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इस मोबाइल ऐप ने बचाई तूफान में फंसे सैकड़ों लोगों की जान, आप भी करें यूज
अभी हाल ही में देशभर में आंधी-तूफान और बिजली गिरने से सैकड़ों लोगों की जानें गई हैं। मौसमविभाग ने चेतावनी जारी करके शनिवार और रविवार को भी तूफान और बिजली गिरने की आशंका जताई है। ऐसे में एक मोबाइल ऐप बहुत चर्चा में है क्योंकि उसने बिजली गिरने से होने वाली मौतों को काफी हद तक कम किया है।
आंधी-तूफान के समय बिजली कहीं भी गिर सकती है लेकिन इसके तटीय इलाकों में गिरने की आशंका ज्यादा होती है। इसे देखते हुए पिछले दिनों आंध्र प्रदेश डिजास्टर मैनेजमेंट अथॉरिटी (एपीएसडीएमए) ने लाइटनिंग ट्रैकर सिस्टम के जरिए लोगों को बिजली गिरने वाले संभावित इलाकों की समय रहते सूचना दी। इसलिए बिजली तो गिरी लेकिन बहुत कम लोगों की जान गई। उदाहरण के लिए मंगलवार को 41,025 जगहों पर बिजली गिरी लेकिन केवल 16 लोग ही इसकी चपेट में आए जो कि काफी कम है।
इसके लिए एपीएसडीएमए ने 20.14 लाख मोबाइल यूजर्स को एक ऐप के जरिए अलर्ट भेजे थे। इस ऐप का नाम है वज्रपात। यह अलर्ट मेसेज इंग्लिश और तेलुगू में भेजे गए थे। फिलहाल अलर्ट की यह सुविधा केवल बीएसएनएल सब्सक्राइबर्स के लिए है बाकी ऑपरेटरों को भी यह जल्द मुहैया कराई जाएगी। एपीएसडीएमए के मौसम विज्ञानी के. थंडाकृष्णा ने बताया कि देश में इस तरह का यह पहला ऐप है। इसे मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने जुलाई 2017 को लॉन्च किया था।
इस ऐप को चित्तूर के कुप्पम इंजीनियरिंग कॉलेज के छात्रों ने इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गनाइजेशन (इसरो) के सहयोग से बनाया है। इनके साथ अमेरिका स्थित संस्था अर्थ नेटवर्क्स भी जुड़ी हुई है जो बिजली गिरने की सटीक लोकेशन बताने में सक्षम है। जिन लोगों के मोबाइल पर यह ऐप है उन्हें अपने आसपास के इलाके में बिजली गिरने के 45 मिनट पहले अलर्ट मिल जाता है। इस ऐप को गूगल प्लेस्टोर से डाउनलोड किया जा सकता है।
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केंद्र सरकार का बड़ा एक्शन, 70 लाख मोबाइल नंबर हुए सस्पेंड; जानें क्या है कारण
नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने एक बड़ा एक्शन लेते हुए 70 लाख मोबाइल नंबर को सस्पेंड कर दिया है। यानी इन मोबाइल नंबर का इस्तेमाल पूरी तरह से बंद कर दिया गया है। अब आपके जेहन में ही यही सवाल आ रहा होगा कि आखिर सरकार की ओर से यह कदम क्यों उठाया गया है। दरअसल, यह कदम बढ़ते डिजिटल फ्रॉड को देखते हुए उठाया गया है।
इस वजह से हुए मोबाइल नंबर सस्पेंड
सस्पेंड किए गए ये वे मोबाइल नंबर थे जो किसी तरह के संदिग्ध लेन-देन से जुड़े थे। दरअसल, इस मामले को लेकर वित्तीय सेवा सचिव विवेक जोशी ने मंगलवार को जानकारी दी। उन्होंने कहा कि इंटरनेट के समय में डिजिटल पेमेंट को लेकर हो रही धोखाधड़ी को देखते हुए ऐसा किया गया है। बता दें, वित्तीय सेवा सचिव विवेक जोशी ने यह जानकारी डिजिटल पेमेंट को लेकर धोखाधड़ी और इससे जुड़े मुद्दों पर बैठक के बाद दी है।
जनवरी में होगी अगली बैठक
जोशी ने कहा है कि डिजिटल फ्रॉड के बढ़ते मामलों को देखते हुए बैंकों को भी निर्देश दिए गए हैं। बैंकों को उनकी प्रक्रियाओं और प्रणालियों को पहले से मजबूत बनाने को कहा गया है। उन्होंने बैठक को लेकर जानकारी देते हुए कहा है कि इस मुद्दे पर आगे भी बैठकें होती रहेंगी। इसी के साथ मामले पर अगली बैठक अगले साल जनवरी में रखी गई है।
वित्तीय सेवा सचिव विवेक जोशी ने आधार सक्षम भुगतान प्रणाली (AEPS) धोखाधड़ी को लेकर कहा है कि राज्यों को इस मुद्दे पर ध्यान देने की जरूरत है। इसी के साथ राज्य सरकारों को डेटा सुरक्षा को भी मजबूत बनाने पर गौर देना चाहिए।
फ्रॉड के मामले कैसे होंगे कम
विवेक जोशी ने कहा है कि डिजिटल धोखाधड़ी को लेकर जागरुकता बेहद जरूरी है। इस तरह की धोखाधड़ी पर लगाम लगाने के लिए जरूरी है कि समाज को इन मामलों से अवगत करवाया जाए और जागरुक किया जाए। मालूम हो कि हाल ही में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने भी साइबर धोखाधड़ी को लेकर समाज को जागरुक करने की बात पर जोर दिया था।
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