतिकारियों के जीवन को दर्शाया गया है। स्वाधीनता संग्राम में आदिवासियों के बलिदान से जुड़े इतिहास को दर्शाया गया है।
कर्नाटक-
इस झांकी में कर्नाटक की पारंपरिक हस्तशिल्प कला को दर्शाया गया। कमला देवी जिन्होंने विलुप्त होने की कगार पर पंहुचे पारंपरिक हस्तशिल्प को पुनर्जीवित करने का काम किया उनको प्रमुखता से प्रदर्शित किया गया।
जम्मू कश्मीर-
झांकी में जम्मू-कश्मीर के बदलते स्वरूप प्रदर्शन है। कैसे यह राज्य अब दिनों-दिन प्रगति की राह पर आगे बढ़ता जा रहा है। झांकी का मुख्य आकर्षण चिनाब नदी पर बना दुनिया का सबसे ऊंचा रेलवे पुल भी है।
महाराष्ट्र-
इसमें राज्य की जैव-विविधता और जैव प्रतीकों को प्रदर्शित किया गया है। शुरू में राजकीय तितली ब्ल्यू मॉरमॉन को दर्शाया गया है। इसके साथ ही राज्य के पशु-पक्षियों और वनस्पतियों को दर्शाया है। इसके अलावा अरुणाचल प्रदेश, छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों की भी झांकियां हैं।
राज्यों की झांकियों के अलावा मंत्रालय और विभागों से जुड़ी अन्य नौ झांकियां भी हैं। इनमें संस्कृति मंत्रालय, शिक्षा और कौशल विकास मंत्रालय, वस्त्र मंत्रालय, नागर विमानन मंत्रालय, जल शक्ति मंत्रालय, विधि और न्याय मंत्रालय, केंद्रीय लोक निर्माण विभाग, केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल, भारतीय डाक विभाग, डीआरडीओ और तीनों सेनाओं से जुड़े अत्याधुनिक हथियारों व विमानों की झांकियां भी शामिल हैं।
विभागों की झांकियों की बात करें तो इंडिया पोस्ट की झांकी महिला सशक्तिकरण पर केंद्रित है। विभाग ने कहा कि झांकी की विशिष्टता इसके पैदल सैनिकों में निहित है जो पूरे भारत के वास्तविक जीवन के डाकिया और महिलाएं हैं। झांकी में ऑल वुमन पोस्ट ऑफिस भी शामिल है, जिसे पहली बार 2013 में दिल्ली में स्थापित किया गया था।
वहीं इस साल जल शक्ति मंत्रालय की झांकी में दर्शाया जाएगा कि कैसे जल जीवन मिशन ने लद्दाख में 13,000 फीट से अधिक की ऊंचाई पर -20 डिग्री सेल्सियस तक के तापमान में स्वच्छ नल का पानी उपलब्ध कराकर लोगों के जीवन स्तर में सुधार किया। झांकी में लद्दाख की स्थानीय महिलाओं को फील्ड टेस्ट किट का उपयोग करके पानी की गुणवत्ता की जांच करते हुए दिखाया जाएगा।
नेशनल
लोकसभा के शोले और रहीम चाचा की खामोशी
सच्चिदा नन्द द्विवेदी एडिटर-इन-चीफ
हिन्दी सिनेमा की कालजई फिल्म शोले के रहीम चाचा का किरदार आपको जरूर याद होगा। उनका एक डायलॉग था जिसमें वो कहते है “इतना सन्नाटा क्यूँ है भाई” उस वक्त पूरे रामगढ़ में किसी के पास इसका जवाब नहीं था, कमोवेश ठीक वैसे ही हालात इस वक्त लोकसभा चुनाव में नजर आ रहे हैं। लोकसभा के चुनाव के दो चरण पूरे हो चुके हैं पर पूरे देश में कहीं भी ऐसा नजर नहीं आता कि हम अगले पाँच साल के लिए अपने नुमाइंदे चुनने जा रहे हैं। एक अजीब खामोशी नुमायाँ है। गांव, कस्बों और शहरों तक में होर्डिंग और पोस्टर नजर नहीं आ रहे हैं और न ही कानफोडू लाऊडस्पीकर पर वोट मांगने वालों का शोर सुनाई दे रहा है, चाय की टपरी और पान के खोखों पर जमा होने वाली भीड़ अपने होंठों को सिले हुए है।
