आध्यात्म
विराजमान हुए रामलला, नहीं हटते नैन, आप भी घर बैठे करें प्रभु के दिव्य स्वरूप के दर्शन
अयोध्या। अयोध्या राम मंदिर के गर्भगृह में भगवान राम लला की प्राण प्रतिष्ठा करने के बाद 51 इंच की मूर्ति की पहली झलक दुनिया से सामने आखिरकार नजर आ ही गई। पांच साल के रूप में चित्रित इस मूर्ति की पहली झलक सच में काफी मनमोहक कर देने वाली है। तो आइये आप भी इस पल को आंखों में कैद कर दर्शन करें भगवान राम का।
इस मूर्ति में रामलला की मासूमियत साफ झलक रही है। बता दें कि इस मूर्ति को कर्नाटक के अरुण योगीराज ने बनाया है। रामलला की मूर्ति को सिर से पैर तक कई आभूषणों से सजाया गया है।
हाथों में सोने का धनुष-बाण है तो माथा चांदी और लाल तिलक से सुशोभित है। पीली धोती पहने हुए राम लला की मूर्ति चमकदार आभूषणों के साथ मिश्रित है। राजसी आभूषणों के बीच फूलों की सजावट साफ देखने को मिल रही है। बता दें कि राम मंदिर हजारों मेहमानों से खचाखच भरा हुआ है, जिनमें कई मशहूर हस्तियां भी शामिल हैं।
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आज पूरा देश मना रहा रामनवमी, जानिए इसके पीछे की पूरी पौराणिक कहानी
नई दिल्ली। आज पूरे देश में रामनवमी का त्यौहार बड़ी धूम धाम से मनाया जा रहा है। पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक इस दिन भगवान राम का जन्म हुआ था। जो विष्णु का सातवां अवतार थे। रामनवमी का त्यौहार चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी को मनाया जाता है। आइये जानते हैं इसके पीछे की पौराणिक कहानी।
पौराणिक कथाओं के मुताबिक भगवान राम ने भी मां दुर्गा की पूजा की थी, जिससे कि उन्हें युद्ध के समय विजय मिली थी। साथ ही माना जाता है इस दिन गोस्वामी तुलसीदास जी ने रामचरित मानस की रचना का आरंभ किया। राम नवमी का व्रत जो भी करता है वह व्यक्ति पापों से मुक्त होता है और साथ ही उसे शुभ फल प्रदान होता है
रामनवमी का इतिहास-
महाकाव्य रामायण के अनुसार अयोध्या के राजा दशरथ की तीन पत्नियां थी। कौशल्या, सुमित्रा और कैकयी। शादी को काफी समय बीत जाने के बाद भी राजा दशरथ के घर किसी बालक की किलकारी नहीं गूंजी थी। इसके उपचार के लिए ऋषि वशिष्ट ने राजा दशरथ से पुत्र प्राप्ति के लिए कमेश्टी यज्ञ कराने के लिए कहा। जिसे सुनकर दशरथ खुश हो गए और उन्होंने महर्षि रुशया शरुंगा से यज्ञ करने की विन्नती की। महर्षि ने दशरथ की विन्नती स्वीकार कर ली। यज्ञ के दौरान महर्षि ने तीनों रानियों को प्रसाद के रूप में खाने के लिए खीर दी। इसके कुछ दिनों बाद ही तीनों रानियां गर्भवती हो गईं।
नौ माह बाद चैत्र मास में राजा दशरथ की बड़ी रानी कौशल्या ने भगवान राम को जन्म दिया, कैकयी ने भरत को और सुमित्रा ने दो जुड़वा बच्चे लक्ष्मण और शत्रुघन को जन्म दिया। भगवान विष्णु ने श्री राम के रूप में धरती पर जन्म इसलिए लिया ताकि वे दुष्ट प्राणियों का नरसंहार कर सके।
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