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आध्यात्म

कल से प्रारंभ है महापर्व छठ पूजा, जाने चार दिवसीय कैलेंडर और शुभ मुहूर्त

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chhath puja 2022

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नई दिल्ली। दीपावली के बाद पड़ने वाला लोक आस्था का महापर्व छठ पूजा (Chhath Puja) इस साल 28-31 अक्टूबर के बीच है। छठ पूजा कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की षष्ठी ति​थि को होती है, जिसमें प्रात:काल में भगवान सूर्य को अर्घ्य देते हैं और पारण करके व्रत को पूरा करते हैं।

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छठ पूजा एक दिन नहीं बल्कि चार दिवसीय उत्सव है। नहाय खाय से प्रारंभ होने वाले लोक आस्था के इस महापर्व का समापन प्रात:कालीन सूर्य को अर्घ्य देकर होता है। छठ पूजा में निर्जला व्रत रखकर छठी मैय्या और भगवान सूर्य की पूजा करते हैं।

यह सबसे कठिन व्रत माना जाता है। मुख्य रूप से बिहार व झारखण्ड में मनाया जाने वाला यह पर्व अब उत्तर प्रदेश, दिल्ली, मुबई समेत देश के अनेक छोटे-बड़े शहरों में धूमधाम से मनाया जाता है।

यह त्योहार सूर्य भगवान और उनकी बहन छठी माता को समर्पित है। इसे सूर्य षष्ठी के रूप में भी जाना जाता है, इस दिन लोग निर्जला व्रत रखकर सूर्यदेव की पूजा करते हैं और दो बार स्नान करते हैं- सूर्यास्त और सूर्योदय के समय। उपवास करते समय क्या करें और क्या न करें, इसका ध्यान रखें। छठ पूजा के दौरान पूरे परिवार की भलाई की कामना करते हुए भगवान सूर्य को सुबह और शाम के अर्घ्य से पहले प्रसाद चढ़ाया जाता है।

छठ पूजा 2022 कैलेंडर और शुभ मुहूर्त

  1. छठ पूजा का पहला दिन

नहाय-खाय 2022: 28 अक्टूबर, दिन शुक्रवार

सूर्योदय: प्रात: 06 बजकर 30 मिनट पर

सूर्योस्त: शम 05 बजकर 39 मिनट पर

शुभ समय

शोभन योग: प्रात:काल से देर रात 01 बजकर 30 मिनट

सर्वार्थ सिद्धि योग: सुबह 06 बजकर 30 मिनट से सुबह 10 बजकर 42 मिनट तक

रवि योग: सुबह 10 बजकर 42 मिनट से अगली सुबह 06 बजकर 31 मिनट तक

  1. छठ पूजा का दूसरा दिन

लोहंडा और खरना 2022: 29 अक्टूबर, दिन शनिवार

सूर्योदय: प्रात: 06 बजकर 31 मिनट पर

सूर्योस्त: शाम 05 बजकर 38 मिनट पर

शुभ समय

रवि योग: सुबह 06 बजकर 31 मिनट से सुबह 09 बजकर 06 मिनट तक

सुकर्मा योग: रात 10 बजकर 23 मिनट से अगली सुबह तक

  1. छठ पूजा का तीसरा दिन

छठ पूजा का संध्या अर्घ्य 2022: 30 अक्टूबर, रविवार

सूर्यास्त: शाम 05 बजकर 38 मिनट पर

शुभ समय

सुकर्मा योग: प्रात: काल से शाम 07 बजकर 16 मिनट तक

धृति योग: शाम 07 बजकर 16 मिनट से अगली सुबह तक

रवि योग: सुबह 07:26 बजे से अगले दिन सुबह 05:48 बजे तक

सर्वार्थ सिद्धि योग: सुबह 06:31 बजे से सुबह 07:26 बजे तक

  1. छठ पूजा का चौथा दिन

छठ पूजा का प्रात: अर्घ्य 2022: 31 अक्टूबर, सोमवार

सूर्योदय: प्रात: 06 बजकर 32 मिनट पर

शुभ समय

सर्वार्थ सिद्धि योग: प्रात: 05:48 बजे से सुबह 06:32 बजे तक

त्रिपुष्कर योग: प्रात: 05:48 बजे से सुबह 06:32 बजे तक

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आज पूरा देश मना रहा रामनवमी, जानिए इसके पीछे की पूरी पौराणिक कहानी

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नई दिल्ली। आज पूरे देश में रामनवमी का त्यौहार बड़ी धूम धाम से मनाया जा रहा है। पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक इस दिन भगवान राम का जन्म हुआ था। जो विष्णु का सातवां अवतार थे। रामनवमी का त्यौहार चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी को मनाया जाता है। आइये जानते हैं इसके पीछे की पौराणिक कहानी।

पौराणिक कथाओं के मुताबिक भगवान राम ने भी मां दुर्गा की पूजा की थी, जिससे कि उन्हें युद्ध के समय विजय मिली थी। साथ ही माना जाता है इस दिन गोस्वामी तुलसीदास जी ने रामचरित मानस की रचना का आरंभ किया। राम नवमी का व्रत जो भी करता है वह व्यक्ति पापों से मुक्त होता है और साथ ही उसे शुभ फल प्रदान होता है

रामनवमी का इतिहास-

महाकाव्य रामायण के अनुसार अयोध्या के राजा दशरथ की तीन पत्नियां थी। कौशल्या, सुमित्रा और कैकयी। शादी को काफी समय बीत जाने के बाद भी राजा दशरथ के घर किसी बालक की किलकारी नहीं गूंजी थी। इसके उपचार के लिए ऋषि वशिष्ट ने राजा दशरथ से पुत्र प्राप्ति के लिए कमेश्टी यज्ञ कराने के लिए कहा। जिसे सुनकर दशरथ खुश हो गए और उन्होंने महर्षि रुशया शरुंगा से यज्ञ करने की विन्नती की। महर्षि ने दशरथ की विन्नती स्वीकार कर ली। यज्ञ के दौरान महर्षि ने तीनों रानियों को प्रसाद के रूप में खाने के लिए खीर दी। इसके कुछ दिनों बाद ही तीनों रानियां गर्भवती हो गईं।

नौ माह बाद चैत्र मास में राजा दशरथ की बड़ी रानी कौशल्या ने भगवान राम को जन्म दिया, कैकयी ने भरत को और सुमित्रा ने दो जुड़वा बच्चे लक्ष्मण और शत्रुघन को जन्म दिया। भगवान विष्णु ने श्री राम के रूप में धरती पर जन्म इसलिए लिया ताकि वे दुष्ट प्राणियों का नरसंहार कर सके।

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