एक वक्त था जब हम लोग चाय की टपरी, पान की दुकान और रास्तों के ढाबों से देश का मूड भांप लेते थे। मतदाताओं के मन में क्या चल रहा है इसका अंदाज लगाना आसान था। लेकिन आज स्थिति उलट है इन जगहों पर खड़ा आम आदमी आपसे ही उल्टा पूछ लेता है ‘और क्या चल रहा है’ इंसान-इंसान के बीच अविश्वास की खाई इतनी गहरी हो गई है कि वो पब्लिक प्लेस पर अब राजनीतिक बात करने से गुरेज करने लगा है। वोटर अपने मन की बात जुबान पर नहीं लाना चाहता हैं क्यूंकी अब वो रेडियो पर ‘मोदी जी’ के मन की बात सुन रहा है और अपने मन की बात अपने मन में रखे हुए है। उसे डर है और ये डर मिश्रित चुप्पी स्वस्थ लोकतंत्र के लिए अच्छा लक्षण नहीं है।
लोकसभा चुनाव के पहले चरण की तरह दूसरे चरण में भी वोटिंग 2019 के मुकाबले कम हुई है। पहले चरण में 21 राज्यों की 102 लोकसभा सीटों पर 64 प्रतिशत वोटिंग हुई थी। जबकि पिछले लोकसभा चुनाव में उन सीटों पर भी 70 प्रतिशत से ज्यादा मतदान हुआ था। ऐसे ही इस बार दूसरे चरण में 13 राज्यों की 88 लोकसभा सीटों पर करीब 63 फीसदी वोट पड़े। यह 2019 के लोकसभा चुनाव में 70.09% मतदान के मुकाबले काफी कम था। यूपी, बिहार, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और राजस्थान जैसे बड़े राज्यों में वोटिंग उम्मीद से काफी कम रही। यूपी में 54.85%, बिहार में 55.08% , महाराष्ट्र में 57.83% , एमपी में 57.88 % वोटिंग हुई। सबसे अधिक वोट त्रिपुरा, मणिपुर, छत्तीसगढ़ और पश्चिम बंगाल में पड़े। लोकसभा चुनाव के तीसरे चरण में सात मई को वोटिंग है। इसमें 12 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की 95 सीट पर मतदान होगा, जिसके लिए 1351 उम्मीदवार चुनाव मैदान में हैं।
जब 7 मई, 13 मई, 20 मई, 25 मई और 1 जून को तीसरे, चौथे, पांचवे, छठे और सातवें चरण का मतदान होगा तो इस दौरान देश के अधिकतर हिस्सों में गर्मी के साथ लू का असर दिखाई देगा। भारतीय मौसम विज्ञान विभाग के आंकड़ों से पता चलता है कि लोकसभा चुनाव के लिए प्रचार के दौरान लगभग 72% निर्वाचन क्षेत्रों में अधिकतम तापमान 35°C या इससे अधिक हो सकता है। विशेष रूप से, 59 सीटों पर 40-42 डिग्री सेल्सियस के बीच तापमान का सामना करना पड़ सकता है। जबकि 194 सीटों पर 37.5-से 40 डिग्री सेल्सियस के बीच तापमान देखा जा सकता है। लेकिन इस गर्मी के बीच क्षेत्रीय दलों के नेता काफी तेजी से अपने इलाके के मतदाताओं पर पकड़ बना रहे हैं और उन सवालों को उठा रहे हैं जिनसे देश का किसान, मजदूर और नौजवान चिंतित है। इसलिए उनके प्रति आम जनता की अपेक्षाएं बढ़ी हैं इसलिए विपक्षी गठबंधन के नेताओं की रैलियों में भारी भीड़ आ रही है। जबकि भाजपा की रैलियों का रंग उसके मुकाबले फीका नजर या रहा है।
हालांकि रैली में आने वाली भीड़ जीत का पैमाना नहीं होती इसलिए कुछ कहा नहीं जा सकता। हर दल का अपना एक समर्पित काडर होता है। जबकि आज काडर के नाम पर ज्यादातर दलों के पास सत्ता के छत्ते से चिपकी रहने वाली मधुमक्खी ही ज्यादा नजर या रहीं है ये वो लोग हैं जिन्हें सत्ता की दलाली करने के अवसरों की तलाश होती है। राष्ट्रीय स्वंय सेवक संघ जिसके पास काडर है कार्यकर्ता हैं वो भी खामोश नजर आ रहा है। बहरहाल लगातार कम होते मतदान ने नेताओं की धुकधुकी बढ़ा रखी है। सत्ता पक्ष मतदान प्रतिशत बढ़ाने के लिए परेशान है तो विपक्ष कम प्रतिशत को अपने पक्ष में मानकर मुंगेरीलाल के सपने बुनने में मगन है।
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