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आध्यात्म

आज से शुरू हो रहा है मलमास, भूल से भी न करें ये काम

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शुक्लपक्ष रविवार शाम 6:03 बजे सूर्यदेव बृहस्पति की राशि मीन राशि में प्रवेश करेंगे और 14 अप्रैल की रात 2:33 बजे तक मीन राशि में रहेंगे। आसान शब्दों में समझा जाए तो सूर्य एक राशि में 30 दिन तक भ्रमण करता है। इस प्रकार 12 माह अर्थात् एक वर्ष में सूर्य 12 राशियों का एक चक्र पूरा कर लेता है।

भ्रमण करते हुए सूर्य जब-जब बृहस्पति की राशि धनु और मीन में आता है, तो उसे मलमास कहा जाता है। इसे मीन संक्रांति भी कहते हैं। मीन बृहस्पति की जलीय राशि है और इसमें सूर्य का प्रवेश विशेष परिणाम पैदा करता है। बीमारियां और रोग बढ़ते हैं। लोगों के मन में चंचलता आ जाती है। इस समय ज्योतिषीय कारणों से शुभ कार्य वर्जित हो जाते हैं।

इस समय विवाह वर्जित होता है। इस समय अगर विवाह किया जाए तो भावनात्मक और शारीरिक सुख दोनों नहीं मिलते हैं। इस समय नए मकान का निर्माण और संपत्ति का क्रय करना वर्जित होता है।

इस अवधि में बनाए गए मकान आमतौर पर कमजोर होते हैं और उनसे निवास का सुख नहीं मिल पाता है। नया व्यवसाय या नया कार्य आरम्भ न करें। मीन मलमास में नया व्यवसाय आरम्भ करना आर्थिक मुश्किलों को जन्म देता है।

अन्य मंगल कार्य जैसे द्विरागमन, कर्णवेध और मुंडन भी वर्जित होते हैं, क्योंकि इस अवधि के किए गए कार्यों से रिश्तों के खराब होने की सम्भावना होती है।

आध्यात्म

आज पूरा देश मना रहा रामनवमी, जानिए इसके पीछे की पूरी पौराणिक कहानी

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नई दिल्ली। आज पूरे देश में रामनवमी का त्यौहार बड़ी धूम धाम से मनाया जा रहा है। पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक इस दिन भगवान राम का जन्म हुआ था। जो विष्णु का सातवां अवतार थे। रामनवमी का त्यौहार चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी को मनाया जाता है। आइये जानते हैं इसके पीछे की पौराणिक कहानी।

पौराणिक कथाओं के मुताबिक भगवान राम ने भी मां दुर्गा की पूजा की थी, जिससे कि उन्हें युद्ध के समय विजय मिली थी। साथ ही माना जाता है इस दिन गोस्वामी तुलसीदास जी ने रामचरित मानस की रचना का आरंभ किया। राम नवमी का व्रत जो भी करता है वह व्यक्ति पापों से मुक्त होता है और साथ ही उसे शुभ फल प्रदान होता है

रामनवमी का इतिहास-

महाकाव्य रामायण के अनुसार अयोध्या के राजा दशरथ की तीन पत्नियां थी। कौशल्या, सुमित्रा और कैकयी। शादी को काफी समय बीत जाने के बाद भी राजा दशरथ के घर किसी बालक की किलकारी नहीं गूंजी थी। इसके उपचार के लिए ऋषि वशिष्ट ने राजा दशरथ से पुत्र प्राप्ति के लिए कमेश्टी यज्ञ कराने के लिए कहा। जिसे सुनकर दशरथ खुश हो गए और उन्होंने महर्षि रुशया शरुंगा से यज्ञ करने की विन्नती की। महर्षि ने दशरथ की विन्नती स्वीकार कर ली। यज्ञ के दौरान महर्षि ने तीनों रानियों को प्रसाद के रूप में खाने के लिए खीर दी। इसके कुछ दिनों बाद ही तीनों रानियां गर्भवती हो गईं।

नौ माह बाद चैत्र मास में राजा दशरथ की बड़ी रानी कौशल्या ने भगवान राम को जन्म दिया, कैकयी ने भरत को और सुमित्रा ने दो जुड़वा बच्चे लक्ष्मण और शत्रुघन को जन्म दिया। भगवान विष्णु ने श्री राम के रूप में धरती पर जन्म इसलिए लिया ताकि वे दुष्ट प्राणियों का नरसंहार कर सके।

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