अन्तर्राष्ट्रीय
रूस के खिलाफ जंग में दखल देगा NATO? सेक्रेटरी जनरल ने कहा-‘केमिकल अटैक हुआ तो बदल जायेगा युद्ध का परिणाम’
नाटो के सेक्रेटरी जनरल जेन्स स्टोलटेनबर्ग ने गुरुवार को कहा कि रूस अमेरिका और उसके सहयोगियों पर आरोप लगाकर खुद यूक्रेन में रासायनिक हथियारों के इस्तेमाल की कोशिश कर सकता है। इससे पहले अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने बुधवार को कहा था कि रूस द्वारा यूक्रेन के खिलाफ रासायनिक हथियारों का संभावित इस्तेमाल एक वास्तविक खतरा है।
नाटो सेक्रेटरी ने ब्रसेल्स में नाटो शिखर सम्मेलन के बाद संवाददाताओं से कहा, “हम आंशिक रूप से चिंतित हैं क्योंकि हम तमाम तरह की बयानबाजी देख रहे हैं। हम देख रहे हैं कि रूस यूक्रेन, अमेरिका और नाटो सहयोगियों पर रासायनिक और जैविक हथियारों का इस्तेमाल करने की तैयारी का आरोप लगा रहा है ताकि वह खुद इसकी आड़ में इन हथियारों का इस्तेमाल कर सके।” उन्होंने कहा कि रासायनिक हथियारों के किसी भी इस्तेमाल के व्यापक परिणाम होंगे।
दरअसल इससे पहले रूस के रक्षा मंत्रालय ने दावा किया कि यूक्रेन अपने ही लोगों पर रसायनिक हथियारों का इस्तेमाल करने की तैयारी में है और इल्जाम रूस पर लगाया जाएगा। रूस ने दावा किया कि अमेरिका इस काम में यूक्रेन का समर्थन कर रहा है। वहीं पश्चिमी देशों का मानना है कि रूस ऐसा कहकर खुद रसायनिक हथियारों का इस्तेमाल करने की सोच रहा है।
नाटो महासचिव जेन्स स्टोलटेनबर्ग ने कहा, “रूस नाटो के बहाने यूक्रेन में जैविक हमले की तैयारी कर सकता है। अगर ऐसा होता है, तो यह युद्ध की प्रकृति को बदल देगा। यह न केवल यूक्रेन बल्कि नाटो देशों को भी प्रभावित करेगा।” कयास लगाए जा रहे हैं कि अगर ऐसा हुआ तो नाटो भी इस जंग में खुले तौर पर शामिल सकता है। क्योंकि यूक्रेन में किसी भी तरह का केमिकल अटैक सीधे उसके सहयोगी देशों को भी प्रभावित करेगा।
स्टोल्टेनबर्ग ने कहा, “एक जोखिम यह भी है कि इसका (रासायनिक हथियारों का हमला) नाटो देशों में रहने वाले लोगों पर सीधा प्रभाव पड़ेगा क्योंकि हमारे यहां भी इसका रिसाव होकर आएगा, हम हमारे देशों में भी केमिकल एजेंट्स या बायोलॉजिकल हथियारों के प्रसार को देख सकते हैं।”
जेन्स स्टोलटेनबर्ग ने कहा कि नाटो सहयोगी इस तरह के हमलों से निपटने के लिए यूक्रेन को हथियारों की आपूर्ति करने पर सहमत हुए हैं। एक बड़ा बयान देते हुए नाटो के सेक्रेटरी जनरल ने कहा, “हमने अपने केमिकल, बायोलॉजिकल और परमाणु रक्षा एलीमेंट्स को एक्टिवेट कर दिया है।”
नाटो महासचिव जेन्स ने कहा कि हमें इस बात की चिंता है कि रूस यूक्रेन में इन हथियारों का इस्तेमाल कर सकता है। उन्होंने जानकारी देते हुए बताया कि गुरुवार को नाटो के शिखर सम्मेलन में इस बात पर सहमति बन सकती है कि नाटो यूक्रेन को रासायनिक हथियारों से होने वाले हमलों से बचाव के लिए मदद करेगा। उन्होंने कहा, “इस मदद में यूक्रेन को हमलों की पहचान करने वाले उपकरण, सुरक्षा व चिकित्सा सहायता, हमले की स्थिति में उनसे निपटने की तैयारी का प्रशिक्षण भी शामिल हो सकता है।” स्टोलटेनबर्ग ने कहा कि नाटो के सदस्य देश अपनी तैयारियों को बढ़ा रहे हैं।
चीन को संदेश
जेन्स स्टोल्टेनबर्ग ने चीन को संदेश देते हुए कहा कि उसे रूस की निंदा करनी चाहिए। उन्होंने कहा, “चीन को हमारा संदेश है कि वे बाकी दुनिया में शामिल हों और रूस के खिलाफ क्रूर युद्ध की निंदा करें और न तो आर्थिक रूप से और न ही सैन्य रूप से रूस का समर्थन करें।”
अन्तर्राष्ट्रीय
जेपी मॉर्गन के CEO बोले- अमेरिका को भी पीएम मोदी जैसे मजबूत नेता की जरुरत
नई दिल्ली। अमेरिकी बैंकिंग फर्म जेपी मॉर्गन चेज के सीईओ जेमी डिमन ने भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जमकर तारीफ की है। उन्होंने तो यहाँ तक कह दिया कि अमेरिका को भी पीएम मोदी जैसे मजबूत नेताओं की आवश्यकता है। जेमी डिमन ने कहा कि पीएम मोदी ने भारत में जबदरस्त और अविश्वसनीय काम किया है। अमेरिका में भी भारत नरेंद्र मोदी की तरह का प्रधानमंत्री होना चाहिए।
इकोनॉमिक क्लब ऑफ न्यूयॉर्क की तरफ से आयोजित एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए जेमी डिमन ने कहा कि मैं अमेरिका के लिबरल प्रेस को जानता हूं, जो लगातार नरेंद्र मोदी की आलोचना करते हैं। उन्होंने 40 करोड़ लोगों को गरीबी से बाहर निकाला है.। इस दौरान डिमन ने भारत में गरीबी उन्मूलन, बुनियादी ढ़ांचे आर्थिक विकास समेत कई अन्य विषयों पर खुलकर बात रखीं।
उन्होंने कहा, “अमेरिका के कई अधिकारी भारत को लेकर कई बातें कहते हैं, लेकिन अपना देश कैसे चलाना है इस बारे में सोचने की जरूरत है। भारत में नरेंद्र मोदी चुनौतियों का सामना कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि कुछ देशों की सरकारें जलवायु परिवर्तन और श्रम अधिकारों को लेकर भारत की आलोचना करती हैं, जबकि उनके पास शौचालय जैसी मूलभूत सुविधाएं नहीं है। फिर भी वो डटकर चुनौतियों का समाना कर रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘भारत ने एक नई चलन शुरू की है, जिसमें लोगों को फिंगर प्रिंट और आंख से पहचान की जाती है। यह भी भारत के लिए एक उल्लेखनीय है।
डिमन ने आगे कहा कि भारत मूलभूत सुविधाओं पर काम करते हुए आगे की दिशा में काम कर रहा है। विकासशील देश से विकसित देश की ओर बढ़ने के लिए वहां की सरकार लगातार प्रयास कर रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देश को बढ़ाने के लिए लगातार काम कर रहे हैं।
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