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आध्यात्म

ब्रज प्रांत के भक्तों को मिलेगा पहले दर्शन का सौभाग्य, दो करोड़ घरों तक पहुंचेगा पूजित अक्षत

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Ramlala Prasad will reach two crore houses of Braj prant in UP

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बरेली। अयोध्या में 22 जनवरी को राम मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के बाद विश्व हिंदू परिषद (विहिप) के देशभर के 45 सांगठनिक प्रांतों के रामभक्तों के लिए दर्शन की व्यवस्था की गई है। इसमें पहले दर्शन का सौभाग्य ब्रज प्रांत के रामभक्तों को दिया गया है। इससे पहले एक जनवरी से 15 जनवरी तक विहिप के कार्यकर्ता ब्रज प्रांत के 23 जिलों के दो करोड़ घरों तक रामलला के प्रसाद के रूप में पूजित अक्षत (पीले चावल) पहुंचाएंगे।

भगवान राम के 35 लाख चित्र भी घर-घर पहुंचाए जाएंगे। 15 जनवरी तक 23 जिलों (आगरा, मथुरा, हाथरस, अलीगढ़, मैनपुरी, एटा, कासगंज, बदायूं, बरेली, पीलीभीत, शाहजहांपुर आदि) में विहिप कार्यकर्ता घर-घर पहुंचेंगे। अयोध्या में इसकी तैयारियां चल रही हैं। बरेली के विहिप जिलाध्यक्ष मानवेंद्र प्रताप सिंह ने बताया कि भगवान राम के समक्ष अक्षत (पीले चावल) का पूजन होगा। उन्हें प्रसाद के रूप में घर-घर पहुंचाएंगे। साथ ही एक पत्रक भी दिया जाएगा।

इसमें राम मंदिर के इतिहास और इसके निर्माण के लिए प्राणों की आहुति देने वाले रामभक्तों के बारे में जानकारी होगी। 22 जनवरी को भव्य दीपोत्सव होगा। सभी मंदिरों को सजाया जाएगा और भजन-कीर्तन होगा। इसके माध्यम से लोगों को उद्घाटन कार्यक्रम से जोड़ा जाएगा।

बांटे जाएंगे निमंत्रण पत्र

विहिप जिलाध्यक्ष मानवेंद्र प्रताप सिंह ने बताया कि राम मंदिर के उद्घाटन में शामिल होने के लिए विहिप कार्यकर्ताओं की ओर से लोगों निमंत्रण पत्र भी भेजे जाएंगे। वह उद्घाटन कार्यक्रम में क्षेत्र के गण्यमान्य लोगों की सहभागिता सुनिश्चित करेंगे। राम मंदिर के निर्माण के लिए लोगों से अंशदान लेने के लिए भी विहिप ने अभियान चलाया था।

इसके अलावा अलग-अलग समय में राम मंदिर आंदोलन से लेकर इसके निर्माण तक ब्रज क्षेत्र के कई लोगों की सक्रिय भूमिका रही है। ऐसे में विहिप का प्रयास है कि ऐसे सभी लोग इस ऐतिहासिक पल के साक्षी बनें।

आध्यात्म

आज पूरा देश मना रहा रामनवमी, जानिए इसके पीछे की पूरी पौराणिक कहानी

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नई दिल्ली। आज पूरे देश में रामनवमी का त्यौहार बड़ी धूम धाम से मनाया जा रहा है। पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक इस दिन भगवान राम का जन्म हुआ था। जो विष्णु का सातवां अवतार थे। रामनवमी का त्यौहार चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी को मनाया जाता है। आइये जानते हैं इसके पीछे की पौराणिक कहानी।

पौराणिक कथाओं के मुताबिक भगवान राम ने भी मां दुर्गा की पूजा की थी, जिससे कि उन्हें युद्ध के समय विजय मिली थी। साथ ही माना जाता है इस दिन गोस्वामी तुलसीदास जी ने रामचरित मानस की रचना का आरंभ किया। राम नवमी का व्रत जो भी करता है वह व्यक्ति पापों से मुक्त होता है और साथ ही उसे शुभ फल प्रदान होता है

रामनवमी का इतिहास-

महाकाव्य रामायण के अनुसार अयोध्या के राजा दशरथ की तीन पत्नियां थी। कौशल्या, सुमित्रा और कैकयी। शादी को काफी समय बीत जाने के बाद भी राजा दशरथ के घर किसी बालक की किलकारी नहीं गूंजी थी। इसके उपचार के लिए ऋषि वशिष्ट ने राजा दशरथ से पुत्र प्राप्ति के लिए कमेश्टी यज्ञ कराने के लिए कहा। जिसे सुनकर दशरथ खुश हो गए और उन्होंने महर्षि रुशया शरुंगा से यज्ञ करने की विन्नती की। महर्षि ने दशरथ की विन्नती स्वीकार कर ली। यज्ञ के दौरान महर्षि ने तीनों रानियों को प्रसाद के रूप में खाने के लिए खीर दी। इसके कुछ दिनों बाद ही तीनों रानियां गर्भवती हो गईं।

नौ माह बाद चैत्र मास में राजा दशरथ की बड़ी रानी कौशल्या ने भगवान राम को जन्म दिया, कैकयी ने भरत को और सुमित्रा ने दो जुड़वा बच्चे लक्ष्मण और शत्रुघन को जन्म दिया। भगवान विष्णु ने श्री राम के रूप में धरती पर जन्म इसलिए लिया ताकि वे दुष्ट प्राणियों का नरसंहार कर सके।

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